-हिंदू पक्ष का दावा, यह माता सरस्वती के अभिषेक के बाद जल निकासी का मार्ग
भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench ) के आदेश पर धार (Dhar) की ऐतिहासिक भोजशाला (historical Bhojshala ) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) Department ) का सर्वे मंगलवार को 19वें दिन भी जारी रहा। भोपाल और दिल्ली के अधिकारियों की 18 सदस्यीय टीम मंगलवार को सुबह आठ बजे 34 मजदूरों के साथ भोजशाला पहुंची और सर्वे का काम शुरू किया। टीम भोजशाला में आधुनिक उपकरण लेकर गई थी, जिनकी मदद से जमीन के भीतर का बारीकी से परीक्षण किया गया। सर्वे टीम के साथ हिंदू और मुस्लिम पक्षकार भी मौजूद रहे।
मंगलवार होने के कारण आज हिंदू पक्ष ने भोजशाला में सर्वे के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। भोजशाला में सर्वे के 19वें दिन एएसआई की टीम ने परिसर के पिछले हिस्से में महत्वपूर्ण धरोहरों का सर्वे किया। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि टीम को दरगाह क्षेत्र के पास अकल कुई से लगी दीवार में गोमुख आकृति मिली है। प्राचीन काल में माता सरस्वती के अभिषेक के बाद जल निकासी इसी से होती थी। टीम ने इसे सूचीबद्ध किया है।
इधर मंगलवार होने से हिंदू समाज ने चैत्र नवरात्र के पहले दिन भोजशाला के गर्भगृह में मां सरस्वती के फोटो पर चुनरी ओढ़ाई गई। विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री सोहन सोलंकी भोजशाला पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह इमारत स्वयं बोल रही है कि यह मां सरस्वती का मंदिर है।
हिंदू पक्ष ने इस बात पर आपत्ति जताई कि भोजशाला परिसर में स्थित कमाल मौला दरगाह के पास बिना अनुमति लोगों का जमावड़ा और भोजन आदि कैसे बनाया जा रहा है। इस संबंध में अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग भी की गई।
मंगलवार को टीम ने सर्वे की शुरुआत सुबह जल्दी की। टीम ने कमाल मौलाना की दरगाह के पास अकल कुई (कूप) का सर्वे जारी रखा। पीछे के भाग व आसपास खोदाई की गई। कूप के अंदर के पत्थरों की जांच के लिए विज्ञानी भी यहां पहुंचेंगे। गोमुख की जांच कार्बन डेटिंग से कर पता लगाया जाएगा कि यह कितना पुराना है।