नई दिल्ली। भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और इस मौके पर राजधानी नई दिल्ली के अलावा देशभर में ढेरों आयोजन हो रहे हैं। सर्च इंजन कंपनी गूगल की ओर से भी इसके होमपेज पर खास डूडल शेयर किया गया है, जिसमें रिपब्लिक डे परेड की झलक दिख रही है। आप जानते होंगे, गूगल खास मौकों पर ऐसे डूडल शेयर करता है।
गूगल ने अपने डूडल में समय के साथ-साथ आ रहे बदलाव भी दिखाए हैं। डूडल के पहले हिस्से में पुराने ट्रेडिशनल टीवी, दूसरे हिस्से में मॉडर्न टीवी और आखिरी हिस्से में स्मार्टफोन स्क्रीन की झलक दिखाई गई है। यह डूडल दिखाता है कि किस तरह समय के साथ परेड देखने के तरीके में बदलाव आया है।
गेस्ट आर्टिस्ट ने बनाया है गूगल डूडल
26 जनवरी, 2024 को गूगल होम-स्क्रीन पर दिखाए गए डूडल को गेस्ट आर्टिस्ट वृंदा जावेरी ने डिजाइन किया है। इस डूडल में दिखाया गया है कि किस तरह गणतंत्र दिवस की परेड को अलग-अलग दशक में अलग-अलग स्क्रीन्स पर देखा जाता रहा है और अब यह मोबाइल स्क्रीन तक पहुंच गई है।
यूजर्स के पास सेलिब्रेशन का विकल्प
अगर आप गूगल होमपेज पर जाएंगे तो आपको नया डूडल स्क्रीन पर दिखेगा। इसपर क्लिक करने के बाद सर्च पेज ओपेन होगा और ऊपर से कन्फेटी की बारिश होती दिखेगी। इसके बाद आपको स्क्रीन पर सबसे नीचे- ‘सेलिब्रेट’ और ‘शेयर’ दो बटन दिखेंगे। शेयर बटन पर क्लिक करने के बाद आप डूडल बाकियों के साथ शेयर कर पाएंगे।
अगर आप खास अंदाज में गूगल के साथ गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट करना चाहें तो आपको आपको सेलिब्रेट बटन पर क्लिक या टैप करना होगा। ऐसा करने पर स्क्रीन पर कॉन्फेटी की बारिश होती दिखेगी। आप जितनी बार चाहें क्लिक करते हुए पूरी स्क्रीन को सेलिब्रेशन कॉन्फेटी से भर सकते हैं।
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कौन थीं सुप्रीम कोर्ट में रिकॉर्ड बनाने वालीं जज फातिमा बीवी
नई दिल्ली। साल 2024 में पद्म पुरस्कार हासिल करने वालों में 132 नाम शामिल हैं। इनमें एक नाम बीते साल नवंबर में दुनिया को अलविदा कह गईं एम फातिमा बीवी का भी शामिल है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज होने का कीर्तिमान हासिल है। हालांकि, वह सिर्फ शीर्ष न्यायालय की ही पहली महिला जज नहीं थीं, बल्कि बार काउंसिल में गोल्ड मेडल जीतने वाली भी पहली महिला थीं।
कौन थीं जस्टिस फातिमा बीवी
30 अप्रैल 1927 में केरल के पाथनमिट्टा में जन्मीं फातिमा बीवी को कामयाब वकील और जज बनाने में पिता अन्नावीतिल मीरन साहिब का बड़ा योगदान है। कहा जाता है कि उनके पिता उन्हें वकील बनते देखना चाहते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कानून में डिग्री हासिल की और नवंबर 1950 में वकील बन गईं।
इससे पहले उनकी शुरुआती शिक्षा कैथोलिकेट हाई स्कूल से हुई है। उन्हें स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज से केमिस्ट्री में की थी।
उन्होंने एडवोकेट के तौर पर केरल में करियर की शुरुआत की। इसके बाद साल 1974 में जिला एवं सत्र न्यायालय में जज बनीं। साल 1980 में उन्होंने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्युनल का रुख किया और साल 1983 में उच्च न्यायालय की जज बनीं। इसके बाद साल 1989 इतिहास में दर्ज हो गया और वह सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के तौर पर नियुक्त हो चुकी थीं।
शीर्ष न्यायालय में वह इस पद पर 29 अप्रैल 1992 तक रहीं। हालांकि, रिटायरमेंट के बाद भी फातिमा बीवी ने काम की रफ्तार को धीमा नहीं किया और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य बनीं। साथ ही उन्होंने तमिलनाडु की राज्यपाल का भी दायित्व संभाला था, जो खासा विवादों में रहा।
उनका सबसे विवादित फैसला राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान माना जाता है। दरअसल, उन्होंने साल 2001 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। खास बात है कि उस साल TANSI भूमि मामले में दोषी पाए जाने के चलते उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था।