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मप्रः पूर्व मंत्री पारस जैन, पीडब्ल्यूडी के तीन इंजीनियर समेत आठ पर लोकायुक्त ने दर्ज किया केस

भोपाल (Bhopal)। लोकायुक्त (Lokayukta) ने मंगलवार को पूर्व मंत्री (Former minister) और भाजपा के वरिष्ठ नेता पारस जैन (senior BJP leader Paras Jain), लोक निर्माण विभाग के तीन इंजीनियर (Three engineers of Public Works Department) और सांख्यिकी अधिकारी समेत आठ के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला (case under corruption act) दर्ज किया है। लोकायुक्त ने पद के दुरुपयोग के मामले में कार्रवाई की है।

आरोप है कि पूर्व मंत्री जैन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय 153.72 लाख रुपयों से पांड्याखेड़ी में निजी पारिवारिक भूमि की सुरक्षा दीवार बनवा ली थी। बकाया काम के लिए 44 लाख रुपये की स्वीकृति भी हो चुकी थी। जांच के बाद लोकायुक्त ने उज्जैन में पूर्व मंत्री जैन सहित लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर धारा 7, 13 (1) ए, 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) एवं 420, 120बी के तहत केस दर्ज किया है।

लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि देवास निवासी दिनेश चौहान ने लोकायुक्त को शिकायत की थी कि पूर्व मंत्री पारसचंद्र जैन ने दो साल पूर्व पांड्याखेड़ी में सीलिंग की जमीन को पद का दुरुपयोग कर 15 बीघा जमीन अपनी पत्नी अंगूरबाला जैन के नाम से तथा कॉटन मर्चेंट शैक्षणिक एवं पारमार्थिक न्यास के नाम से करीब 80 लाख रुपये में खरीदी है। इसके अलावा नाले से लगी हुई दो बीघा शासकीय जमीन पर भी अवैध कब्जा कर लिया है। पूर्व मंत्री जैन ने पद का दुरूपयोग कर शासकीय विधायक निधि से 153 लाख रुपये जमीन पर सुरक्षा दीवार पीडब्ल्यूडी ने बनाई थी। इसके अलावा 44 लाख रुपये शेष कार्य के लिए स्वीकृत है। हालांकि उस पर कार्य शुरू नहीं हुआ है।

जांच के दौरान लोकायुक्त ने पीडब्ल्यूडी से कागजात जब्त किए थे। इन दस्तावेजों में ऐसा कोई पत्राचार के कागज नहीं है, जिससे कि यह साबित हो कि पीडब्लयूडी ने हल्का पटवारी या तहसीलदार से नाले की भूमि संबंधित दस्तावेजों की मांग की हो। पीडब्ल्यूडी ने आनलाइन खसरे की नकल को निकालकर दस्तावेजों में भी शामिल नहीं किया है। नाले की जमीन का सत्यापन भी नहीं किया गया। तत्कालीन विधायक पारस जैन ने अपने पद का दुरूपयोग कर शासकीय विधायक निधि की राशि का निजी हित में उपयोग कर 153.72 लाख रुपये का कार्य किए है, जिससे शासन को आर्थिक क्षति हुई है।

लोकायुक्त को जांच में नाले की सुरक्षा दीवार निर्माण से किसी भी प्रकार की सार्वजनिक हित नहीं मिला है। नगर निगम से पूर्व स्वीकृत सुरक्षा दीवार की अनापत्ति भी प्राप्त नहीं की गई है। दीवार के निर्माण कार्य को जनहित में कराने के लिए नाले के आस-पास रहवासियों का कोई अनुमोदन भी नहीं है। नाले के प्रवाह के विपरीत दिशा में सुरक्षा दीवार बनाई है। तटबंध से कहीं अधिक ऊंचाई तक सुरक्षा दीवार का निर्माण कराया गया है। तत्कालीन विधायकजैन ने निजी पारिवारिक भूमि के हितों को साधने के लिए छल व षड़यंत्रपूर्वक कार्य किया है। निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग एवं संभागीय योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय उज्जैन के अधिकारियों की भूमिका भी मिली है।

इन लोगों पर दर्ज किया केस

जांच के बाद लोकायुक्त ने पारस चंद्र जैन, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग राजेंद्र कुमार जैन, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग उज्जैन जीपी पटेल, अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग, सीमा सागर, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग संदीप बेनीवाल, कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग उज्जैन गौतम अहिरवार, अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग संभाग संदीप बेनीवाल, जयंती लोक निर्माण विभाग शरद त्रिपाठी, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग गौतम अहिरवार, जिला सांख्यिकी अधिकारी, योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय डा. राजश्री सांकले के खिलाफ धारा 7, 13 (1) ए, 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) एवं 420, 120बी के तहत केस दर्ज किया है। शिकायत में दो बीघा शासकीय जमीन पर कब्जे का उल्लेख है। जिसके संबंध में भी जांच की जाएगी।