Friday, November 22"खबर जो असर करे"

धारः भोजशाला में 17वें दिन हुई ‘अकल कुई’ की नाप, परिसर के भीतर भी खुदाई शुरू

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला (Dhar’s historical restaurant) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) Department) का सर्वे रविवार को 17वें दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की टीम मजदूरों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर निकली। इस दौरान टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।

भोजशाला के सर्वे के 17वें दिन रविवार को एएसआई की टीम ने कमाल मौलाना की दरगाह के पास स्थित अकल कुई (कुएं) का नाप लिया। इसके 50 मीटर के दायरे में टीम ने कई जानकारियां संकलित कीं। इसके साथ ही भोजशाला के भीतरी भाग में भी चिह्नित स्थानों पर खुदाई का कार्य शुरू किया गया। इस प्रकार कुल 14 में से अब सात स्थानों पर वैज्ञानिक तरीके से खुदाई शुरू हो गई है।

हिंदू संगठन के आशीष गोयल एवं गोपाल शर्मा ने बताया कि एक दिन पहले शनिवार को टीम धार के किले में भी गई थी। अब तक सर्वे का कार्य जिस गति से चल रहा था, उसमें रविवार को तेजी आई है। भोजशाला के मध्य स्थित यज्ञशाला के हवन कुंड के आसपास मिट्टी हटाने से जो अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें भी सुरक्षित करने का काम किया गया। टीम में अब सर्वेयरों की संख्या 22 है, जबकि श्रमिकों की संख्या 22 से बढ़कर 32 हो चुकी है। भोजशाला के पिछले भाग में खुदाई के दौरान जो दीवार और सीढ़ीनुमा आकृति मिली थी, रविवार को वहां से भी मिट्टी हटाने का काम किया गया। वहां खुदाई के लिए सुरक्षित उपाय किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि हिंदुओं के मुताबिक भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।

क्या है अकल कुई
गोपाल शर्मा ने बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह यह कुई (कूप) भी एक महत्वपूर्ण व प्राचीन स्थान है। वर्षों पुरानी मान्यता के अनुसार इसका पानी पीने से व्यक्ति की बुद्धि कुशाग्र होती है, इसलिए इसे अकल कुई कहा जाता है। आस्थावान लोग यहां से पानी लेकर भी जाते हैं।