Friday, September 20"खबर जो असर करे"

मंदसौरः चर्चित राशन घोटाले में सात महिलाओं सहित 11 दोषियों को सजा और साढ़े चार-चार लाख का जुर्माना

मंदसौर (Mandsaur)। जिले के 18 साल पुराने बहुचर्चित 87 करोड़ रुपए से ज्यादा के राशन घोटाले (18 year old famous ration scam of more than Rs 87 crore) में बड़ा फैसला आया है। सोसायटी के राशन की कालाबाजारी (Black marketing of society ration) करने वाले आरोपित राजेन्द्रसिंह गौतम तत्कालीन अध्यक्ष जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भण्डार मंदसौर एवं उसके सहयोगी अधिकारियों कर्मचारियों को सोमवार को किशोर कुमार गेहलोत की विशेष कोर्ट (Special court sentenced) ने सजा सुनाई है। इस मामले में 4 पुरुष और 7 महिला आरोपियों को दोषी करार दिया है। पुरुष दोषियों को 5-5 वर्ष एवं महिला दोषियों को 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा दी गई है। साथ ही हर दोषी को 4 लाख 51 हजार रुपये जुर्माना से दडित किया है।

जानकारी के अनुसार 2002 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को वितरित की जाने वाली खाद्य सामग्री गेहूं आदि को चोरी छुपे खुले बाजार में बेचने का बड़ा खुलासा हुआ था। मामले में दोषी पाते हुए माननीय विशेष न्यायधीश किशोर कुमार गेहलोत मंदसौर ने तत्कालीन अध्यक्ष जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार राजेन्द्र सिंह गौतम (68) पुत्र शंकरसिंह गौतम, तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भण्डार मेहमूद (66) पुत्र इब्राहिम मंसूरी, रामचन्द्र दरक (65) पुत्र शांतिसागर, हेमंत (60) पुत्र मिश्रीलाल हिंगड को 5-5 वर्ष एवं नजमा (52) पत्नी लियाकत हुसैन, शीला देवी (62) पत्नी रविन्द्र शर्मा, रमादेवी (50) पत्नी महेन्द्रसिंह राठौर, राखी (48) पत्नी धर्मेन्द्रसिंह राठौड, मालती देवी (64) पत्नी गोपाल सोनी, योगेश देवी (66) पत्नी राजेन्द्रसिंह गौतम, हेमा (57) पत्नी हेमंत कुमार हिंगड को 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा ही है। प्रत्येक दोषी को 4,51,000 रुपये अर्थदंड से दंडित किया।

अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी दीपक जमरा ने बताया कि 24 जुलाई 2002 को थाना प्रभारी अनिल सिंह राठौर को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि सहकारी बाजार मंदसौर का कर्मचारी रामचंद्र दरक सिविल आपूर्ति निगम से शासकीय गेहूं भरा ट्रक लेकर गया है। उसने शांतनु कॉम्प्लेक्स में वीरेन्द्र जैन के क्लीनिंग मिल में जेठानंद सिंधी को ये शासकीय गेहूं बेचा है, जो 50-50 किलो के कट्टे में वीआईपी ब्रांड लगाकर अवैध लाभ कमा रहा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपीगण जेठानंद सिंधी, वीरेन्द्र जैन, मुश्ताक को पकड़ा और गेहूं से भरे ट्रक को जब्त किया और आरोपीगण के विरुद्ध 413/2002, आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया एवं विवेचना में लिया गया।

विवेचना के दौरान पुलिस ने पाया कि आरोपीगण जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार शांतनु कैंपस मंदसौर में अभियुक्त राजेन्द्र सिंह गौतम अध्यक्ष के पद पर, अभियुक्त श्रीमती योगेश देवी गौतम उपाध्यक्ष के पद पर शेष अभियुक्तगण हेमंत हिंगड़, हेमा हिंगड़, रमादेवी, राखीसिंह, मालतीदेवी सोनी, शेला देवी, नजमा संचालक मंडल की सदस्य पद पर, अभियुक्त महमूद मंसूरी मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर, अभियुक्त रामचंद दरक लिपिक के पद पर रहते हुए सह अभियुक्त के साथ मिलकर ये काम कर रहे थे।

पुलिस को जांच में पता चला था कि भारतीय खाद्य निगम का मार्का लगी बोरियों को पलटकर उन पर वीआईपी अन्य मार्का लगाकर खुले बाजार में विक्रय किया। इस प्रकार सभी आरोपियों ने मिलकर षडयंत्रपूर्वक 87 करोड़ 83 लाख 92 हजार 28 रुपये की आर्थिक अनियमितता कर उक्त संपत्ति को बेईमानी से दुरुपयोग कर उक्त गेहूं को खुले बाजार में विकय कर 35 लाख 83 हजार 596 रुपये की राशि का गबन किया एवं अपने लोकसेवक के पद पर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर, भ्रष्टाचार कर शासन को करोडों रुपये की आर्थिक हानि पहुंचाई। प्रकरण में पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी निर्मला सिंह चौधरी ने की।