Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मंकीपॉक्स से बचाव में होम्योपैथिक औषधियां कारगर

– डॉ. एमडी सिंह

कोरोना अभी ठीक से खत्म नहीं हुआ है कि अब मंकीपॉक्स की दस्तक ने लोगों को एक नए खौफ में डाल दिया है। मंकीपॉक्स एक ऐसा वायरस है जो मनुष्य से मनुष्य में फैलता है। यानी अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित के संपर्क में आता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है। मंकीपॉक्स ने केंद्र और राज्यों की सरकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

मंकीपॉक्स कोई नया रोग नहीं है। यह एक स्मॉल पॉक्स की फैमिली के वायरस द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। जिसे पहली बार डेनमार्क की एक प्रयोगशाला में प्रयोगों के लिए लाए गए दो बंदरों में 1958 में पाया गया। बंदरों के अतिरिक्त इसे चूहों और गिलहरियों को भी संक्रमित करते हुए पाया गया है। इन्हीं जानवरों से यह मनुष्य तक पहुंचा। वैसे तो यह कोविड-19 जैसे ही फैलने वाला संक्रामक रोग है, लेकिन भयभीत होने की नहीं इससे सतर्क रहने की जरूरत है। यह अब तक 78 देशों तक पहुंच चुका है। अब तक दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्यों में संक्रमित मरीज मिल चुके हैं।

यह आंकड़ा पूरी तरह कोविड-19 की पुनरावृत्ति है, लेकिन ज्यादा डराने वाली बात यह है कि जिसमें कहा गया कि कुछ युद्धरत देश इसका प्रयोग बायोलॉजिकल हथियार के रूप में कर सकते हैं। इसलिए सारी दुनिया और चिकित्सा पद्धतियों को सतर्क हो जाने की जरूरत है। तीन दिन पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसको लेकर वर्ल्ड इमरजेंसी की बात कही है।

संक्रमित जानवर अथवा मनुष्य के सीधे संपर्क में आने से यह वायरस मुंह, नाक, आंख, कटी-फटी त्वचा एवं शारीरिक संसर्ग के रास्ते अन्य मनुष्य अथवा जानवर तक पहुंच जाता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए बिस्तर अथवा वस्त्रों द्वारा भी इसका संक्रमण संभव है। 42 वर्ष से नीचे वाले हर उम्र के पुरुष, महिला और बच्चे इससे संक्रमित हो सकते हैं। जिन्हें स्मॉलपॉक्स का टीका लग चुका है अथवा स्मॉलपॉक्स हो चुका है वे इस रोग से संक्रमित नहीं होंगे। भारत की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा नवयुवकों का है इसलिए हमारे यहां संक्रमित हो सकने वाली जनसंख्या अन्य देशों की तुलना में काफी बड़ी है।

इनक्यूबेशन पीरियड
यह रोग के लक्षण मिलने के पहले का वह समय है जिसमें नए संक्रमित मरीज के भीतर संक्रामक वायरस अपनी कॉलोनी विकसित कर रहा होता है। इस संक्रमण में वह समय 3 से 7 दिन का है।

लक्षणः सर्वप्रथम सर दर्द, बुखार और बदन दर्द के लक्षण प्रकट होते हैं। फिर छाती और आर्मपिट में लाल रंग रैशेज दिखाई पड़ते हैं, जिनमें तेज खुजली होती है। स्मॉलपॉक्स की तरह के छाले सर्वप्रथम चेहरे पर दिखाई पड़ते हैं फिर हाथ-पैर के तलवों में यह छाले ज्यादा निकलते हैं। एक-दो दिन बाद इन छालों का प्रकोप पूरे शरीर पर दिखाई पड़ने लगता है। पानी भरे छालों में खुजली रहती है। स्मॉलपाॅक्स की तरह मंकीपॉक्स के छालों में भी क्रमशः परिवर्तन होते हैं। बाद में छालों में मवाद भर जाता है। दो-तीन दिन उपरांत यह मवाद भी सूख कर चालू पर मोटी-मोटी पिपड़िया (स्केल्स) पड़ जाती हैं। अंत में सारे स्केल्स धीरे-धीरे छूटकर गिर जाते हैं और त्वचा पर गहरे दाग छोड़ते हैं। इस रोग की संक्रामक अवस्था 14 से 16 दिन तक की है।

बचावः संक्रमित देशों की यात्रा करने से बचा जाए। अथवा जिस एरिया में संक्रमित मरीज मिले हों वहां न जाया जाए। बंदर चूहे और गिलहरियों से दूर रह जाए। संक्रमित मनुष्य के सीधे संपर्क में आने से बचा जाए। संक्रमित व्यक्ति को चेचक के लिए बने अस्पताल अथवा घर में ही किसी अलग कमरे में आइसोलेट किया जाए। संक्रमित देशों अथवा जगह से लौटे यात्रियों की हवाई अड्डों पर ही जांच करवाई जाए। होटलों और ट्रेन में एपिडेमिक के समय पहले से बिछे बिछावन का प्रयोग ना करें। टीकाकरण करवाया जाए। अनावश्यक भयभीत होकर अपने इम्यून सिस्टम को कमजोर ना करें।

चिकित्साः यदि एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति की बात की जाए तो इस रोग से लड़ने के लिए उसके पास कोई विशेष दवा नहीं है। बुखार दर्द खुजली के लिए कुछ कंजरवेटिव दवाई दे सकते हैं। स्मॉलपॉक्स दुनिया से जा चुका है। परंतु उससे बचाव के लिए बनाई गई एलोपैथिक वैक्सीन अब भी उपलब्ध है। वह मंकीपॉक्स पर भी 85% तक कारगर है।

होम्योपैथिक चिकित्सा
मंकीपॉक्स के लिए होम्योपैथी सबसे उपयुक्त चिकित्सा पद्धति है। क्योंकि इसके पास रोग से पहले बचाव के लिए और हो जाने के बाद चिकित्सा के लिए भी कारगर लाक्षणिक दवाएं उपलब्ध हैं।

बचाव के लिए होम्योपैथिक औषधि
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए होम्योपैथिक औषधि मैलेन्ड्रिनम 200 अचूक है। यह औषधि वैक्सीनेशन के दुष्प्रभाव को भी सफलतापूर्वक खत्म कर देती है। स्मॉल पॉक्स के एपिडेमिक के समय अनेक होम्योपैथिक चिकित्सकों ने टीका के रूप में इसका प्रयोग सफलतापूर्वक किया और अपना अनुभव लिखा है। स्मॉलपॉक्स के एक एपिडेमिक के समय इस औषधि का प्रयोग अन्यों के अतिरिक्त अपने ऊपर भी स्वयं किया और उस काल में वे सभी सुरक्षित रहे। उस समय उन्होंने मैलेन्ड्रिनम 30सी का प्रयोग अपने ऊपर सुबह-शाम किया। इसकी प्रामाणिकता को सिद्ध करने के लिए उन्होंने स्मालपॉक्स के मरीजों के बीच रहते हुए भी वैक्सीन नहीं लगवाया और वे सुरक्षित रहे।

रोग हो जाने के बाद भी लक्षण अनुसार अनेक कारगर होमियोपैथिक औषधियां उपलब्ध हैं, जो मंकीपॉक्स के समय और समाप्त होने के बाद उसके अनेक दुष्प्रभावों को सफलतापूर्वक ठीक करेंगी। इनमें प्रमुख हैं- मैलेन्ड्रिनम, वैरिओलिनम, रस टॉक्स; कैंथेरिस, हिपर सल्फ, सरसेनिया पी, मेजेरियम, आर्सेनिक एल्ब, थूजा, हिप्पोजेनियम, मैन्सीनेला,इचिनेशिया इत्यादि।(नोट:- उपरोक्त औषधियों को होम्योपैथिक चिकित्सक की राय पर लिया जाए।)

(लेखक, वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक हैं)