– बृजनन्दन
भाजपा के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी भाजपा के भरोसेमंद सिपाही हैं। पार्टी ने गहन विचार मंथन के बाद इनके नाम की घोषणा की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय भूपेन्द्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों में भी लोकप्रिय हैं।
भूपेन्द्र की लोकप्रियता के कारण ही विधान सभा चुनाव 2022 में किसान आन्दोलन के प्रभाव के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की। अब उनके कंधे पर उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान है। भूपेन्द्र चौधरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने पिछड़े वर्ग के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को साधने का काम किया है। अब उनके सामने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद और राकेश टिकैत को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है।
सरकार के साथ संगठन कार्य का लम्बा अनुभव
भूपेन्द्र को योगी सरकार-2 में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इससे पहले की सरकार में वह पंचायती राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार थे। उन्होंने पंचायती राज्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 1.75 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराकर प्रदेश को स्वच्छता मिशन अभियान में प्रथम पायदान पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संगठन कार्य के मर्मज्ञ भूपेन्द्र ने कोरोनाकाल के दौरान भी सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। इस प्रकार सरकार के साथ-साथ संगठन में भी काम करने का उनका लंबा अनुभव है।
भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता से प्रदेश अध्यक्ष बने भूपेन्द्र चौधरी
भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता से पार्टी में काम करते-करते वह प्रदेश अध्यक्ष बने हैं। यह भाजपा में ही संभव है। भाजपा अकेला ऐसा राजनीतिक दल है जहां हर तीन वर्ष पर मण्डल अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक चुनाव होता है। भूपेन्द्र जिला कार्यसमिति के सदस्य, जिला कोषाध्यक्ष और जिला अध्यक्ष भी रहे हैं।। इसके बाद क्षेत्रीय मंत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगातार दो बार वह क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। भाजपा से पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और विश्व हिन्दू परिषद मुरादाबाद के जिला अध्यक्ष रह चुके थे। राम मंदिर आन्दोलन के दौरान इनकी संगठनात्मक क्षमता लोगों के ध्यान में आयी।
सरकार व संगठन के तालमेल से मजबूत होगी भाजपा
वह भाजपा की कार्य संस्कृति से भली भांति वाकिफ हैं। इसलिए उन्हें सरकार व संगठन में सामंजस्य बिठाने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि सरकार व संगठन की अपनी-अपनी जिम्मेदारियों हैं। सरकार व संगठन में अगर तालमेल रहेगा तभी 2024 का मिशन कामयाब होगा। इसलिए ऐसा व्यक्ति चाहिए था जिसके अंदर सांगठनिक क्षमता के साथ-साथ सरकार व संगठन में बेहतर तालमेल स्थापित कर सके।