नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट को बढ़ाए जाने का मुद्रा बाजार में भी आज जमकर स्वागत हुआ। भारतीय मुद्रा रुपया लगातार दूसरे दिन मजबूती के साथ बंद होने में सफल रहा। दिन भर हुई ट्रेडिंग के बाद भारतीय मुद्रा ने डॉलर के मुकाबले 34 पैसे की तेजी के साथ 81.50 रुपये (अस्थाई) के स्तर पर आज के कारोबार का अंत किया।
इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में आज रुपये ने डॉलर के मुकाबले 27 पैसे की तेजी के साथ 81.57 रुपये के स्तर पर कारोबार की शुरुआत की। कारोबार शुरू होने के कुछ समय बाद ही रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति का ऐलान किया। मौद्रिक नीति के ऐलान से उत्साहित भारतीय मुद्रा ने शुरुआती कारोबार में ही जबरदस्त तेजी दिखाई और 70 पैसे की मजबूती के साथ 81.07 रुपये प्रति डॉलर के दिन के ऊपरी स्तर तक आ गया। हालांकि बाद में डॉलर की मांग बढ़ने की वजह से रुपये में कमजोरी आने लगी। दिन के दूसरे कारोबारी सत्र में रुपया ऊपरी स्तर से 62 पैसा कमजोर होकर 81.69 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर तक पहुंच गया।
जब रुपया कमजोर होता दिख रहा था, उसी समय भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने चौतरफा खरीदारी शुरू कर दी। इस जोरदार खरीदारी से मुद्रा बाजार में डॉलर की आवक में भी तेजी आई, जिसकी वजह से रुपये में एक बार फिर मजबूती का रुझान बनने लगा। डॉलर की आवक के कारण भारतीय मुद्रा आज के निचले स्तर से 19 पैसे मजबूत होकर कुल 34 पैसे की तेजी के साथ 81.50 रुपया प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुई।
मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि रुपये में पिछले 2 दिनों के दौरान लगातार तेजी जरूर आई है लेकिन अभी भी वैश्विक माहौल डॉलर के पक्ष में बना हुआ है। भारतीय मुद्रा के साथ अच्छी बात ये है कि रुपये में डॉलर के अलावा अन्य ज्यादातर वैश्विक मुद्राओं की तुलना में इसमें तेजी आई है। डॉलर इंडेक्स के 20 साल के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच जाने की वजह से डॉलर की तुलना में रुपया भी दुनिया भर की तमाम प्रमुख मुद्राओं की तरह कमजोर बना हुआ है।
बताया जा रहा है कि जब तक अमेरिका में महंगाई काबू में नहीं आती और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका खत्म नहीं होती, तब तक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में बहुत अधिक सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है। हालांकि ऐसी स्थिति में परिवर्तन उसी हालत में हो सकता है, जब रिजर्व बैंक खुद मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करे। यानी रुपये की कीमत को नियंत्रित करने के लिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर के प्रवाह को बढ़ाए। हालांकि कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि अगर घरेलू शेयर बाजार में मजबूती की स्थिति बनी रही और विदेशी निवेशक खरीदार बने रहे, तो इससे डॉलर की आवक बढ़ेगी, जिसका परिणाम रुपये की मजबूती के रूप में सामने आएगा। (एजेंसी, हि.स.)