नई दिल्ली (New Delhi)। अंग्रेजों ने जब भारत का बंटावारा किया तो पाकिस्तान के दो टुकड़े थे- पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान. समय के साथ पूर्वी पाकिस्तान के हालात बिगड़ने लगे.धर्म के आधार पर भारत से अलग हुए पश्चिमी पाकिस्तान ने तब के पूर्वी पाकिस्तान पर बेतहाशा जुल्म ढ़ाये. नरसंहार, बलात्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में पाकिस्तान ने सारी हदें पार कर दी थी.
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जांबाजों ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न केवल युद्ध लड़ा था, बल्कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. भारत-पाक युद्ध 1971 और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान बीएसएफ के जांबाजों ने सभी मोर्चो पर दुश्मन को धूल चलाई थी.
उल्लेखनीय है कि 1971 के युद्ध में बीएसएफ ने राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, पूर्वी बंगाल और एनईएफ के साथ पूर्वी और पश्चिमी फ्रंटियर्स मोर्चे पर युद्ध लड़ा था. बीएसएफ का साथ मिलने के बाद भारतीय सेना की सैन्य शक्ति चौगुनी हो गई थी. सेना और बीएसएफ के इस गठजोड़ ने दुश्मन को शिकस्त देने में अहम भूमिका निभाई थी. इस युद्ध में बीएसएफ के जांबाजों के युद्ध कौशल की हर तरफ प्रशंसा हुई थी.
बीएसएफ के 125 जवानों ने दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में बीएसएफ ने भारतीय सेना के साथ हर मोर्चे पर बराबरी से दुश्मन सेना का मुकाबला किया था. 13 दिन चले इस युद्ध में बीएसएफ का हर जांबाज अपनी जान की बाजी लगाकर युद्ध लड़ा. इस युद्ध में बीएसएफ के करीब 125 जांबाजों ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया था. इस युद्ध में बीएसएफ के 392 जांबाज गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. वहीं, इस युद्ध में शमिल बीएसएफ के 133 जवान ऐसे भी थे, जो लापता हो गए थे और उनका आज तक कुछ पता नहीं चला.
शौर्य के लिए बीएसएफ के 360 जांबाज हुए सम्मानित
भारत पाक युद्ध 1971 में अपनी जांबाजी से बहादुरी की नई इबारत लिखने वाले 360 जांबाजों को विशेष सम्मान से नवाजा गया था.