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सुमित्रा महाजन मध्य भारत खो-खो संगठन की निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित

भोपाल (Bhopal)। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर सीट से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ने आठ साल के लम्बे अंतराल के बाद एक बार फिर खेलों की राजनीति में वापसी की है। यहां रविवार को हुए मध्य भारत खो-खो संगठन के चुनाव में उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया।

दरअसल, वर्ष 1955 से प्रदेश में खो-खो के विकास के लिए कार्य कर रहे मध्य भारत खो-खो संगठन से महाजन पहले से जुड़ी रही हैं। वे दो कार्यकाल तक संगठन की अध्यक्ष रहीं, लेकिन राजनीतिक जिम्मेदारियों और लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने खो-खो संगठन की कुर्सी छोड़ दी थी। उनकी अनुपस्थिति में भाजपा नेता ललित पोरवाल को कुर्सी सौंपी गई थी। खो-खो से जुड़े लोगों के आग्रह पर सुमित्रा महाजन ने दोबारा खेल संगठन की जिम्मेदारी संभालने पर सहमति दी।

मालवा मिल स्थित एक होटल में रविवार को हुई संगठन की चुनावी साधारण सभा में सर्वसम्मति से आगामी चार वर्ष के लिए कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसमें सुमित्रा महाजन को निर्विरोध संगठन का अध्यक्ष चुना गया है। वहीं, इंदौर के ही नितिन कोठारी दूसरी बार सचिव चुने गए हैं।

चुनावी सभा में 17 जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। देवास जिला संगठन के सचिव राधेश्याम सोलंकी, इंदौर में भाजपा के पार्षद और पूर्व खिलाड़ी सुरेश टाकलकर, ग्वालियर के प्रशिक्षक अशोक चव्हाण और इंदौर के पूर्व खिलाड़ी राजू चिंतामण को उपाध्यक्ष चुना गया है। नितिन सरवटे को कोषाध्यक्ष चुना गया है। उत्तरा पानसे और जाकिर खान संयुक्त सचिव बने हैं। इस अवसर पर भारतीय खो खो महासंघ की ओर से शरद जपे पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित थे।

बता दें कि खेल मंत्रालय ने एक राज्य एक संगठन का नियम लागू किया है। इसके तहत प्रदेश में मध्य प्रदेश खो-खो संगठन को खेल विभाग से मान्यता है, जबकि मध्य भारत खो-खो संगठन को एसोसिएट सदस्य बनाया गया है। इससे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्पर्धा खेलने को मिलती है, लेकिन राष्ट्रीय संगठन के चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं है। सुमित्रा महाजन का प्रयास है कि मध्य भारत खो-खो संगठन को भी आधिकारिक मान्यता मिले।

अध्यक्ष बनने पर उन्होंने कहा कि खो-खो खिलाड़ी और खेल संगठन से जुड़े सदस्यों के आग्रह पर मैंने अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया है। मध्य भारत संस्था बहुत पुरानी है। कई छोटे राज्य हैं जहां इंदौर जितने भी खिलाड़ी नहीं है। ऐसे राज्यों के क्षेत्रफल और जनसंख्या की तुलना में मध्य प्रदेश बहुत बड़ा है। इसे देखते हुए प्रदेश से मध्य भारत खो-खो संगठन को भी समान महत्व मिलना चाहिए। मेरा प्रयास रहेगा कि संगठन के गौरवशाली इतिहास और खेल में योगदान को देखते हुए उचित अधिकार प्राप्त हों। साथ ही हम जिला और संभाग स्तर पर खो-खो खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं दिलाने का प्रयास भी करेंगे।