Friday, November 15"खबर जो असर करे"

एग्री इंफ्रा फंड से बदल रहा किसानों का जीवन

-शिवराज सिंह चौहान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का किसानों के प्रति गहरा प्रेम और संवेदनशीलता, उनके द्वारा लिए गए निर्णय, नीतियों और योजनाओं में स्पष्ट नजर आती है। अन्नदाताओं का जीवन बदलना ही उनका प्रथम लक्ष्य है और संकल्प भी। यही कारण है कि सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में कृषि और किसान सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहे l उनके नेतृत्व में, सरकार किसानों के सशक्तीकरण और कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए अभूतपूर्व प्रयास कर रही है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) जैसी नीतियों में स्पष्ट रूप से झलकता है।

भारत में फसल के बाद होने वाला नुकसान बड़ी चुनौती है, जो कृषि क्षेत्र की क्षमता और लाखों किसानों की कड़ी मेहनत को प्रभावित कर रहे हैं। हाल के अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष इसके कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 16-18% नष्ट हो जाता है l ये नुकसान कटाई, थ्रेसिंग, भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण सहित विभिन्न चरणों के दौरान होते हैं। उचित भंडारण की कमी, कोल्ड चेन और अपर्याप्त प्रसंस्करण इकाइयाँ, कुशल लॉजिस्टिक्स का अभाव इन बड़े नुकसानों में योगदान करते हैं, जिससे देश की समग्र खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इन्हे मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार नए सिरे से काम कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए नवाचार के नित नये उपाय किये जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के शोध को लैब से लैंड तक पहुंचाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है, जिससे किसानों की उत्पादन की लागत घटे और फायदा ज्यादा हो। प्रधानमंत्री दूरदृष्टा हैं जिनके द्वारा जुलाई 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में एआईएफ की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने और खाद्यान्न की बर्बादी को कम करने के लिए कृषि परिसंपत्तियों के माध्यम से फसलोपरांत प्रबंधन परियोजनाओं और नए युग की तकनीकों को बढ़ावा देकर इन चुनौतियों का समाधान करना है। एआईएफ के तहत, बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 3% प्रति वर्ष की ब्याज छूट और सीजीटीएमएसई के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज के साथ ऋण के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से सरकार का उद्देश्य न केवल उपज की गुणवत्ता और मात्रा को संरक्षित करना है, बल्कि किसानों को बाजारों तक अधिक कुशलता से पहुँचने में सक्षम बनाना है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व के परिणामस्वरूप अगस्त 2024 तक योजना के लाभ के लिए पात्र 35,747 करोड़ रुपये सहित इस योजना के तहत स्वीकृत राशि 47,500 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है और 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण हो चुका है। उल्लेखनीय रूप से स्वीकृत परियोजनाओं में से 54% योजनाएं किसानों, सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं, जो प्रधानमंत्री की प्राथमिकता के अनुरूप खेत-स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में किसानों की मजबूत भागीदारी को प्रदर्शित करती हैं।

कृषि उपज का फसलोपरांत नुकसान का समाधान हो सके, इस दिशा में प्रधानमंत्री मोदी अत्यंत गंभीर है। उन्होंने भंडारण (ड्राई और कोल्ड), परिवहन आदि में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी है, ताकि किसानों को फसल नुकसान से बचाया जा सके। शुष्क भंडारण के संदर्भ में, खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में भारत में 1740 लाख मीट्रिक टन क्षमता के स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है और वर्तमान में भारत में कुल अनाज उत्पादन की भंडारण क्षमता 44% है, जो बहुत कम है। इसी प्रकार बागवानी उत्पादों के लिए भारत में लगभग 441.9 लाख मीट्रिक टन भंडारण की कोल्ड चेन क्षमता है जो देश में फलों और सब्जियों के उत्पादन का केवल 15.72% है। इन पूर्ण परियोजनाओं ने क्षेत्र की भंडारण क्षमता में लगभग 500 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि की है। परिणामस्वरूप, नई शुष्क भंडारण सुविधाएं प्रति वर्ष 18.6 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का संरक्षण कर रही हैं, जिससे लगभग 5,700 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। साथ ही, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उचित कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के विकास से बागवानी उत्पादों के नुकसान में 10% की कमी आई है, जिससे फसलोपरांत 3.5 लाख मीट्रिक टन उपज सुरक्षित हो रही है और हर साल लगभग 1,250 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। प्रधानमंत्री का कृषि क्षेत्र और किसानों के प्रति यह समर्पण न केवल उनके आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में है, बल्कि उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में एआईएफ से कृषि अवसंरचनाओं के विकास को नई गति मिली है। अगस्त 2024 तक, एआईएफ के तहत देश भर में एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित 74,695 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन इंफ्रास्ट्रक्चर में 18,508 कस्टम हायरिंग सेंटर, 16,238 प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, 13,702 गोदाम, 3,095 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां, 1901 कोल्ड स्टोर और कोल्ड चेन और 21,251 अन्य प्रकार के एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। 74,695 परियोजनाओं की मंजूरी से कृषि क्षेत्र में कुल 78,702 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ है, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी है, बल्कि युवाओं और किसानों के बीच उद्यमशीलता को भी प्रोत्साहित किया है, जिससे लगभग 50,000 नए कृषि उद्यम स्थापित हुए हैं। सरकार के प्रयासों से युवा भी कृषि की और आकर्षित हो रहे हैं, जो कृषि क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इन प्रयासों ने 800,000 से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए हैं और भविष्य में यह संख्या और भी बढ़ेगी, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 2.5 मिलियन नौकरियों का सृजन होगा।

सरकार की कल्याणकारी नीतियों से किसानों की कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव आया है। खेत पर उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से किसानों को सीधे व्यापक उपभोक्ता आधार को बेचने की सुविधा मिली है, जिससे मूल्य प्राप्ति में वृद्धि हुई है और उनकी समग्र आय में वृद्धि हुई है। आधुनिक पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज सिस्टम के कारण किसान अपनी बाजार बिक्री को समयबद्ध ढंग से अधिक रणनीतिक रूप से कर सकते हैं, जिससे बेहतर मूल्य प्राप्ति होती है। औसतन, इस इंफ्रास्ट्रक्चर ने किसानों को अपनी उपज के लिए 11-14% अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।

सरकार की नीतियाँ न केवल एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्रोत्साहित कर रही हैं, बल्कि ऋण जोखिम को भी कम कर रही हैं। क्रेडिट गारंटी समर्थन और ब्याज छूट के माध्यम से ऋण देने वाली संस्थाएं न्यूनतम जोखिम के साथ ऋण दे सकती हैं, जिससे उनके ग्राहक आधार और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन का विस्तार करने में सहायता मिलती है। विशेष रूप से, इस फंड ने नाबार्ड की पुनर्वित्त सुविधा के साथ मिलकर एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में शामिल प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के लिए प्रभावी ब्याज दर को घटाकर 1% कर दिया है। इससे इन पैक्स से जुड़े हजारों किसानों को महत्वपूर्ण लाभ हुआ है। आज तक, एआईएफ के तहत 2,970 करोड़ रुपए के ऋण के साथ 9,573 पैक्स परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें नाबार्ड से सैद्धांतिक मंजूरी भी शामिल है।

एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी एआईएफ योजना में प्रगतिशील वृद्धि की एक श्रृंखला शुरू की है, जिससे यह अधिक समावेशी और काफी हद तक अधिक प्रभावशाली बन गई है। सरकार का प्रयास है कि कृषि लाभ का धंधा बने और किसानों की आय बढ़े, इसके लिए हमने छह सूत्रीय रणनीति बनाई है। उत्पादन बढ़ाना, खेती की लागत कम करना, उत्पादन के ठीक दाम दिलाना, प्राकृतिक आपदा में राहत की उचित राशि दिलाना, कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती। वर्तमान में, कृषि परिसंपत्ति विकास के लिए कुछ आशाजनक परियोजनाएँ, जैसे कि हाइड्रोपोनिक खेती, मशरूम की खेती, वर्टिकल फार्मिंग, एरोपोनिक खेती, पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस, किसान समूहों और सामूहिकों के लिए आरक्षित हैं। हाल ही में इसके दायरे में विस्तार के कारण इन उपक्रमों को अब एआईएफ के तहत व्यक्तिगत किसानों को मंजूरी दी जा सकती है। इसी तरह, फसलोपरांत प्रबंधन की गतिविधियाँ केवल प्राथमिक प्रसंस्करण तक ही सीमित थीं। अब दिशा-निर्देशों का विस्तार करके इसे एकीकृत प्रसंस्करण बनाया गया है, जिसमें प्राथमिक और द्वितीयक प्रसंस्करण दोनों शामिल हैं, जिससे परियोजना की व्यवहार्यता में वृद्धि हुई है और किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिली है।

इसके अलावा, पीएम कुसुम योजना का घटक-ए, जो बंजर, परती, खेती योग्य, चरागाह या दलदली भूमि पर 2 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की सुविधा प्रदान करता है, अब एआईएफ योजना के साथ सहजता से जोड़ा जा सकता है। यह रणनीतिक कन्वर्जेंस व्यक्तिगत किसानों और समूहों, दोनों को सशक्त बनाएगा, उनकी भूमिका को अन्नदाता से ऊर्जादाता तक बढ़ाएगा, साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देगा।इसके अतिरिक्त, इस संशोधन के बाद एफपीओ यानी एनएबी संरक्षण ट्रस्टी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के लिए विशेष रूप से समर्पित क्रेडिट गारंटी कवर विंडो एआईएफ लाभार्थियों के लिए खुली रहेगी, जहां गारंटी शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होगा।

ये परिवर्तन प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाएंगे, खाद्य उत्पादन में विविधता लाएंगे और उपज की गुणवत्ता में सुधार करेंगे। वे शेल्फ लाइफ बढ़ाएंगे, परिवहन क्षमता को बढ़ावा देंगे और ग्रामीण आपूर्ति को शहरी मांग से जोड़ेंगे। इसके अतिरिक्त, ये परिवर्तन रोजगार सृजित करने, इनपुट लागत कम करने, पैदावार बढ़ाने और कृषि दक्षता को बढ़ाने के लिए तैयार हैं, जिससे पर्याप्त रूप से ग्रामीण विकास होगा। एआईएफ एक स्थायी समाधान प्रदान कर रहा है, जो कृषि क्षेत्र के विकास और भारतीय किसानों के सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

(लेखक, केंद्रीय कृषि मंत्री हैं।)