– डॉ. मयंक चतुर्वेदी
हम सभी जानते हैं, भारत में इस वक्त लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। तीसरे चरण के बाद अब चौथे चरण की वोटिंग की तैयारी है। पूरी दुनिया की नजर भारत पर है, जिसमें कि भारत विरोधी यही चाहते हैं कि भाजपा की सत्ता केंद्र में न आए, मोदी फिर से भारत के प्रधानमंत्री न बनें । भारत पहले की तरह ही कई मोर्चों पर संघर्ष करता हुआ कमजोर दिखाई दे। अब इसके लिए भाजपा एवं मोदी से विरोध करनेवाली शक्तियां तो देश के अंदर काम कर ही रही हैं, किंतु इन दिनों ऐसी शक्तियों को विदेशों में भी पुख्ता माहौल बनाते हुए देखा जा सकता है।
वस्तुत: पाकिस्तान, चीन, समेत कई देश जो भारत को सहन नहीं कर पा रहे हैं, वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करते ही थे, लेकिन अब यूरोप समेत विशेष तौर पर इंग्लैण्ड और अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी लगातार केंद्र की मोदी सरकार को घेरना जारी रखा है, जिसमें कि उसके सामने आज का सबसे बड़ा कोई विषय है तो वह है भारत का अल्पसंख्यक वर्ग, विशेषकर यहां की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या यानी कि मुलसमान।
इस संदर्भ में यह तथ्य सामने आया है कि अमेरिका के नेतृत्व वाले फाइव आइज खुफिया गठबन्धन (कनाडा, न्यूजीलैण्ड, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलियाई ) ने मोदी सरकार के खिलाफ विशेष मोर्चा खोलकर रखा है। इन पांच देशों की सरकार समर्थक मीडिया हर दिन भारत विरोधी कोई नई रिपोर्ट प्रकाशित करती है। इन रिपोर्टों में तथाकथित सूत्रों के आधार पर मोदी सरकार को निशाना बनाया जा रहा है। वह मोदी सरकार पर लगाम कसने के लिए वामपंथी मीडिया और अपने स्वयं के वित्त पोषित ब्रॉडकास्टर को खुफिया जानकारी लीक कर रहे हैं तथा भ्रम फैलानेवाली झूठी रिपोर्ट बड़े स्तर पर स्वयं से तैयार करने के साथ ही करवा रहे हैं, जिसमें से एक नैरेटिव यह गढ़ा जा सके कि भारत में मुसलमान मोदी राज में बहुत कमजोर पड़े हैं। वे खतरे में हैं और उन पर हिन्दू नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए भयंकर अत्याचार हो रहे हैं।
इस बात को समर्थन देने एवं जोर देते हुए आप ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू, अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’, सीएनएन, टाइम मैगजीन, ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्जियन’, बीबीसी, फ्रांस के प्रसिद्ध समाचार पत्र ले मोंड समेत अन्य कई को आप देख भी रहे थे, जिनमें कि इस प्रकार कि रिपोर्ट्स लगातार प्रकाशित की जा रही हैं। लेकिन इसी कड़ी में अब सीएनएन में शामिल हो गया है।
अमेरिकन मीडिया संस्थान सीएनएन ने ‘भारत के पवित्र शहर में बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद से मुसलमान डरे हुए हैं’ (Rising Hindu nationalism leaves Muslims fearful in India’s holy city) शीर्षक से एक खास लेख कम विशेष स्टोरी प्रकाशित की है। इसमें इस बार वाराणसी (काशी) प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा चुनाव क्षेत्र को चुना है और यह बताने की कोशिश की है कि भारत के मुसलमाना मोदी राज में बहुत डरे हुए हैं और वे नहीं चाहते कि भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में सफल हो और मोदी फिर से सत्ता में आए। इन सभी की यही सोच है कि यदि मोदी फिर से सत्ता में आ गए तो भारत को वे हिन्दू राष्ट्र बना देंगे । सनातनी भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बहुत अधिक बढ़ जाएंगे।
सीएनएन कह रहा है कि मोदी की भाजपा की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में हैं, जो एक दक्षिणपंथी अर्धसैनिक संगठन है जो भारत के भीतर हिंदू वर्चस्व की वकालत करता है। ऐसे में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में अब इसकी 200 मिलियन से अधिक मजबूत मुस्लिम आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मोदी के दोबारा चुने जाने की संभावना पर डर व्यक्त कर रहा है। वाराणसी के कई मुसलमान उपेक्षित महसूस करते हैं, यहां तक कि उनके साथ विश्वासघात होने की बात करते हैं, खासकर जब एक सदियों पुरानी मस्जिद ज्ञानवापी की बात हो। सीएनएन यहां स्थानीय मुस्लिमों के माध्यम से कहलवा रहा है कि सरकार उनके समुदाय की रक्षा करने में विफल हो रही है, आज के भारत में घृणा अपराधों से लोग असुरक्षित और भयभीत महसूस कर रहे हैं। अगर मोदी दोबारा चुने गए तो सबसे बुरा होगा।
इसके लिए सीएनएन भाजपा नेता टी. राजा सिंह के भाषण, हिंदू अधिकारियों को प्रमुख सरकारी संस्थानों में शीर्ष पदों पर नियुक्ति देने, अधिकारियों द्वारा मुस्लिम संपत्तियों को ध्वस्त करने के आरोपों, मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू और कश्मीर की विशेष स्वायत्तता अनुच्छेद 370 को हटाने और उसे सीधे दिल्ली के नियंत्रण में लाने, नागरिकता कानून को पारित करने, (जिसमें मुस्लिम प्रवासियों को शामिल नहीं किया गया), दिल्ली दंगों के लिए भी हिन्दुओं को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इसके साथ ही ये सीएनएन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए वाशिंगटन स्थित शोध समूह इंडिया हेट लैब की की रिपोर्ट का उल्लेख भी करता है, जिसका कहना है कि भारत में मुस्लिम प्रताड़ित हैं। यह लेख कहता है कि ह्यूमन राइट्स वॉच, एमनेस्टी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स सहित कई मानवाधिकार संगठनों ने धार्मिक लोगों के खिलाफ निरंतर भेदभाव की चेतावनी दी है।
इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जो बोल रहे हैं उसको आधार बनाकर यह बताने का प्रयास हुआ है कि मुसलमानों पर “घुसपैठिए” होने का आरोप लगाया जा रहा है और एक नारा संविधान खतरे में है का जोर शोर के साथ लगाया जा रहा है। दरअसल, यह बात ओर है कि मुसलमान राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और परंपरागत रूप से हिन्दू प्रभुत्ववाली सत्ता को अस्वीकार करने की मानसिकता से ग्रस्त होने के कारण से इसे स्वीकार करना नहीं चाहता, लेकिन वर्तमान आंकड़े बता रहे हैं कि कैसे दस सालों में भाजपा की सत्ता के रहते भारत भर में मुसलमानों समेत हर वर्ग के जीवन स्तर में भारी सुधार हुआ है । इतना ही नहीं तो नौकरियों का ग्राफ भी साफ बता रहा है कि किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के केंद्र की सत्ता में रहते हुए आज तक जो लाभ उन्हें पिछले कई सालों में कभी नहीं मिला था, वह लाभ मोदी की केंद्र में सत्ता आने के बाद से ही मुसलमानों को मिलना शुरू हो सका है ।
कहना होगा कि पिछले दस सालों में केंद्र में भाजपा के शासन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस्लामवादियों के लिए जमीन पर जन्नत उतारने का साकार काम किया है। बिना भेद भाव के अल्पसंख्यकों को भारत में आज अवसर की समानता उपलब्ध है। भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर तेजी के साथ बढ़ रहा है। इस बार के जीएसटी कलेक्शन में 11.5 फीसदी का उछाल हुआ है। वहीं मासिक आधार पर 1.78 लाख करोड़ रुपये का ये आंकड़ा अब तक का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है। पूरे वित्तीय वर्ष 23-24 में कुल 20.14 लाख करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन हुआ है। स्वभाविक है कि इस पूरी राशि का उपयोग भारत के विकास के लिए केंद्र की सरकार करेगी। पूरी दुनिया अकेले इस एक काम जीएसटी कलेक्शन से अचंभित है।
भारत विदशों को हथियार बेच रहा है। बेहतर मानव संसाधन का उपयोग कर दुनिया के तमाम देशों को उद्योग लगाने के लिए अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और इस तरह से विश्व में लगातार उसकी दावेदारी एक ओर यूएनओ में स्थायी सदस्यता की बनती जा रही है तो दूसरी ओर विश्व शक्ति के रूप में सभी के सामने अपने को वह प्रखरता से रख रहा है, जोकि कई विकसित देश सहन नहीं कर पा रहे हैं । ऐसे में अमेरिका के नेतृत्व वाले फाइव आइज खुफिया गठबन्धन (कनाडा, न्यूजीलैण्ड, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलियाई) ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ विशेष मोर्चा खोल रखा है। अब जरूरत सूचनाओं के इस महायुग में भारत के आमजन की विशेष है कि वे किसी भ्रम में नहीं आएं। हर खबर की गहराई में जाएं और समझें कि आखिर इसके पीछे सत्यता कितनी है।