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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी कदम

– डॉ. एमएल जाट

फरवरी 2019 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना, देशभर के किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। यह योजना कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने तथा ग्रामीण समुदायों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण प्रदान करके उनकी आय में वृद्धि करना है ताकि उनकी ग्रामीण आजीविका में सुधार हो सके। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से शुरू की गई पीएम-किसान योजना का उद्देश्य भूमिधारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना है। तीन बराबर किस्तों में वितरित 6,000 रुपये के वार्षिक लाभ के साथ, यह योजना किसानों को आवश्यक कृषि व्यय पूरा करने और साहूकारों पर निर्भरता से बचाने में मदद करती है। यह वित्तीय सहायता परिवर्तनकारी सिद्ध हुई है, जिससे किसान उपकरण, बीज, उर्वरक, कीटनाशक एवं अन्य कृषि इनपुट में निवेश करने में सक्षम हुए हैं और फसल की पैदावार, कृषि उत्पादकता एवं स्थिरता में वृद्धि हुई है।

पीएम-किसान योजना प्रारंभ होने के बाद से 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.02 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है, जो इस योजना के तहत 16वीं किस्त के माध्यम से भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके अलावा, हाल ही में 20,000 करोड़ रुपये की 17वीं किस्त ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, जिससे कुल वितरण 3.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इस योजना का आर्थिक प्रभाव और पहुंच गहरी रही है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) के एक अध्ययन में पाया गया कि उत्तर प्रदेश में पीएम-किसान लाभार्थियों को बिना किसी लीकेज के पूरी राशि प्राप्त हुई, जिससे कृषि में निवेश करने की उनकी क्षमता में काफी सुधार हुआ। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में 3.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता से न केवल किसानों की वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा मिला है, बल्कि स्थानीय बाजारों और सेवाओं को भी गति मिली है।

पीएम-किसान योजना सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के प्रभावी एकीकरण के कारण सबसे अलग है। इस योजना में किसानों के बैंक खातों में सीधे पारदर्शी और समय पर धन वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) तंत्र का उपयोग किया जाता है। आधार, सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के साथ एकीकरण द्वारा सुगम यह विधि धोखाधड़ी के जोखिम को कम करती है और यह सुनिश्चित करती है कि इसका लाभ इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंच सके। इस योजना के लिए विशेष रूप से शुरू किया गया पीएम-किसान पोर्टल लाभार्थियों को वैधीकृत करने के लिए विभिन्न डेटा बिंदुओं को एकीकृत करता है, जिससे पात्र किसानों को लाभ प्रदान करना सुनिश्चित हो पाता है। इसके अतिरिक्त, आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य हो गया है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में अतिरिक्त वृद्धि हुई है।

लाभार्थियों की सहायता के लिए, पीएम-किसान योजना में अनेक अभिनव सहायता पहल शामिल हैं। समर्पित वेब पोर्टल, मोबाइल एप्लिकेशन और एसएमएस अलर्ट किसानों को अपनी स्थिति को ट्रैक करने, ई-केवाईसी पूरा करने और उनकी शिकायतों को दूर करने में सक्षम बनाते हैं। “अपनी स्थिति जानें” (केवाईएस) मॉड्यूल किसानों को एक क्लिक पर उनके पंजीकरण और लाभ की स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। इसने किसानों को रियल टाइम जानकारी प्रदान करके सशक्त बनाया है और बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम कर दी है। इसके अलावा, एआई-संचालित चैटबॉट किसान ई-मित्र की शुरुआत ने किसानों के लिए सहायता में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जो 11 भाषाओं में रियल टाइम सहायता प्रदान करता है। यह सेवा पांच लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) और भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) के साथ मिलकर, योजना से संबंधित सेवाओं को किसानों के दरवाजे तक पहुंचाती है, जिससे समावेशिता और पहुंच सुनिश्चित होती है।

आगे की राहः केंद्र सरकार पीएम-किसान योजना को परिष्कृत और विस्तारित करने का काम जारी रखे हुए है। विकसित भारत संकल्प यात्रा के अंग के रूप में, इस राष्ट्रव्यापी अभियान का लक्ष्य सभी पात्र किसानों को शामिल करना है, जिसमें एक करोड़ से अधिक अतिरिक्त किसान पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। किसान कॉल सेंटर और फील्ड सर्वेक्षणों के माध्यम से निरंतर फीडबैक यह सुनिश्चित करता है कि यह योजना अपने लाभार्थियों की जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए विकसित हो सके। इस योजना का मजबूत शिकायत निवारण तंत्र, जिसकी समाधान दर लगभग 99 प्रतिशत है, किसानों की समस्याओं का त्वरित निपटान करने की इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गांव-स्तर के नोडल अधिकारी जमीनी स्तर पर सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिससे योजना की पहुंच और प्रभावशीलता में वृद्धि हो रही है।

जैसे-जैसे पीएम-किसान अपने अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है कि हर पात्र किसान को इस योजना का लाभ मिल सके। वित्तीय सहायता, तकनीकी एकीकरण और निरंतर नवाचार के मिश्रण के साथ, पीएम-किसान भारत की कृषि और ग्रामीण विकास कार्यनीति का एक प्रमुख आधार बना रहेगा, जो एक आत्मनिर्भर और समृद्ध कृषक समुदाय को बढ़ावा देगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के साथ डिजिटल पब्लिक इंफ्रॉस्ट्रक्चर (डीपीआई) पर भारत सरकार की पहल के साथ पीएम-किसान को जोड़ने से इस योजना के वितरण को और मजबूती मिलेगी।

(लेखक, ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम ऑन रेसिलिएंट फार्म ऐंड फूड सिस्टम्स के निदेशक हैं।)