मुंबई। मुंबई की कुल 36 विधानसभा सीटों पर 420 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं. सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी दोनों देश की आर्थिक राजधानी में वर्चस्व की लड़ाई में हैं. दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में विभाजन के बाद, हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के बाद मुंबई में अपनी ताकत का आकलन करने के लिए महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के बीच यह पहला आमना-सामना होगा.
मुंबई की 36 सीटों में से 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन महा विकास अघाड़ी में शामिल होने के बाद वह इस बार सिर्फ 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी मुंबई की 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछले चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) ने बीजेपी के साथ गठबंधन में मुंबई की 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एनसीपी शरद पवार गुट सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और एक सीट समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी गई है. बता दें कि अविभाजित एनसीपी ने 2019 में मुंबई की 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
2019 के चुनाव में, अविभाजित शिवसेना ने 19 में से 14 सीटें जीतीं और कांग्रेस ने केवल चार सीटें जीती थीं. अविभाजित राकांपा कुल छह सीटों में से केवल एक सीट जीतने में सफल रही थी. भाजपा ने 2019 में मुंबई की 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. महायुति गठबंधन में शामिल दलों में- बीजेपी इस बार 18 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और 16 सीटें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और 2 सीटें अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के लिए छोड़ी हैं. हालांकि, सहयोगियों की बढ़ती संख्या के कारण प्रत्येक पार्टी में उम्मीदवारी के लिए होड़ मच गई है, जिससे कई सीटों पर बगावत की स्थिति पैदा हो गई है.
भाजपा के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने दावा किया किआगामी विधानसभा चुनाव में मुंबई की 36 सीटों में से अधिकतम सीटें महायुति जीतेगी. वहीं, शिवसेना यूबीटी के एमएलसी अनिल परब ने कहा कि बीजेपी सत्ता हासिल करने की प्यास में अपने सहयोगियों को कमजोर बनाती है, मेरी पार्टी ने हमेशा अपने सहयोगियों को मजबूत किया है. दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने मुंबई में अपने 25 उम्मीदवार उतारे हैं. एमएनएस के मराठी मतदाताओं के वोटों में विभाजन करने की संभावना है, जिससे महायुति और एमवीए दोनों के लिए चुनौती बढ़ गई है.
मुंबई की इन सीटों पर होगा हाईवोल्टेज मुकाबला
वर्ली: शिवसेना यूबीटी के नेता आदित्य ठाकरे वर्ली से दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं. उन्हें यहां एमएनएस के संदीप देशपांडे और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के मिलिंद देवड़ा से त्रिकोणीय मुकाबले का सामना करना पड़ेगा. बता दें कि आदित्य ठाकरे ने 2019 में वर्ली सीट से जीत दर्ज की थी.
माहिम: माहिम में एक और त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिलेगी. यहां एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के लिए सबसे प्रतिष्ठित लड़ाई होगी, क्योंकि उनके बेटे अमित ठाकरे माहिम में शिवसेना के मौजूदा विधायक सदा सर्वणकर और शिवसेना यूबीटी उम्मीदवार महेश सावंत के खिलाफ मैदान में हैं.
बांद्रा पूर्व: पूर्व मंत्री दिवंगत बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद बांद्रा पूर्व के निवर्तमान कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी ने अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है. उनके पिता पहले ही कांग्रेस छोड़कर अजित पवार की पार्टी में शामिल हो गए थे, जिनकी 3 अक्टूबर, 2024 को गोली मारकर हत्या कर दी गई. उन्हें यहां शिवसेना यूबीटी नेता वरुण सरदेसाई से चुनौती का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा, मनसे ने पूर्व स्थानीय विधायक तृप्ति सावंत को मैदान में उतारा है, जबकि शिंदे गुट के पदाधिकारी कुणाल सरमालकर बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं, जिससे मुकाबला चतुष्कोणीय हो जाएगा.
मानखुर्द-शिवाजी नगर: गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के साथ कथित संबंधों के मामले में जमानत पर बाहर चल रहे पूर्व मंत्री नवाब मलिक को एनसीपी अजित गुट ने यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, शिंदे गुट ने सुरेश (बुलेट) पाटिल को यहां से मैदान में उतारा है और भाजपा भी उनका समर्थन कर रही है. मानखुर्द-शिवाजी नगर से समाजवाद पार्टी के निवर्तमान विधायक अबू आजमी को इस बार महायुति और अजित गुट के उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस के एक बागी निर्दलीय उम्मीदवार से भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
शिवड़ी: मौजूदा विधायक अजय चौधरी और पार्टी के वफादार और प्रसिद्ध ‘लालबाग चा राजा’ गणेश मंडल के अध्यक्ष सुधीर साल्वी के बीच उम्मीदवारी को लेकर शिवसेना यूबीटी में अंदरूनी कलह के बाद, उद्धव ठाकरे ने अजय चौधरी को शिवड़ी से अपनी पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया था. मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं और महायुति गठबंधन से अपने लिए समर्थन की मांग कर रहे हैं. हालांकि, शिंदे गुट के बागी नाना अंबोले एमवीए और एमएनएस दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ हैं यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे शिवड़ी में मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है.