– योगेश कुमार गोयल
योग का भारत में संस्कृति के साथ सदियों पुराना जुड़ाव है। यूं भी कह सकते हैं कि भारत में योग की शुरुआत भारतीय संस्कृति के साथ जुड़ी है। भारत ने पूरी दुनिया को योग करना सिखाया है और भारत के कारण ही दुनिया के तमाम देश अब योग की महत्ता को समझने लगे हैं। करीब 5000 वर्ष पहले भारत से शुरू हुई योग की परंपरा शरीर और मन के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन प्राप्त करने के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन को जोड़ती है। ‘योग’ शब्द संस्कृत से लिया गया है। इसका अर्थ है ‘जुड़ना’ अथवा ‘एकजुट होना’, जो शरीर और चेतना के मिलन का प्रतीक है। भारत की प्राचीन परंपराओं में गहराई से निहित योग वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक कल्याण के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को वैश्विक मान्यता मिलने के बाद से पिछले 10 वर्ष में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर कई रिकॉर्ड बने हैं।
2015 से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के नाम कई रिकॉर्ड ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हो चुके हैं। 2015 में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दिल्ली में राजपथ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कुल 35,985 भारतीयों ने एक साथ योग करके सबसे बड़े योग सत्र का पहला विश्व रिकॉर्ड बनाया, जबकि दूसरा रिकॉर्ड एक ही स्थान पर योग सत्र में कुल 84 देशों के भाग लेने पर बना था। योग को लेकर एक विश्व रिकॉर्ड तब बना, जब 2018 में राजस्थान के कोटा में करीब 1.05 लाख लोगों ने एक साथ योगाभ्यास किया था। 2023 में दुनियाभर से कुल 23.4 करोड़ लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भाग लेकर भी विश्व रिकॉर्ड कायम किया, वहीं 2023 में ही गुजरात के सूरत में योग दिवस कार्यक्रम में योग सत्र में 1.53 लाख लोगों ने एक साथ हिस्सा लेकर नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उस योग कार्यक्रम के लिए करीब 300 मीटर चौड़ी दो सड़कों के चार किलोमीटर लंबे हिस्से को योग प्रतिभागियों के लिए कालीन से ढ़का गया था।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इस वर्ष तो कई रिकॉर्ड बने। देश-विदेश में फैली आध्यात्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज ने भी इस अवसर पर एक नया रिकॉर्ड कायम किया। ब्रह्माकुमारीज के आबूरोड स्थित अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय के साथ 140 देशों में फैले इसके 9000 केंद्रों पर करीब एक करोड़ लोगों ने एक साथ योग किया जबकि आबूरोड स्थित मुख्यालय पर 10 हजार लोगों ने एक साथ योगाभ्यास किया। हिमालयन सिद्ध योग गुरु अक्षर के दूरदर्शी नेतृत्व में तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक नया इतिहास रचा गया। ‘अक्षर योग केंद्र’ ने 5 विशिष्ट योगासनों का वैश्विक मानकों पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन करके पांच नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और 10वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव कार्यक्रमों की शृंखला में आयोजित इस स्पर्धा के जरिये योग की सार्वभौमिक अपील यानी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए इसके गहन लाभों का संदेश पूरी दुनिया देने का प्रयास किया गया। इन पांच वैश्विक कीर्तिमान स्थापित करने वाले आसनों में नौकासन, कौंडिन्य आसन (ऋषि कौंडिन्य मुद्रा), चक्रासन, भगवान शिव की एक मुद्रा नटराजासन, पांच मिनट तक लगातार सूर्य नमस्कार का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
हालांकि अक्षर योग केंद्र ने त्रिपुरा वासिनी, पैलेस ग्राउंड, बेंगलुरु में प्रभावशाली वैश्विक भागीदारी में सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं को पार करने की योग की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए कुल सात आसनों के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए प्रयास किया था लेकिन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की अंतरराष्ट्रीय टीम ने सभी मानकों का अध्ययन करने के बाद इनमें से पांच आसनों में रिकॉर्ड को मान्यता प्रदान की जबकि दो आसनों पर रिकॉर्ड की मान्यता अभी समीक्षाधीन है, जिन्हें विचार के लिए लंदन भेजा जाएगा। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के वरिष्ठ निर्णायक स्वप्निल डांगरीकर और ऋषिनाथ के मुताबिक 5 रिकॉर्ड सफलतापूर्वक पूरे किए गए थे। इसकी पुष्टि करते हुए स्वप्निल डांगरीकर का कहना था, ”मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि टीम अक्षर योग केंद्र ने सफलतापूर्वक 5 नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड खिताब स्थापित किए हैं और मुझे याद नहीं आता कि मैंने एक ही दिन में इतने सारे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रमाणपत्र दिए हैं।”
अक्षर योग केंद्र द्वारा ये विश्व रिकार्ड बनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें छात्र, अनाथालयों के बच्चे, व्यापारिक समुदाय के सदस्य और कॉरपोरेट घराने भी शामिल थे। इसमें भाग लेने वाले एनसीसी ग्रुप ‘ए’ बेंगलुरु के 1200 से अधिक एनसीसी कैडेटों का भी विशेष योगदान रहा। उनके साथ उप महानिदेशक, एनसीसी डीटीई कर्नाटक और गोवा, ग्रुप कमांडर, एनसीसी ग्रुप मुख्यालय ‘ए’ बेंगलुरु, कमांडिंग ऑफिसर, एसोसिएट एनसीसी अधिकारी, ग्रुप ‘ए’ एनसीसी बटालियन के स्थायी प्रशिक्षक भी इस भव्य आयोजन का हिस्सा थे। इस गरिमामय समारोह में 20 से अधिक विभिन्न देशों के प्रतिभागी शामिल हुए। हिमालयन सिद्ध योग गुरु अक्षर के अनुसार योग दिवस के मौके पर ये रिकॉर्ड बनाने का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर योग के असंख्य लाभों के बारे में जागरुकता बढ़ाना, दुनियाभर के लोगों को समग्र स्वास्थ्य और आंतरिक शांति के लिए इस अभ्यास को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित करना है। हिमालयन सिद्ध अक्षर के नेतृत्व में इस अवसर पर योग के गहन प्रभावों पर भी प्रकाश डाला गया, साथ ही समर्पित अभ्यास के माध्यम से अनुशासन का प्रदर्शन किया गया।
उल्लेखनीय है कि शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित अक्षर योग केंद्र इसके विविध लाभों को प्रदर्शित करने के लिए नियमित रूप से फिटनेस शिविर, मुद्रा कार्यशालाएं और ध्यान सत्र आयोजित करता है। हिमालयन सिद्ध अक्षर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित एक आध्यात्मिक योग गुरु हैं, जो अक्षर योग केंद्र के संस्थापक, अध्यक्ष, पाठ्यक्रम निदेशक, विश्व योग संगठन के अध्यक्ष तथा अंतरराष्ट्रीय सिद्ध फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। योग गुरु अक्षर का कहना है कि योग शरीर, मन और आत्मा का एक अभिन्न अंग है। योग इन तत्वों को एकजुट करता है और मानवता के लिए एक अनमोल उपहार के रूप में कार्य करता है। एक साथ पांच विश्व रिकॉर्ड कायम करने की उपलब्धि को लेकर उनका कहना है कि यह अविस्मरणीय घटना वास्तव में लोगों के लिए एक आशीर्वाद है, जो उन्हें योग के अभ्यास को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यह दुनियाभर में एक शक्तिशाली संदेश भेजती है, जिससे हर किसी को योग के गहन महत्व और इसके लाभों का अहसास होता है। इसके अलावा यह उपलब्धि हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करती है, साथ ही समग्र स्वास्थ्य और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देने में वैश्विक नेता के रूप में भारत की स्थिति को भी मजबूत करती है।
अक्षर योग केंद्र द्वारा एक साथ बनाए गए पांच विश्व रिकॉर्ड के अलावा एशियन योग चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता 20 वर्षीया भूमि तिवारी ने भी जश्न-ए-आजादी ट्रस्ट और भारतीय आदर्श योग संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मोती महल के लॉन में आयोजित 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम के दौरान ‘रामदूत आसन’ की मुद्रा को निरंतर 35 मिनट और 27 सेकेंड तक बनाए रखते हुए नया कीर्तिमान स्थापित किया। भूमि के मुताबिक ‘रामदूत आसन’ में पैरों को विपरीत दिशाओं में सबसे ज्यादा फैलाना और फिर सामने वाले पैर की उंगलियों को छूने के लिए झुकना होता है और यह सबसे कठिन ‘डी’ श्रेणी का आसन है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में 0.9 अंक प्राप्त हुआ है। भूमि तिवारी द्वारा बनाए गए इस नए रिकॉर्ड की सूचना ‘योगासन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड काउंसिल’ को दी गई है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)