नई दिल्ली (New Delhi)। नए साल (New Year) में बैंकों ( banks) की ओर से ग्राहकों को झटका (Shock to customers) लगा है। कई बैंकों ने रिटेल लोन (पर्सनल, ऑटो) (Retail Loan (Personal, Auto) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी (increase in interest rates) की है। हालांकि, इसका असर होम लोन पर नहीं पड़ेगा।
दरअसल, कई बैंकों ने रेपो रेट में बदलाव हुए बिना ही अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेडिंग रेट (MCLR) में बदलाव कर दिए हैं। इससे होम लोन को छोड़कर पर्सनल और ऑटो लोन की ब्याज दरें बढ़ गई हैं।
क्या होती है MCLR?
MCLR वो न्यूनतम ब्याज दर होती है, जो एक वित्तीय संस्थान किसी खास तरह के लोन के लिए वसूलता है। इसका निर्धारण धन की लागत, परिचालन लागत और लाभ जैसे कई कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
किन बैंकों ने बढ़ाई दरें?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, दिसंबर तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ऑटो लोन पर 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल रहा था, जो अब बढ़ाकर 8.85 प्रतिशत कर दिया गया है। उच्च क्रेडिट स्कोर वालों को इसी ब्याज दर पर दिया जा रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने ऑटो लोन की दर 8.7 से बढ़ाकर 8.8 कर दी है। BOB ने त्योहारी सीजन में जिस प्रोसेसिंग फीस से छूट दी थी, उसे दोबारा लागू कर दिया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी ऑटो लोन के लिए ब्याज दरें बढ़ाई हैं। यह बैंक अब 9.15 प्रतिशत की दर से लोन दे रहा है, जो पहले 8.75 प्रतिशत रखी गई थी। IDFC फर्स्ट बैंक ने निजी लोन के लिए ब्याज दर को 10.49 प्रतिशत कर दिया है जो बीते साल नवंबर से ही लागू हो गई है। कर्नाटक बैंक ने भी निजी लोन के लिए ब्याज की दर को 14.21 प्रतिशत से बढ़ाकर 14.28 प्रतिशत कर दिया है।
एक बैंक अधिकारी ने कहा, “बैंक ब्याज दरों में संशोधन के लिए त्योहारी सीजन के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि मुद्रा बाजार में तंगी के साथ जमा दरों में संशोधन के कारण लागत में वृद्धि हुई है।” दूसरी ओर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने होम लोन की ब्याज दरों में कटौती की है। बैंक अब 8.35 प्रतिशत की दर से होम लोन दे रहा है, जो पहले 8.5 प्रतिशत थी।
होम लोन की ब्याज दरों का सीधा-सीधा संबंध रेपो रेट से होता है। इसके उलट रिटेल लोन का संबंध MCLR से होता है। फरवरी, 2023 से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसी वजह से होम लोन की दरों में भी कोई बदलाव नहीं होगा। दिसंबर में RBI ने लगातार 5वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।