Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मप्रः 5200 ग्रामों में शुरू होगी प्राकृतिक खेती, 26 हजार किसानों को मिलेगा अनुदान

शिवराज कैबिनेट ने दी मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना को मंजूरी

भोपाल। मध्य प्रदेश के 5200 ग्रामों में प्राकृतिक खेती प्रारंभ की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार 26 हजार किसानों को अनुदान देगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना को मंजूरी दी गई। इसके अलावा मंत्रि-परिषद ने ग्रामीण पर्यटन परियोजना अंतर्गत होम-स्टे के लिए अनुदान की स्वीकृति दी।

प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मंत्रि-परिषद ने राज्य में प्राकृतिक कृषि पद्धति के प्रचार-प्रसार के लिये प्रदेश के कृषकों को एक देशी गाय के पालन पर अनुदान तथा प्रत्येक जिले के 100 ग्रामों में प्राकृतिक खेती प्रारंभ करने के उद्देश्य से नवीन “मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना” संपूर्ण मध्यप्रदेश में क्रियान्वित किए जाने का निर्णय लिया।

योजना के अंतर्गत 52 जिलों में 100 ग्रामों का चयन कर कुल 5200 ग्रामों में प्राकृतिक खेती प्रारंभ की जाएगी। प्रत्येक ग्राम से 5, इस प्रकार कुल 26 हजार प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों का चयन कर उन्हें गौ-पालन के लिए अनुदान दिया जाएगा। अनुदान के रूप में 900 रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाएगी। प्राकृतिक कृषि करने वाले कृषकों का एक पोर्टल/एप तैयार किया जाएगा। इस पर पंजीकृत कृषकों को मास्टर ट्रेनर एवं ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षक के रूप में कार्य करने का मानदेय 1 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा और वे प्राकृतिक प्रेरक कहलाएंगे। प्रशिक्षण पर 400 रुपये प्रति कृषक प्रति दिन का व्यय प्रावधानित किया गया है। योजना के क्रियान्वयन के लिए 39 करोड़ 50 लाख रुपये की आवश्यकता होगी, जो राज्य शासन द्वारा वहन की जाएगी। प्रशासकीय विभाग ने प्रथम चरण में 26 हजार कृषकों के लिए 900 रुपये प्रतिमाह के मान से 1 वर्ष के लिए 28 करोड 08 लाख रुपये के व्यय की स्वीकृति दी है।

मंत्रि-परिषद ने पर्यटन विभाग की ग्रामीण पर्यटन परियोजना अंतर्गत चयनित ग्राम में होम-स्टे निर्माण/उन्नयन के लिये अनुदान की स्वीकृति दी। स्वीकृति अनुसार हितग्राही को नवीन होम-स्टे की निर्माण लागत का 40 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 2 लाख रूपये और होम-स्टे उन्नयन के लिये लागत का 40 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 1 लाख 20 हजार रुपये देय होगा। (जो कम हो) अनुदान दो किस्तों में देय होगा।

ग्रामीण पर्यटन अंतर्गत स्थापित होम-स्टे को मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित 4 योजनाओं में से नियमानुसार संबंधित योजना में पंजीयन कराना होगा। परियोजना के प्रथम चरण में लगभग 100 ग्रामों में पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश का अनुभव कराने के लिए पर्यटन गतिविधियाँ संचालित की जायेगी। इसमें प्रति ग्राम लगभग 10 परिवार के हिसाब से 1000 परिवारों में पर्यटकों को आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिये 1000 होम-स्टे कक्षों का निर्माण/उन्नयन किया जायेगा। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 हजार ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिलेगा। ग्रामीण पर्यटन परियोजना के प्रमुख घटकों में ठहरने की उत्तम व्यवस्था, स्थानीय भोजन, कला एवं हस्तकला, लोक संगीत एवं नृत्य, स्थानीय खेलकूद और कौशल उन्नयन शामिल है। प्रथम चरण के बाद द्वितीय चरण में आवश्यकतानुसार नवीन ग्रामों का चयन ग्रामीण पर्यटन परियोजना में किया जा सकेगा।

नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 को मंजूरी

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में पूर्व में लागू सौर ऊर्जा आधारित विदयुत उत्पादन नीति-2011. पवन ऊर्जा आधारित विदयुत उत्पादन नीति – 2012, बायोमास आधारित विदयुत उत्पादन नीति-2012 तथा लघु जल ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन नीति-2011 को समाप्त कर उनके स्थान पर नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 को मान्य किये जाने का निर्णय लिया। इसके आधार पर आगामी नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास प्रदेश में किया जाएगा।

नक्सल क्षेत्रों में पदस्थ अमले के लिए मिलेगा विशेष भत्ता, कैबिनेट ने दी मंजूरी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में नक्सल क्षेत्रों में पदस्थ अमले के लिए विशेष भत्ता देने को प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के नक्सल क्षेत्रों में पदस्थ विशेष आसूचना शाखा (SIB) के पुलिस कर्मियों को मासिक रूप से नक्सल विरोधी विशेष भत्ता तथा विशेष आसूचना शाखा (SIB) में नक्सल क्षेत्र में कार्यरत रहने की अवधि अनुसार आ-सूचना विशेष भत्ता आदेश जारी होने के दिनांक से स्वीकृत किया गया। आरक्षक को 19 हज़ार, प्रधान आरक्षक और सहायक उप निरीक्षक को 25 हजार, उप निरीक्षक को 34 हज़ार और निरीक्षक को 38 हजार रुपये प्रतिमाह नक्सल विरोधी विशेष भत्ता दिया जायेगा। भत्ता स्वीकृति पर प्रतिवर्ष 1 करोड 4 लाख 88 हजार रुपये का वार्षिक वित्तीय भार संभावित है।

उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में SIB हेतु विभिन्न संवर्ग के स्वीकृत 58 पदों में से वर्तमान में पदस्थ 33 शासकीय सेवकों को “नक्सल विरोधी विशेष भत्ते के रूप में प्रतिवर्ष 91 लाख 80 हजार रुपये तथा “आ-सूचना विशेष भत्ते” के रूप में प्रतिवर्ष 13 लाख 8 हजार रुपये इस प्रकार कुल 104 लाख 88 हजार रुपये की राशि देय होगी। इससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ SIB के शासकीय सेवकों का मनोबल बढ़ेगा तथा नक्सलियों की गतिविधियों का सटीक ऑकलन कर बेहतर नक्सल विरोधी ऑपरेशन हो सकेंगे।

मंत्रि-परिषद ने नक्सल विरोधी अभियान में हॉक फोर्स के पुलिसकर्मियों को पूर्व से स्वीकृत “नक्सलाइट ऑपरेशन रिस्क अलाउन्स” मासिक रूप से दिये जाने के साथ अतिरिक्त रूप से नक्सल विरोधी विशेष भत्ता तथा हॉक फोर्स में कार्यरत रहने की अवधि अनुसार “हॉकफोर्स भत्ता” स्वीकृत किया। हॉक फोर्स के पुलिसकर्मियों को हॉक फोर्स भत्ता प्रतिनियुक्ति की अवधि के हिसाब से देय होगा। इसके अनुसार 12 से 24 माह तक का कार्यकाल पूरा करने वाले पुलिसकर्मियों को एक हजार रूपये प्रतिमाह, 24 से 36 माह तक का कार्यकाल पूरा करने वाले को 2 हजार रुपये प्रतिमाह, 36 से 48 माह तक का कार्यकाल पूरा करने वाले को 3 हजार रुपये प्रति माह और 48 से 60 माह तक का कार्यकाल पूरा करने वाले पुलिसकर्मियों को 4 हज़ार रुपये प्रति माह भत्ता दिया जाएगा।

अतिरिक्त नक्सल विरोधी विशेष भत्ता पर 18 करोड़ 77 लाख 80 हजार और हॉक फोर्स भत्ते पर 5 करोड़ 35 लाख 89 हजार रूपये इस प्रकार कुल 23 करोड़ 73 लाख 69 हज़ार रूपये का व्यय भार आयेगा। इससे हॉक फोर्स में वर्तमान में कार्यरत 1045 पुलिसकर्मियों को प्रतिवर्ष 9 करोड़ 78 लाख रुपये के स्थान पर प्रतिवर्ष लगभग 33 करोड़ 15 लाख रुपये के अलाउन्स/भत्ते प्राप्त होंगे। इससे नक्सल क्षेत्रों में कर्त्तव्यस्थ पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा तथा नक्सल विरोधी ऑपरेशन बेहतर ढंग से क्रियांवित होंगे।

परिसम्पत्ति का निर्वर्तन
मंत्रि-परिषद ने दमोह में राजस्व विभाग की प्लॉट नं. 195 वार्ड नं. 2. रानी दुर्गावती वार्ड स्थित भूमि, इंदौर में राजस्व विभाग की तलावली चान्दा के पास स्थित भूमि, भोपाल में राजस्व विभाग की खसरा क्र. 169, ग्राम हिनोतिया आलम, तहसील कोलार स्थित भूमि, नरसिंहपुर में लोक निर्माण विभाग की नजूल भूमि और ग्वालियर में खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की टी4, टी5 वेयरहाउस, पड़ाव चौराहा, स्थित भूमि एवं भवन परिसम्पत्ति का अनुमोदन करते हुए उसे विक्रय करने एवं H-1 निविदाकार द्वारा निविदा राशि का 100% जमा करने के बाद अनुबंध/रजिस्ट्री की कार्यवाही जिला कलेक्टर द्वारा किये जाने का निर्णय लिया।

कैबिनेट ने दी स्कूल शिक्षा विभाग की नवीन स्थानांतरण नीति को मंजूरी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के हित में कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की विशिष्ट परिस्थितियों से जनित आवश्यकताओं के दृष्टिगत विभागीय नवीन स्थानांतरण नीति को मंजूरी दी गई।

प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि नवीन स्थानांतरण नीति सत्र 2023-24 से प्रभावी होगी। सभी संवर्गों के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के मध्य पूरी कर ली जाएगी। पोर्टल से ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा। स्वैच्छिक स्थानांतरण भी ऑनलाइन ही होंगे। रिलीविंग और ज्वाइनिंग की कार्यवाही ऑनलाइन होगी। एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोड़ कर 3 वर्ष तक स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षक विहीन न हो।

उन्होंने बताया कि नवीन स्थानांतरण नीति में पहले प्रशासनिक स्थानांतरण और फिर स्वैच्छिक स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जाएगी। नवीन नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में कम से कम 3 वर्ष और अपने संपूर्ण सेवाकाल के न्यूनतम 10 वर्ष कार्य करना होगा। दस वर्ष या इससे अधिक अवधि से एक संस्था विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षक विहीन अथवा शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पदस्थ किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि ऐसे शिक्षक जिनकी सेवानिवृत्ति 3 वर्ष शेष है अथवा गंभीर बीमारी या विकलांगता से पीड़ित है, उन्हें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जायेगा। स्थानांतरण में वरीयता क्रम निर्धारित किया गया है। शिक्षकों को निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की निजी पदस्थापना में पदस्थ नहीं किया जाएगा। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सी.एम राईज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे। प्राचार्य/सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। उनका निराकरण ऑफ लाइन भी किया जा सकेगा। प्रथम श्रेणी अधिकारियों के स्थानांतरण समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता ऋण योजना में 2 वर्ष की वृद्धि
मंत्रि-परिषद् ने मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता ऋण योजना की अवधि में 2 वर्ष (31 मार्च 2024 तक) की वृद्धि करने का निर्णय लिया। योजना में वर्ष 2022-23 के लिए 2 लाख और वर्ष 2023-24 के लिए 2 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। योजना 28 जुलाई 2020 से लागू की गई थी। वर्ष 2020-21 तथा 2021-22 में कुल 3 लाख 14 हजार 487 ग्रामीण पथ विक्रेता हितग्राहियों को बैंकों द्वारा प्रति हितग्राही 10 हजार रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया गया है।
अन्य निर्णय

मंत्रि-परिषद ने राजभवन सचिवालय में गठित जनजातीय प्रकोष्ठ कार्यालयीन स्थापना एवं सचिवालयीन सहायक, सदस्यों की सेवा शर्तों तथा वार्षिक बजट एक करोड़ 5 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान किये जाने का निर्णय लिया। मंत्रि-परिषद द्वारा बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना नहर कार्य (यूनिट-2) लागत राशि 4977 करोड़ 88 लाख रुपये, सिंचाई क्षमता 2 लाख 98 हजार 844 हेक्टेयर की अंतिम बार छठवीं पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।