Friday, November 22"खबर जो असर करे"

हिट विकेट हो गए कमलनाथ

– रमेश सर्राफ धमोरा

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता कमलनाथ को भाजपा ने हिट विकेट कर दिया । एक सप्ताह से कमलनाथ के भाजपा में जाने की खबरें सुर्खियां बन रही थीं। मगर भाजपा आलाकमान ने कमलनाथ के लिए पार्टी के दरवाजे नहीं खोले। चर्चा है कि मध्य प्रदेश भाजपा द्वारा कमलनाथ के भाजपा प्रवेश का विरोध किए जाने के कारण पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कमलनाथ के भाजपा प्रवेश के कार्यक्रम को टाल दिया। अब कमलनाथ के सुर भी बदले-बदले नजर आ रहे हैं। वह बोल रहे हैं कि मैं कभी भी कांग्रेस नहीं छोड़ सकता हूं। मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं और रहूंगा। जबकि एक दिन पहले तक कमलनाथ के खासमखास सज्जन सिंह वर्मा ने खुलेआम कांग्रेस में कमलनाथ की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए उनके भाजपा में शामिल होने की पुष्टि की थी। मगर अब सज्जन वर्मा भी अपने बयानों से पलटते नजर आ रहे हैं।

भाजपा में कमलनाथ को शामिल करने को लेकर अंदर खाने विरोध के स्वर उठ रहे थे। भाजपा नेता तेजिंदर सिंह बग्गा का कहना है कि कमलनाथ सिख विरोधी दंगों के अगुवा रहे हैं। उन पर सिखों की हत्या करने के आरोप हैं। ऐसे व्यक्ति को भाजपा में शामिल नहीं करना चाहिए। हालांकि कमलनाथ हमेशा ऐसे आरोपों को नकारते रहे हैं। सभी तरह की जांच में उन्हें क्लीनचिट भी मिल चुकी है। मगर सिख समाज के मन में आज भी कमलनाथ को लेकर नकारात्मक भावना बनी हुई है। ऐसे में भाजपा कमलनाथ को पार्टी में शामिल कर सिख मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहती है। हालांकि तेजिंदर सिंह बग्गा का कहना है कि यदि कमलनाथ के सांसद बेटे नकुलनाथ भाजपा में शामिल होते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि नकुलनाथ ने सिख विरोधी कोई काम नहीं किया है।

कमलनाथ कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ नेता माने जाते हैं। संजय गांधी के दून स्कूल के दिनों के साथी कमलनाथ को 1980 के पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना तीसरा बेटा कहकर चुनाव जीतवाने की अपील की थी। 1980 में मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीतने के बाद कमलनाथ ने कभी राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए। कांग्रेस की केन्द्र सरकार में वह कई बार मंत्री, संगठन में पदाधिकारी, मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। मगर 2023 में कांग्रेस के मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव हारने के बाद पार्टी में उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया। उन्हें बिना पूछे ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से हटा दिया गया। इतना ही नहीं उनके विरोधी रहे जीतू पटवारी को उनके स्थान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष व उमंग सिंघार को विधायक दल का नेता बना दिया गया। इससे कमलनाथ को बड़ा झटका लगा था और तभी से वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में अपने प्रवेश की जुगत लगाने लगे थे।

हालांकि अब कमलनाथ ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी वह शामिल होंगे। अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी के सभी 29 सीटों पर प्रत्याशियों को जितवाने के लिए पूरी मेहनत करेंगे। मगर राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह कमलनाथ की खिसियाहट मिटाने का एक तरीका है। कमलनाथ को पता है कि भाजपा में शामिल नहीं होने के कारण पार्टी नेतृत्व के समक्ष उनकी छवि संदिग्ध की बन चुकी है। कांग्रेस आलाकमान को पता है कि जब भी मौका मिलेगा कमलनाथ कांग्रेस को अलविदा कह देंगे। इसलिए कांग्रेस आलाकमान उनको लेकर हमेशा सतर्क रहेगा और आगे उन्हें ऐसी कोई बड़ी जिम्मेदारी भी नहीं दी जाएगी जिस से उनके पार्टी छोड़ने पर पार्टी की छवि खराब हो।

कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता द्वारा पिछले एक सप्ताह से जिस तरह का राजनीतिक ड्रामा किया गया, उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। कमलनाथ की छवि एक गंभीर और सुलझे हुए नेता की मानी जाती रही है। ऐसे में भाजपा में शामिल होने को लेकर अफवाहों का जो दौर देखने को मिला उससे उनकी छवि तो खराब हुई है। आने वाले समय में वह राजनीतिक रूप से भी कमजोर हो जाएंगे ऐसी संभावना जताई जाने लगी है। अब कांग्रेस आलाकमान भी उनके समर्थकों से सीधी बात कर डैमेज कंट्रोल करने में जुट गया है। आने वाले समय में यदि कमलनाथ अपने सांसद पुत्र नकुलनाथ को भाजपा में शामिल भी करवा देते हैं तो कांग्रेस को अधिक नुकसान नहीं हो। इस बात को लेकर कांग्रेस आलाकमान अपनी गोटी बिठाने में जुट गया है।

आज कमलनाथ की स्थिति न घर की न घाट की वाली बन गई है। भाजपा आलाकमान भी नहीं चाहता है कि महज एक छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के लिए कमलनाथ को पार्टी में लाकर प्रदेश में एक नया गुट खड़ा करें। इसीलिए अंतिम समय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कमलनाथ कि भाजपा एंट्री को रोक कर उन्हें ऐसा झटका दिया है जिससे वह है शायद ही कभी उबर पाए। राजस्थान में कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता व कांग्रेस की कार्य समिति के सदस्य महेंद्रजीत सिंह मालवीय भाजपा में शामिल हो गए हैं। मालवीय राजस्थान के बांगड़ क्षेत्र में बड़े कद के राजनेता है और कई बार मंत्री, विधायक, सांसद, प्रधान, जिला प्रमुख रह चुके हैं। इससे पूर्व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी भाजपा में शामिल हो गये थे। कई अन्य नेता भी कतार में हैं। कांग्रेस के ऐसे बड़े जनाधार वाले नेता पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान को इस बात पर भी चिंतन मनन करना चाहिए।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में कांग्रेस के बड़े जन आधार वाले नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं। ऐसे कागजी नेताओं को जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा उन्हे अग्रिम मोर्चे पर लगा दिया गया है। बिना जनाधार वाले नेता ही जुगाड़ कर राज्यसभा में पहुंच जाते हैं। उसी का नतीजा है कि कांग्रेस के जनाधार वाले नेता दूसरे दलों में अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने लगे हैं।