Friday, November 22"खबर जो असर करे"

स्मृति शेष: हंसते-हंसाते अलविदा कह गए राजू

– प्रभुनाथ शुक्ल

हंसाने वाला ही नहीं रहा तो दुनिया हंसेगी कैसे। राजू श्रीवास्तव लोगों को हंसाते-हंसाते रुला कर चले गए। अस्पताल में 42 दिन के लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया। राजू का जाना पूरी हंसी की दुनिया का खामोश हो जाना है। एक ऐसे दौर में राजू श्रीवास्तव का चले जाना बेहद पीड़ादायक है, जब लोग डिप्रेशन जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं। आज दौड़ती-भागती जिंदगी में जीवन में हंसी का कोई ठिकाना ही नहीं है । लोगों के चेहरे पर थकान के सिवाय मुस्कान दिखती ही नहीं। जिंदगी इतनी तेज भाग रही है कि लोगों की हंसती-खेलती दुनिया ही गायब है। ऐसे दौर में राजू डिप्रेशन के मरीजों के लिए भगवान थे।

राजू श्रीवास्तव एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां साहित्य और कला को खुली सांस मिली। उनके पिता रमेश श्रीवास्तव कवि थे। उन्हें लोग बलई काका के नाम से भी पुकारते थे। राजू श्रीवास्तव उन्हीं बलई काका के बेटे थे। उनका जन्म कानपुर में 1963 में हुआ। 58 साल की उम्र में दुनिया को हंसाने वाला शख्स रुलाता हुआ चला गया। कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें इलाज के लिए एम्स में दिल्ली में भर्ती कराया गया था। वहां उन्होंने आज अंतिम सांस ली। उन्होंने फिल्मों में भी काम किया। अमिताभ बच्चन के बहुत तगड़े फैन थे।

कॉमेडी की दुनिया में उन्हें अमिताभ बच्चन की मिमिक्री से शोहरत मिली। राजू श्रीवास्तव उस दौर में लोगों के दिलों पर राज करते थे जब संचार के इतने तगड़े माध्यम नहीं थे। लोगों के बीच पहुंचने का रेडियो और दूरदर्शन एकमात्र सहारा था। उस दौर में टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार ने राजू श्रीवास्तव का ऑडियो कैसेट जारी किया था। राजू की कॉमेडी में गजोधर और मनोहर भैया कालजयी पात्र हैं। राजू की कॉमेडी में एक अजीब तरह का खिंचाव और लगाव था। राजू श्रीवास्तव हमारे बीच भले नहीं रहे, लेकिन हंसी की दुनिया के कालजयी पात्र गजोधर और मनोहर हमें याद आएंगे।

सत्य प्रकाश श्रीवास्तव यानी राजू ने द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज से काफी सुर्खियां बटोरीं। यहीं से उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया। शुरुआती दौर में उन्होंने आर्केस्ट्रा में भी काम किया। एक कार्यक्रम में उन्हें पारिश्रमिक के रूप में 100 रुपये पहली बार मिले तो वे बेहद खुश हुए। साल 1982 में राजू श्रीवास्तव ने मुंबई की तरफ रुख किया। उन्होंने सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया, बाजीगर, मुंबई टू गोवा, आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया जैसी फिल्मों में भी काम किया। राजू की ख्याति जब अपने चरम पर थी तो उस दौरान कॉमेडियन कपिल शर्मा का शो भी लोगों के दिलों पर राज कर रहा था। कपिल शर्मा ने भी राजू श्रीवास्तव को कई बार बुला कर शो किया। वो देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी मिमिक्री करते थे। राजू श्रीवास्तव ने बीबीसी के इंटरव्यू में कुबूल किया था कि पढ़ाई के दौरान जब वे कॉपी करते थे तो शिक्षक उन्हें खूब डांटते थे। राजू बेहद सामान्य परिवार से होते हुए भी हंसी की दुनिया में अपना स्थान बनाने में कामयाब हुए।

राजू श्रीवास्तव कॉमेडी की दुनिया में आने से पहले फिल्में भी खूब देखते थे और फिल्म दिखने के बाद नायकों की आवाज निकालते थे। उसी तरह बोलने का प्रयास करते थे। फिल्मों के बेताज बादशाह अमिताभ बच्चन उनके पसंदीदा हीरो थे। दीवार और शोले पिक्चर देखकर ही वह अमिताभ बच्चन की मिमिक्री करने लगे थे। धीरे-धीरे उनकी मिमिक्री को जब लोग पसंद करने लगे तो त्योहारों पर होने वाले आयोजनों पर राजू श्रीवास्तव को बुलाया जाता था और वे फिल्म अभिनेताओं की मिमिक्री करते थे। बाद में राजू श्रीवास्तव कॉमेडी दुनिया के बेताज बादशाह बन गए।

राजू श्रीवास्तव कॉमेडियन से इतर राजनीति की दुनिया में भी खुद को आजमाना चाहते थे। समाजवादी पार्टी से साल 2014 में कानपुर से लोकसभा का टिकट मिला को उन्होंने मना कर दिया। फिर भाजपा में शामिल होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ गए। साल 2019 में राजू श्रीवास्तव को उत्तर प्रदेश फिल्म परिषद का अध्यक्ष भी बनाया गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि वे एक अच्छे कलाकार थे। जीवन पर्यन्त अपनी पीड़ा को दबाते हुए बिना किसी भेदभाव के सबका मनोरंजन करते रहे।

राजू श्रीवास्तव जाने-अनजाने एक ऐसी दुनिया के भगवान भी थे जिनके लिए वे दवा साबित होते रहे। आधुनिक जीवनशैली में इंसान के पास हंसी के लिए कोई जगह नहीं है। लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लाखों लोग राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी देखकर स्वस्थ और मस्त रहते थे। अब राजू नहीं हैं। हमारे बीच से हंसी का एक युग खत्म हो गया है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)