मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर वार्ता से इतर द्विपक्षीय वार्ता के प्रांरभ में कहा कि हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि शांति की दिशा में कैसे आगे बढ़ा जाए। मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के संबंध में भारत का यह पक्ष रखा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं जानता हूं कि आज का युग युद्ध का है नहीं। हमने फोन पर भी इस संबंध में बातचीत की है कि डेमोक्रेसी, डायलाग और डिप्लोमेसी (लोकतंत्र, विचार विमर्श और कूटनीति) दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। आने वाले दिनों में शांति के रास्ते पर हम कैसे आगे बढ़ें इस बारे में हमें आज विचार-विमर्श का मौका मिलेगा। आपका पक्ष समझने का भी मौका मिलेगा।”
उन्होंने कहा, “दुनिया के सामने आज जो सबसे बड़ी समस्या, खासकर विकासशील देशों के लिए खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और उर्वरक की है। ऐसी जो समस्याएं हैं उनके समाधान के लिए हमें रास्ते निकालने होंगे। इस दिशा में आपको भी पहल करनी होगी।”
मोदी ने यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से भारतीय विद्यार्थियों को स्वदेश लाने के लिए रूस और यूक्रेन की सरकारों से मिले सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संघर्ष के आरंभ में यूक्रेन में हजारों भारतीय फंसे हुए थे। रूस और यूक्रेन की सरकारों के सहयोग से हम उन्हें सुरक्षित स्वदेश ला सके। इसके लिए हम दोनों देशों के आभारी हैं।
भारत और रूस के बीच घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देशों के संबंध कई गुना बढ़े हैं। भारत रूस के साथ अपने संबंधों को इसलिए भी महत्व देता है कि पिछले अनेक दशकों के दौरान हरपल एक दूसरे के साथ रहे हैं। पूरी दुनिया भी जानती है कि रूस के साथ भारत का कैसा नाता रहा है और भारत के साथ रूस का कैसा। दुनिया भी यह भलीभांति जानती है कि भारत और रूस का नाता अटूट है।
राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि हम दोनों की राजनीतिक यात्रा लगभग एक साथ शुरू हुई है। उन्होंने कहा, “मैं आपसे सबसे पहले वर्ष 2001 में मिला जब आप रूस के राष्ट्रपति थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री। आज 22 साल हो गये। हमारी दोस्ती लगातार बढ़ती चली जा रही है। लगातार हम दोनों देश मिलकर इस क्षेत्र की भलाई के लिए और लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं।” मोदी ने शिखर वार्ता में राष्ट्रपति पुतिन द्वारा भारत के प्रति व्यक्त किये गये उद्गारों के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि द्विपक्षीय वार्ता से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे तथा विश्व को हमसे जो अपेक्षा है उस दिशा में भी हम आगे बढ़ेंगे। (हि.स.)