Friday, November 22"खबर जो असर करे"

भाजपा की रगों में दौड़ता है सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भाजपा अपने जन्मकाल से ही सुशासन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति समर्पित है। यही उसका वैचारिक आधार और संबल है। इसके बल पर ही उसने जनता का विश्वास प्राप्त किया है। केंद्र और उत्तर प्रदेश में लगातर दूसरी बार पूर्ण बहुमत से उसे सरकार बनाने का अवसर मिला है। वस्तुतः जनसंघ की स्थापना ही इसी वैचारिक अवधारणा के साथ हुई थी। प्रारंभिक दशकों में उसका संख्याबल बल कांग्रेस के मुकाबले बहुत कमजोर था। मगर इस विचारधारा के आधार पर उसने देश की राजनीत में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में वह अन्य सभी पार्टियों से अलग रही। इससे उसका जनाधार बढ़ा ही नहीं अपितु उसने देश की राजनीति की दिशा और दशा ही बदल दी। भाजपा सरकार ने सुशासन की मिसाल कायम की है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। यह डबल इंजन सरकार है। इस दौरान अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए। सदियों से लंबित समस्याओं का समाधान हुआ। सुशासन और संस्कृति का नया अध्याय शुरू हुआ है।

भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का विचार व क्षेत्र व्यापक रहा है। राष्ट्रीय स्वाभिमान किसी देश को शक्तिशाली बनाने में सहायक होता है। तब उसके विचार पर दुनिया ध्यान देती है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ में किया। इस प्रस्ताव को न्यूनतम समय में सर्वाधिक देशों का समर्थन मिला। भारत ने कभी अपने मत पर प्रचार तलवार के बल पर नहीं किया। देश में इसी विचार के जागरण की आवश्यकता है।अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण व भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में है। राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण हो रहा है। राष्ट्रीय गौरव की वृद्धि हो रही है। समर्थ भारत का स्वप्न साकार हो रहा है।

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि विश्वगुरु होने की क्षमता केवल भारत के पास है। इस तथ्य का विस्मरण नहीं होना चाहिए। दुनिया में भारत की शाश्वत और मानवतावादी संस्कृति की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। भारत राजनीतिक रूप से परतंत्र हुआ था, लेकिन विश्व गुरु को सांस्कृतिक रूप से कभी गुलाम नहीं बनाया जा सकता। योगी सरकार ने प्रयागराज कुंभ का सफल आयोजन कर चुकी है। इसमें उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक लोग सहभागी हुए थे। देश-विदेश के करीब पच्चीस करोड़ लोगों ने संगम पर डुबकी लगाई। अपने पूर्वजों, सांस्कृतिक परम्पराओं पर गौरव की अनिभूति होनी चाहिए। भारत राष्ट्र बनने की प्रक्रिया कभी नहीं रहा। यह शाश्वत रचना है। इसका उल्लेख विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में भी है। इसमें कहा गया कि भारत हमारी माता है हम सब इसके पुत्र हैं। राष्ट्र की उन्नति प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। जो लोग भारत को नहीं जानते वो लोग भारत के बारे में गलत बात षड्यंत्र करके भारत को नक्सलवाद, उग्रवाद और आतंकवाद में धकेलने का प्रयास करते है। गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना भी भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप है। इसके प्रथम स्थापना दिवस समारोह में योगी का संबोधन भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप रहा। योगी ने कहा- यदि हम भगवान श्रीकृष्ण के दिए ज्ञान ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का अनुसरण करते हुए कार्य की अच्छी शुरुआत करेंगे तो उसकी शानदार सफलता कार्य प्रारम्भ होने के साथ ही परिलक्षित होने लगेगी।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना का यह भी एक प्रमुख उद्देश्य है कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी यही मंशा है कि भारत को शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में ग्लोबल नम्बर वन रैंक हासिल करनी है। आयुर्वेद के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं। आयुर्वेद के विद्यार्थी नए शोध कर उन्हें पेटेंट करा सकते हैं। आयुर्वेद के छात्र चिकित्सा हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर के साथ ही औषधीय पौधों के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। कोई भी ऐसी वनस्पति नहीं है,जिसमें औषधीय गुण न हों। आयुर्वेद के छात्र शोध के जरिए उन वनस्पतियों को आरोग्यता के अनुकूल बना सकते हैं।

महंत दिग्विजयनाथ ने वर्ष 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा की अलख जगाई थी। वर्ष 1956-57 में गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उन्होंने शिक्षा परिषद के दो कॉलेज दान में दे दिए थे। उनके ही मार्ग का अनुसरण महंत अवैद्यनाथ जी ने किया। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की परिकल्पना ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी ने ही की थी। इधर लखनऊ में नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी कहा कि योगी सरकार भाजपा के एजेंडे पर तेजी से कार्य कर रही है। भाजपा विचारधारा से जुडे़ लोगो का राष्ट्रवादी समूह है। प्रत्येक व्यक्ति को बिजली,पानी,सड़क, स्वास्थ्य,सुरक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित कराना और अराजकता, गुंडागर्दी व भ्रष्टाचार को समाप्त करना भाजपा का एजेंडा है। केंद्र सरकार ने पार्टी की प्रतिबद्धता के अनुरूप जम्मू कश्मीर में संवैधानिक सुधार किया है। सात दशक बाद यह क्षेत्र राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हुआ। प्रदेश में भाजपा सरकार से पहले अराजकता थी। रंगदारी का बोलबाला था। सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार था। बिजली नहीं आती थी। योगी सरकार ने प्रदेश को इन समस्याओं से मुक्त कराया।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)