अब खुशहाल जीवन जी रहा है परिवार
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण संजू ने कुछ काम करने का सोचा, इससे परिवार को मदद मिले। लेकिन कोई राह नहीं सूझ रही थी। तभी संजू को स्व-सहायता समूह के बारे में पता चला। आजीविका मिशन द्वारा संजू को बैंक सखी के रूप में चुना गया। बैंक सखी बनकर लोगों से जुड़ने के बाद संजू का आत्मविश्वास बढ़ा और वह दूसरे कामों के लिए आगे बढ़ने लगी। संजू ने आजीविका एक्सप्रेस के माध्यम से एक वाहन खरीदा और इसे चलाने के लिए अपने पति को दे दिया। इससे उसकी आय और बढ़ी। आजीविका एक्सप्रेस से उसके पति को हर महीने 7 हजार रुपये मिलने लगे। लगभग इतना ही संजू भी कमाने लगी। इससे पति-पत्नी की सालाना आय एक लाख से भी अधिक हो गई है। अब संजू और उसका परिवार खुशहाल जीवन जी रहे हैं। संजू की प्रगतिशीलता के लिए उसे जिला स्तर पर सम्मानित किया गया।
10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मिली मदद
महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण के लिए शुरू किए गए आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों से अब तक देश की 10 करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। इन महिलाओं को समूहों के जरिये 100 तरह की अलग-अलग गतिविधियों के संचालन के लिए सरकार से बैंक लिंकेज दिलाकर स्वरोजगार ऋण दिया जाता है। मध्यप्रदेश में करीब 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों से जुड़कर लगभग 61 लाख से अधिक परिवार अपनी आय बढ़ाकर अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं। स्व-सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं खुद की आजीविका चलाने में भी सक्षम होकर सबला हुई हैं।