– जमीन के भीतर की संरचना का पता लगाने के लिए जीपीआर का इस्तेमाल
धार (Dhar)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore bench ) के आदेश पर धार (Dhar) की ऐतिहासिक भोजशाला (historical Bhojshala ) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) department) का सर्वे (Survey) गुरुवार को 21वें दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के 16 अधिकारियों की टीम 29 मजदूरों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर निकली। इस दौरान टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे के 21वें दिन एएसआई की टीम ने अत्याधुनिक उपकरणों खासकर ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) से भोजशाला परिसर और इसके 50 मीटर के दायरे में खुदाई के लिए चिह्नित सभी 14 स्थानों की जांच की। ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार के इस्तेमाल से जमीन के भीतर की संरचना का पता लगाया जा रहा है। इस दौरान दरगाह परिसर स्थित अकल कुई (कूप) का भी सर्वे किया गया। टीम इसका पिछले चार दिनों से गहराई से आकलन कर रही है। टीम ने भोजशाला के पिछले हिस्से में जाकर भी सर्वे का काम किया।
सर्वे टीम भोजशाला में थियोडोलाइट मशीन का उपयोग कर रही है। इस मशीन से परिसर के प्रत्येक अक्ष के कोण को सटीक मापा जाता है। जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), आप्टिकल स्क्वायर, एलडीएम (लेजर डिस्टेंस मशीन), लेवलिंग स्टाफ (दो बिंदुओं के बीच की सटीक ऊंचाई मापने के लिए उपयोग में आने वाले उपकरण) का भी सर्वे में इस्तेमाल हो रहा है। इन मशीनों की सहायता से यह भी पता लगाया जा रहा है कि एक स्तंभ से दूसरे स्तंभों की दूरी कितनी है और स्तंभों के एक क्रम या अलग-अलग क्रम में स्थापित करने का उद्देश्य क्या रहा होगा।
टीम द्वारा कैमरे के साथ पहली बार रिफलेक्टर का उपयोग भी किया गया है, ताकि अधिक सटीक और छोटी-छोटी संरचनाओं के चित्र लिए जा सकें। कमाल मौलाना दरगाह परिसर में स्थित अकल कुई के सर्वे में भूजल स्तर नापने के लिए पीजो मीटर की सहायता ली गई है।
गुरुवार को हुए सर्वे के बाद इस बात के संकेत भी मिले हैं कि अब आने वाले दिनों में उपकरणों द्वारा वैज्ञानिक जांच पर टीम का फोकस अधिक रहेगा। हिंदू संगठन के पदाधिकारियों गोपाल शर्मा और आशीष गोयल ने टीम के सदस्यों से हुई बातचीत के आधार पर जानकारी दी कि दिल्ली से कुछ और उपकरण मंगवाए जा रहे हैं। उनके पहुंचते ही सर्वे कार्य में और तेजी आएगी। भोजशाला की दीवारों और स्तंभों पर उत्कीर्ण शब्द और शिलालेख पढ़ने के लिए विशेषज्ञ भी आने वाले दिनों में धार पहुंचेंगे। ये विशेषज्ञ पाषाण स्तंभों की वास्तुकला और शैली का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित 11वीं शताब्दी के बनी भोजशाला को लेकर हिंदू समाज वाग्देवी को समर्पित मंदिर होने का दावा करता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद बताता है। इस मुद्दे को लेकर कई बार धार्मिक विवाद भी हुआ। खासकर वसंत पंचमी पर यहां कई बार दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो चुकी है।