नई दिल्ली। अमेरिकी वकील ने अदालत में कहा कि कनाडाई-पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा, जिसने 2008 के 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में भूमिका निभाई थी, को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। राणा को भारत लाने के लिए भारत सरकार की वर्षों पुरानी कोशिशों में यह नवीनतम प्रगति है।
मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत भेजा जा सकता है। अमेरिका के एक अटॉर्नी ने वहां की अदालत में यह बात कही। सहायक अमेरिकी अटॉर्नी ब्राम एल्डेन अमेरिकी की एक अदालत में अंतिम दलीलें दे रहे थे, जहां राणा ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी ‘डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ के आदेश के खिलाफ अपील की है।पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी राणा ने मई में अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी को भारत भेजे जाने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था। एल्डेन ने कहा कि राणा को संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। भारत ने आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाने की संभावित वजह साबित की है। इन हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी और 239 लोग घायल हुए थे। एल्डेन ने 5 जून को अदालत में दलीलें पेश करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका दोनों संधि के प्रावधान पर सहमत हुए हैं।
बता दें कि अभी लॉस एंजिलिस की जेल में बंद राणा मुंबई हमलों में अपनी भागीदारी के आरोपों का सामना कर रहा है। उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का साथी माना जाता है, जो 26/11 के मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। राणा की पैरवी कर रहे वकील जॉन डी क्लाइन ने कहा कि संभावित वजह का समर्थन करने वाला कोई उचित सबूत नहीं है। एल्डेन ने कहा कि संभावित वजह का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत है कि राणा जानता था कि 2006 और 2008 के बीच भारत में क्या होने जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘उसने कई बार डेविड हेडली से मुलाकात की। ऐसे दस्तावेजी सबूत हैं जो हेडली की गवाही का समर्थन करते हैं, जिसमें नकली वीज़ा आवेदन भी शामिल हैं जो इसलिए दिए गए थे कि हेडली आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए निगरानी करने के वास्ते भारत में एक फर्जी कारोबार चला सके।’