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रतन टाटा की जगह चेयरमैन बनने के बाद टाटा सन्स से बेआबरू होकर निकले थे मिस्त्री

नई दिल्ली/मुंबई। देश के प्रमुख उद्योगपतियों (Leading industrialists of the country) में शुमार रहे 54 वर्षीय साइरस पलोंजी मिस्त्री (Cyrus Pallonji Mistry) के सड़क दुर्घटना में मौत होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से लेकर दुनिया भर में शोक व्यक्त किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने लिखा कि उनका निधन वाणिज्य और उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। साइरस मिस्त्री के जीवन का सबसे अहम वक्त उनका टाटा संस का चेयरमैन बनना और उसके बाद उन्हें पद से हटाया जाना रहा।

साइरस मिस्त्री की पहचान धाकड़ कारोबारी के रूप में रही है। साइरस मिस्त्री वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक देश के प्रमुख उद्योग समूह टाटा सन्स के चेयरमैन के पद पर रहे। एक वो समय था, जब खुद रतन टाटा ने अपनी सेवानिवृति का ऐलान करते हुए टाटा समूह की कमान मिस्त्री सौंपी थी। हालांकि, महज 4 साल बाद ही सायरस मिस्त्री के कुछ फैसलों ने रतन टाटा को वापस समूह का नेतृत्व करने के लिए मजबूर कर दिया। इन दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ चुका था कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और अदालत ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया था। पद से हटाए जाने के खिलाफ वो टाटा समूह से भिड़ गए और अंत तक अपने हक की लड़ाई लड़ते रहे।

टाटा और साइरस मिस्त्री दोनों ही पारसी परिवारों के बीच रिश्ते सिर्फ औद्योगिक स्तर पर ही नहीं थे, बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी है। दरअसल दोनों के ही पूर्वज पर्शिया (अब ईरान) से भारत के गुजरात में आए थे। शपूरजी-पलोनजी ग्रुप ने टाटा संस में शेयर हासिल किए थे, जब 1930 के दशक में टाटा ने एफई दिनशॉ एंड कंपनी को खरीदा था। हालांकि, टाटा कंपनी का कहना है कि मिस्त्री परिवार के पास 1965 तक टाटा का कोई शेयर नहीं था, लेकिन बाद में उन्होंने जेआरडी टाटा के भाइयों से इन शेयरों को खरीदा।

देश के औद्योगिक घराना शापूरजी पलोनजी परिवार से संबंध रखने वाले मिस्त्री को आपसी विवाद के बाद अक्टूबर 2016 में टाटा समूह के चेयरमैन पद और बाद में निदेशक मंडल से भी हटा दिया गया था। मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन रहे। मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कंपनी की कमान संभाली थी। टाटा सन्स में साइरस मिस्त्री के परिवार की 18.4 फीसदी की हिस्सेदारी है। टाटा संस के निदेशक मंडल से हटने के बाद साइरस मिस्त्री शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी के प्रबंध निदेशक एमडी के तौर पर कार्यरत थे।

दरअसल रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा की शादी अलू मिस्त्री से हुई थी, जो पलोनजी मिस्त्री की बेटी और सायरस मिस्त्री की बहन हैं। पलोनजी मिस्त्री खुद टाटा संस में निदेशक पद पर रहे। पलोनजी मिस्त्री को बॉम्बे हाउस (टाटा समूह का हेडक्वार्टर) का लोकप्रिय चेहरा कहा जाता था। टाटा एंपायर में उनका प्रभाव भी जबरदस्त रहा। साल 2006 में इसी पद पर साइरस मिस्त्री भी रहे। हालांकि, उनका कार्यकाल काफी विवादों भरा रहा और उनकी रतन टाटा से ठन गई, जिसके बाद उन्हें टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया, लेकिन उसके बाद जनवरी 2017 में एन चंद्रशेखरन टाटा संस के चेयरमैन बनाए गए। (एजेंसी, हि.स.)