– मृत्युंजय दीक्षित
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन इस बार और बेहतर प्रदर्शन करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। विपक्ष भी आईएनडीआईए बनाकर हुंकार भर रहा है। वर्ष 2023 में हुए कुल नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश , कर्नाटक व तेलंगाना में विजय प्राप्त हुई है। मगर इस गठबंधन में कई पेंच इतनी बुरी तरह से उलझ गए हैं कि सुलझना कठिन होता जा रहा है।
भाजपा राम मंदिर, सनातन संस्कृति के उत्थान और विकसित भारत संकल्प यात्रा के बल पर लगातार आगे बढ़ती जा रही है। मगर विपक्ष का गठबंधन अभी तक चार बैठकों के बावजूद संयोजक का नाम तक तय नहीं कर पाया है। 19 दिसंबर को बैठक में कांग्रेस ने गठबंधन में शामिल दलों से सीट साझा करने पर चर्चा करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
जब दो राज्यों हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक में कांग्रेस को सफलता मिली तब कुछ विश्लेषकों को ऐसा लगने लगा कि प्रधानमंत्री मोदी का जादू उतरने लगा है और कांग्रेस के नेतृत्व में संपूर्ण विपक्ष के मन में आशा का एक नया संचार हुआ है किंतु राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम का रिजल्ट आते ही इन विश्लेषकों को सांप सूंघ गया। मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐतिहासिक विजय ने विपक्ष की बोलती बंद कर दी।
अगले साल 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां चल रही हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने इसके लिए सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, वामपंथी नेता सीताराम येचुरी सहित कई विपक्षी नेताओं को निमंत्रण भेजा। अभी यह पक्का नहीं है कि सनातन विरोधी इस गठबंधन के नेता अयोध्या जाते हैं या नहीं। माना तो यही जा रहा है कि इनमें से कई नहीं जाएंगे। सबसे ज्यादा फजीहत इस गठबंधन की साथी समाजवादी पार्टी की होनी है। कौन नहीं जानता रामभक्त कारसेवकों पर मुलायम सिंह यादव ने ही गोली चलवाई थी। मुस्लिम-यादव गठजोड़ से सत्ता पाने वाले उनके पुत्र और सपा नेता अखिलेश यादव समारोह में चले जाते हैं तो उनके एम-वाई समीकरण को गहरा आघात लगना तय है।
राम मंदिर निर्माण के समर्पण अभियान पर सपा नेताओं ने संघ व भाजपा को चंदाजीवी कहकर अपमानित किया है। आम आदमी पार्टी ने दो कदम आगे जाकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के चंपत राय पर जमीन घोटाले के फर्जी आरोप लगा दिये। वास्तविकता यह है कि आज इस पार्टी के कई बड़े नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह व सुरेंद जैन सलाखों के पीछे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब घोटाले के मुख्य किरदार बताए जा रहे हैं। ईडी का सामना तक नहीं कर पा रहे। आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल सभी दल व नेता हिंदू सनातन संस्कृति, भारतीय सभ्यता व संस्कृति, भाषा, रहन सहन व खानपान के घोर विरोधी हैं। सभी नेता मुस्लिम तुष्टिकरण, ईसाइयत और पश्चिमी सभ्यता के आकंठ डूबे हुए हैं।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में पराजय के बाद विरोधी दलों के नेता संतुलन ही खो बैठे हैं। द्रमुक नेता तो सनातन धर्म का उन्मूलन करने का प्रण तक ले चुके हैं। गठबंधन के बड़े सरमायेदार मोहब्बत की दुकान खोलने वाले राहुल गांधी खामोश हैं। आज राममला की प्राण- प्रतिष्ठा समारोह में जाना कांग्रेस के लिए सांप- छछूंदर की गति जैसा हो गया है। जाएं तो मुश्किल और न जाए तो भी मुश्किल।
कांग्रेस के नेतृत्व में बने गठबंधन के सभी नेता हिंदू धर्म का जमकर मखौल उड़ा चुके हैं। कांग्रेस तो भगवान राम का अस्तित्व ही नकार चुकी है। ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को फव्वारा तक कहा जा चुका है। संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों के सामूहिक निलंबन की ऐतिहासिक घटना के बाद ममता बनर्जी की टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी संवैधानिक पद पर विराजमान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड का मजाक बना चुके हैं। वह बार- बार कह रहे हैं कि उपराष्ट्रपति धनखड़ का हजार बार मजाक उड़ायेंगे ।
संसद के शीतकालीन सत्र में द्रमुक सदस्य ने गौमाता का अपमान करते हुए बयान दिया कि भाजपा केवल गोमूत्र वाले राज्यों में ही है। अभी डीएमके नेता दयानिधि मारन ने बयान दिया है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग सिर्फ हिंदी सीखते हैं और इसके बाद तमिलनाडु मजदूरी करने के लिए आते हैं। वो शौचालय और सड़कों की सफाई जैसे काम करते हैं। गठबंधन की पिछली बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदी में भाषण दिया तो द्रमुक नेता टीआर बालू ने उनके भाषण का अंग्रेजी अनुवाद मांग लिया। इससे नीतीश कुमार नाराज हो गये।
अब यह साफ हो चुका है कि 26 दलों के इस गठबंधन के सभी नेताओं में घोर विरोधाभास है। यह सभी दल भ्रष्टाचार के दलदल में अथाह डूबे हुए हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए नये- नये पैंतरे चल रहे हैं । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्रियों के यहां लगातार छापे पड़ रहे हैं। यह सरकार गीता समारोह का मजाक उड़ा चुकी है । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी है। इन लोगों ने गांधी परिवार को दरकिनार कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सुनियोजित साजिश के तहत प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)