भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में नर्सिंग विद्यार्थियों (Nursing students) को उच्च न्यायालय (high court) से बड़ी राहत मिली है। मप्र उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच में अपात्र (Ineligible for CBI investigation) और तय मापदंड पर खरे नहीं उतरे कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी परीक्षा देने की अनुमति (permission to take exam) दी है। उच्च न्यायालय के इस फैसले से प्रदेश के करीब 45 हजार नर्सिंग विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य के नर्सिंग छात्रों के हक में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी व न्यायमूर्ति एके पालीवाल की युगलपीठ ने ने सीबीआई जांच में अपात्र पाए गए छात्रों को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है। साथ ही युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि छात्र स्नातक नहीं है। सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करने हुए परीक्षा में शामिल किया जाए।
दरअसल, अपात्र व कमियां पाए गए कॉलेजों की ओर से अंतरिम आवेदन पेश कर पूर्व में दिए गए फैसले में संशोधन की मांग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि यदि उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया तो उनके कई वर्ष बर्बाद हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कालेजों को संचालन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कालेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए थे। सीबीआई की तरफ से प्रदेश के 308 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गयी थी।
सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कालेज पात्र पाए गए हैं, जबकि 74 नर्सिंग कॉलेज ऐसे पाए गए जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं, किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कालेज आयोग्य पाए गए हैं।
युगलपीठ ने अपने आदेश में मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जस्टिस आर के श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कॉलेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण करने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की अनुशंसा के निर्देश भी कमेटी को दिए गए थे।