– दिन के कारोबार में 81.70 रुपये प्रति डॉलर तक लुढ़की भारतीय मुद्रा
नई दिल्ली। मंदी की आशंका, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर इंडेक्स की जबरदस्त मजबूती के कारण भारतीय मुद्रा रुपया ने आज एक बार फिर गिरने का नया रिकॉर्ड बनाया। रुपया आज पहली बार डॉलर के मुकाबले 81.62 के स्तर पर बंद हुआ। रुपये की क्लोजिंग का अभी तक का ये सबसे निचला स्तर है।
इसके पहले रुपये ने आज के कारोबार की शुरुआत भी लोएस्ट ओपनिंग का नया रिकॉर्ड बना कर ही की थी। दिन के कारोबार के दौरान भारतीय मुद्रा ने डॉलर के मुकाबले अभी तक के सबसे निचले स्तर 81.70 रुपये तक गिरने का रिकॉर्ड भी बनाया। हालांकि कारोबार खत्म होने तक रुपये की स्थिति में कुछ सुधार आया और भारतीय मुद्रा 81.62 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुई।
इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में आज रुपये ने 56 पैसे की कमजोरी के साथ 81.55 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार की शुरुआत की। डॉलर की लगातार बढ़ती मांग के कारण थोड़ी ही देर में भारतीय मुद्रा और तीन पैसे फिसल कर 81.58 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। दोपहर बाद रुपये कुछ रिकवर करता नजर आया, लेकिन उसके बाद एक बार फिर डॉलर की मांग में तेजी आ गई, जिससे भारतीय मुद्रा अभी तक के सबसे निचले स्तर 87.70 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गई। हालांकि आखिरी वक्त में डॉलर की मांग में कुछ कमी आई, जिसके बाद रुपया निचले स्तर से 8 पैसे की रिकवरी करके 81.62 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुआ।
पिछले 9 कारोबारी सत्रों में आज ये आठवां सत्र है, जब रुपया डॉलर के मुकाबले 2.2 प्रतिशत से ज्यादा कमजोर हुआ है। सिर्फ पिछले तीन कारोबारी सत्र में ही रुपये की कीमत में 1.70 रुपये प्रति डॉलर तक की कमजोरी आ चुकी है। पिछले सप्ताह भी रुपये ने लगातार गिरावट का रुख दिखाया था। डॉलर की मांग में बढ़ोतरी होने के कारण रुपया पहली बार 81 रुपये के स्तर से भी नीचे गिर कर 81.24 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में डॉलर की मांग में कमी आने की वजह से भारतीय मुद्रा की स्थिति में कुछ सुधार हुआ था और इसने 80.99 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार का अंत किया था।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का मानना है वैश्विक मंदी की आशंका के कारण विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली करके अपना पैसा निकालने की कोशिश में लगे हुए हैं। जिसकी वजह से डॉलर इंडेक्स 20 साल के सबसे ऊंचे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। मयंक मोहन के मुताबिक रुपये में आई इस गिरावट की मुख्य वजह निवेशकों के मन में मंदी को लेकर बैठी घबराहट भी है। इसी घबराहट के कारण बाजार में जमकर बिकवाली हो रही है, जिसके कारण दुनिया के ज्यादातर बाजारों में गिरावट का रुख बना हुआ है और उनकी राष्ट्रीय मुद्राएं डॉलर की तुलना में लुढ़कती जा रही हैं।
ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर का सप्लाई बढ़ाकर रुपये की गिरावट को कुछ समय के लिए जरूर रोक सकता है, लेकिन रुपये में गिरावट तभी रुक सकेगी, जब वैश्विक मंदी की आशंका छंट जाए। क्योंकि जब तक मंदी का डर बना रहेगा, तब तक विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली करके अपना पैसा निकालते रहेंगे। जिसकी वजह से डॉलर की मांग में भी तेजी बनी रहेगी और रुपया गिरता चला जाएगा। (एजेंसी, हि.स.)