Friday, September 20"खबर जो असर करे"

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बढ़ा चीतों का कुनबा, मादा चीता आशा ने तीन शावकों को दिया जन्म

भोपाल। केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी चीता प्रोजेक्ट के तहत बुधवार को एक बड़ी खुशखबरी आई है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाकर बसाए गए चीतों को कुनबा बढ़ गया है। यहां नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने बुधवार को तीन शावकों को जन्म दिया है। तीनों शावक पूरी तरह से स्वस्थ हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मैदानी अमला और डॉक्टरों की टीम शावकों पर नजर बनाए हुए हैं।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में जन्में चीते के तीनों शावकों का एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें तीनों शावक स्वस्थ नजर आ रहे हैं और उन्हें चहलकदमी करते भी देखा जा सकता है। उन्होंने ‘एक्स’ के माध्यम से कहा है कि जंगल में शावकों की आवाज गूंजी। यह जानकारी साझा कर खुशी हो रही है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान तीन नए सदस्यों का स्वागत कर रहा है। शावकों को नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने जन्म दिया है।

उन्होंने इस घटना क्रम को ‘परियोजना चीता की शानदार सफलता करार दिया, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करने के लिए की थी। केन्द्रीय मंत्री यादव ने चीता परियोजना से जुड़े सभी विशेषज्ञों, कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और पूरे देश के वन्यजीव प्रेमियों को शुभकामनाएं दी हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। मादा चीता आशा उन्हीं में से एक है। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से यहां 12 चीते लाए गए थे। इस तरह कूनो में कुल 20 चीते बसाए गए थे। मार्च 2023 में मादा चीता सियाया ने यहां चार शावकों को जन्म दिया था। इस तरह कूनो में कुल चीतों की संख्या 24 हो गई थी, लेकिन मार्च से मई के बीच छह चीतों और तीन शावकों की मौत हो गई थी।

इसके बाद यहां 14 चीते और एक शावक शेष बचे थे। अब तीन नन्हे शावकों मिलाकर 18 हो चुकी है। इनमें सात नर चीते गौरव, शौर्य, वायु, अग्नि, पवन, प्रभाष और पावक तथा 7 मादा चीते आशा, गामिनी, नाभा, धीरा, ज्वाला, निरवा और वीरा शामिल हैं। इनमें से अभी केवल दो चीते ही खुले जंगल में मौजूद हैं जो भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों को दिख सकते हैं, जबकि शेष सभी चीतों को अभी बड़े बाड़े में ही रखा गया है। (हि.स.)