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भारतीय नौसेना दिवस: लगातार बढ़ रही है भारतीय नौसेना की ताकत

– योगेश कुमार गोयल

प्रतिवर्ष 04 दिसंबर को भारतीय नौसेना के जांबाजों को याद करते हुए भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना की शानदार जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। दरअसल 03 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने हमारे हवाई और सीमावर्ती क्षेत्र में हमला कर दिया था। दुष्ट पाकिस्तान को उस हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पाकिस्तान की नौसेना के कराची स्थित मुख्यालय को निशाने पर लेकर ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ चलाया गया था और भारतीय नौसेना की मिसाइल नाव तथा दो युद्धपोतों के आक्रमणकारी समूह ने कराची के तट पर जहाजों के समूह पर हमला कर दिया था। हमले में पाकिस्तान के कई जहाज और ऑयल टैंकर तबाह कर दिए गए थे।

भारतीय नौसेना का वह हमला इतना आक्रामक था कि कराची बंदरगाह पूरी तरह बर्बाद हो गया था और कराची तेल डिपो पूरे सात दिनों तक धू-धूकर जलता रहा था। तेल टैंकरों में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता था। उस हमले में कराची हार्बर फ्यूल स्टोरेज तबाह होने के कारण पाकिस्तानी नौसेना की कमर टूट गई थी। भारतीय नौसेना द्वारा किए गए हमले में तीन विद्युत क्लास मिसाइल बोट, दो एंटी-सबमरीन और एक टैंकर शामिल थे और युद्ध में भारतीय नौसेना ने पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया था। ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने वाली भारतीय नौसेना की शक्ति और बहादुरी को सलाम करने के लिए 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाने की शुरुआत हुई। नौसेना दिवस हर साल एक खास थीम के साथ मनाया जाता है और 2023 के नौसेना दिवस का विषय है ‘समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता, तत्परता और मिशन उपलब्धि’, जो समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता, तैयारियों और मिशन की उपलब्धि को बनाए रखने, देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समुद्री खतरों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना के समर्पण पर प्रकाश डालता है।

नौसेना दिवस समारोह में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की योजना विशाखापट्टनम स्थित भारतीय नौसेना कमान द्वारा तैयार की जाती है। समारोह की शुरुआत युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित करके की जाती है, उसके बाद नौसेना की पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि की ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया जाता है। नौसेना के मुंबई स्थित मुख्यालय में इस अवसर पर नौसैनिक अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं और गेटवे ऑफ इंडिया बीटिंग रीट्रिट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। भारतीय नौसेना मुख्य रूप से तीन भागों (वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड तथा दक्षिणी नेवल कमांड) में बंटी है। वेस्टर्न नेवल कमांड का मुख्यालय मुंबई में, ईस्टर्न नेवल कमांड का विशाखापत्तनम में और दक्षिणी नेवल कमांड का कोच्चि में है। वेस्टर्न तथा ईस्टर्न कमांड ऑपरेशनल कमांड है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को संभालती है जबकि दक्षिणी नेवल कमांड ट्रेनिंग कमांड है। केरल स्थित एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है। राष्ट्रपति भारतीय नौसेना के सुप्रीम कमांडर हैं। वॉइस एडमिरल राम दास कटारी 22 अप्रैल 1958 को भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय चीफ बने थे। भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है ‘शं नो वरूणः’ अर्थात् जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें।

भारतीय नौसेना का कार्य भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना है और इसके गठन का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ब्रिटिश व्यापारियों के जहाजों की सुरक्षा के लिए ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी मरीन’ के रूप में की थी। वर्ष 1686 तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो जाने के बाद इस दस्ते का नाम ‘ईस्ट इंडिया मरीन’ से बदलकर ‘बॉम्बे मरीन’ कर दिया गया, जिसने मराठा, सिंधी युद्ध के साथ-साथ वर्ष 1824 में बर्मा युद्ध में भी हिस्सा लिया था। वर्ष 1892 में इसका नाम ‘रॉयल इंडियन नेवी’ रखा गया। देश की आजादी के बाद वर्ष 1950 में नौसेना का गठन फिर से किया गया और 26 जनवरी 1950 को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी से बदलकर इंडियन नेवी (भारतीय नौसेना) कर दिया गया।

भारतीय नौसेना वर्तमान में विशालकाय और एडवांस फीचर से लैस अपने युद्धक पोतों, सबमरीन्स इत्यादि के बलबूते दुनियाभर में चौथे स्थान पर है। मौजूदा समय में भारतीय नौसेना की ताकत पर नजर डालें तो भारतीय नौसेना के बेड़े में दो विशाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत के अलावा अनेक अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट, वॉरफेयर शिप, सबबमरीन तथा अन्य सैन्य साजो-सामान हैं, जो इसे दुनिया में चौथी सबसे मजबूत नौसेना बनाते हैं। बहरहाल, यह गर्व की बात है कि हिंद महासागर में ड्रैगन के कब्जे की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार विध्वंसक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में लगा है। इसी कड़ी में आईएनस कलवरी, खंडेरी और आईएनएस करंज के बाद स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वेला को नौसेना में शामिल किया जा चुका है, जो अत्याधुनिक मशीनरी और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ घातक हथियारों से भी लैस है। इस सबमरीन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, जो दुश्मन को उसकी मौत की भनक तक नहीं लगने देती। कुल मिलाकर, भारतीय नौसेना की ताकत दिनों-दिन बढ़ रही है और वर्तमान में इसकी ताकत के आगे पाकिस्तान की नौसैना कहीं नहीं ठहरती तथा चीन की चुनौतियों का भी हमारी नौसेना डटकर मुकाबला कर रही है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)