Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मप्र के 63.54 फीसदी घरों में पहुंचा नल से जल, बहनों का जीवन हुआ आसान

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) 71 लाख पांच हजार घरों (71 lakh five thousand houses) में नल से जल (tap water) उपलब्ध कराकर देश के अव्वल राज्यों (top states of the country) में शामिल हो गया है। यह लक्षित घरों का 63.54 प्रतिशत है। घरों में नल लगने से गाँवों की बहनों का जीवन आसान हो गया है। कई बहनें जल सखी बनकर ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के सदस्य के रूप में काम कर रही है। यह जानकारी बुधवार को जनसम्पर्क अधिकारी अवनीश सोमकुअर ने दी।

उन्होंने बताया कि पिछले साल छिंदवाड़ा के गढ़मऊ गांव की जल योद्धा अनीता चौधरी को नल-जल योजना के उत्कृष्ट क्रियान्वयन एवं संधारण के लिए विज्ञान भवन नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान से पुरस्कृत किया था। अनीता चौधरी ने सामुदायिक योगदान के लिए अपने गांव के लोगों को प्रेरित कर गाँव की जलापूर्ति योजना के लिये गांव के सभी परिवारों से सामुदायिक अंशदान की राशि दो लाख 88 हजार 135 रुपये इकटठा किए। अब अनिता चौधरी को गांव में जल योद्धा के नाम से जानते हैं।

वहीं, निवाड़ी जिले के टीला ग्राम पंचायत के टीला गांव की छात्रा मोनिका गौतम कहती हैं कि नल-जल योजना से पहले पानी की ज्यादा समस्या होती थी। हमारे घर से एक किलोमीटर दूर लगे हैण्डपम्प से पानी भरने जाना पड़ता था। कई बार समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाती थी। पढ़ाई का बहुत नुकसान होता था। जब से गांव में नल से जल मिलने लगा है, तब से घर पर ही पानी मिल रहा है। समय पर स्कूल भी जा पा रही हूँ। अब पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में मम्मी की मदद भी करती हूँ।

मुरैना जिले के गांव घडोर की रहने वाली त्रिवेणी जाटव कहती हैं कि पहले जब हमारे गांव में नल-जल योजना नहीं थी तब गाँव में पानी की व्यवस्था को लेकर बहुत समस्याएं थी। गांव के लोग दूर चलकर बड़ी मुश्किल से पानी लाते थे, जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। गर्मी के मौसम में पेयजल की स्थिति बहुत ही गंभीर हो जाती थी। गांव में जल स्रोत भी सीमित हैं। गर्मी के मौसम में जल स्तर नीचे चले जाने से जल संकट पैदा हो जाता था। नरेहला ग्रामीण समृद्ध जल प्रदाय योजना हमारे गाँव में आई तब से घर पर ही नल से शुद्ध पेयजल मिलने लगा है। शुद्ध पानी से परिवारजनों के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है।

नीमच जिले के गांव पड़दा की ललिता बैरागी ने अपने घर के दरवाजे पर नल से जल पाने की खुशी का इजहार करते हुए बताया कि घर-घर नल कनेक्शन होने से गांव वालों के चेहरे खिल उठे हैं। पहले हैण्डपम्प ही सहारा था। लम्बी लाईन लगानी पड़ती थी। कई बार पानी भरने के लिये एक दूसरे से कहा-सुनी भी हो जाती थी। पड़दा गांव कभी बूंद-बूंद पानी को तरसता था मगर जल जीवन मिशन में गंगा बावड़ी समूह जल प्रदाय योजना ने ग्रामीणों की प्यास बुझाई। अब पेयजल घर पर ही नियमित रूप से प्राप्त हो रहा है। फील्ड टेस्टिंग किट से लगातार पानी की गुणवत्ता की जांच भी की जाती है।

दतिया जिले के गांव बसई की पुष्पा वंशकार का कहना है कि पहले काफी दूर से रात भर जाग कर हैण्डपम्प से साइकिल पर लादकर पानी लाना पड़ता था। बसई ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना से घर पर ही नल से शुद्ध जल मिलने लगा है।

सीहोर जिले के ग्राम कोसमी की रहने वाली निशा सोलंकी बताती हैं कि गर्मी में कुंए का पानी सूख जाता था तो दूर पैदल चलकर नदी से पानी लाना पड़ता था। हमारा काफी समय बर्बाद होता था। अब पानी की समस्या दूर हो गई है। बच्चों को समय पर स्कूल भेज पा रही हूं। इसी जिले की गीता प्रजापति कहती हैं कि जल जीवन मिशन से खुशहाली आई है। समय पर खाना बना पा रहे हैं। घर के कामों को समय पर कर पाते हैं। पानी लाने की परेशानियां खत्म हो गई है।