Monday, November 25"खबर जो असर करे"

विदेशी धरती पर संकट में फंसे भारतीय नागरिकों के प्रति मोदी सरकार की संवेदनशीलता

डॉ. मयंक चतुर्वेदी

दुनिया में कहीं भी संकट आया हो, भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस स्वदेश लाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है और इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए इजरायल में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाने के लिये ऑपरेशन ‘अजय’ हम सभी के सामने है। केंद्र की मोदी सरकार यह कार्य ऐसे संकटकालीन समय में कर रही है जब हमास के आतंकवादियों ने इजरायल में घुस कर आम नागरिकों, यहां तक कि बच्चों को भी हैवानियत के साथ कत्ल किया है।

देखा जाए तो इजरायल में करीब 18 हजार भारतीय नागरिक काम या पढ़ाई के सिलसिले में रह रहे हैं। यहां रहने वाले भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा देखभाल करने वालों के रूप में काम करता है, लेकिन वहां लगभग एक हजार छात्र, कई आईटी पेशेवर और हीरा व्यापारी भी हैं, जिन्हें सुरक्षित निकालने का सिलसिला मोदी सरकार ने शुरू किया है। मौजूदा हालत में भारतीय लोगों की सहायता के लिए इमरजेंसी नंबर जारी हुए हैं और भारतीय नागरिकों का भारत लौटना भी शुरू हो गया है। भारत लौटने वाले लोगों के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही है, जैसे कि अब वे सभी चिंताओं से मुक्त हो गए हैं । लैंड होते ही यात्रियों ने भारत माता की जय और नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद के भी नारे भी लगाए।

भारत लौटी रांची की विनिता, उत्तराखण्ड के आरती जोशी, आयुष मेहरा हों या मनोज कुमार, स्वाति पटेल एवं अन्य भारतीय, सभी आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और भारत सरकार द्वारा उनकी फिक्र किए जाने के लिए हर्षित हैं। केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने यह स्पष्ट कहा भी है, ”हमारी सरकार किसी भी भारतीय को कभी पीछे नहीं छोड़ेगी। हमारी सरकार, प्रधानमंत्री उनकी सुरक्षा के लिए, उन्हें सुरक्षित घर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” वे यहां तक कहते हैं कि हम विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्रालय की टीम, एयर इंडिया के चालक दल के भी आभारी हैं जिन्होंने हमारे बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ घर वापस लाया और उनके प्रियजनों के पास वापस पहुंचाया।

वस्तुत: यह पहला अवसर नहीं है जब किसी विदेशी धरती से भारत अपने नागरिकों को संकटकालीन समय में सुरक्षित स्वदेश लेकर आया है। इससे पहले भी कई बड़े ऑपरेशन सफलता पूर्वक कर चुका है। भारत ने हमेशा अपने एक-एक नागरिक के जीवन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। यूक्रेन-रूस युद्ध के समय भी हमने देखा, वॉर छिड़ने के तुरंत बाद, पीएम मोदी ने ‘ऑपरेशन गंगा’ नामक एक बहु-आयामी निकासी अभियान शुरू किया था । यूक्रेन में कीव, ल्वीव, चेर्नित्सि से भारतीयों का आना आरंभ हुआ, फिर इस निकासी प्रक्रिया को तेज करने के लिए, विदेश मंत्रालय ने पोलैंड में वॉरसा, शेहिनी-मेडिका और क्राकोविएक सीमा पार, हंगरी में जाहोनी, किप टायसा सीमा पार, स्लोवाक गणराज्य में विस्ने नेमेके सीमा पार और रोमानिया में सुसेवा सीमा पार पर अपनी टीमें तैनात कर दी थीं, ताकि किसी भी भारतीय को स्वदेश लाने में कोई दिक्कत न आए।

संकटग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को ‘ऑपरेशन कावेरी’ चलाकर सुरक्षित भारत लाया गया । यहां से आए भारतीयों ने तो स्पष्ट बताया कि सूडान में सबसे पहले भारत ही अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाने के लिए पहुंचा था। वहां स्थिति काफी खतरनाक थी मोदी सरकार से इस बचाव अभियान को भी बड़ी ही तेजी के साथ चलाया था । इससे पहले अफगानिस्तान में चले गृहयुद्ध को भी याद किया जा सकता है, जब तालीबानियों ने आम लोगों को अपना निशाना बनाया, तब भी भारतीय वायुसेना और एयर इंडिया के विमान लगातार अफगानिस्तान से भारतीयों को लेकर स्वदेश आते रहे।

निश्चित ही तालिबानी आतंकियों के बीच से भारतीयों को सुरक्षित ले आना कोई छोटी बात नहीं थी । जब अफगानिस्तान से सीधे भारत आना संभव नहीं हो रहा था, तब भी अपनी इच्छा शक्ति की दम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ताजिकिस्तान, कतर के रास्ते या अन्य रास्तों से काबुल से भारतीयों को दिल्ली एवं देश के अन्य भागों में सुरक्षित पहुंचा रही थी । इसे आप मोदी राज में भारत सरकार की शक्तिशाली विदेश नीति भी कह सकते हैं, जिसमें हम टोगो जेल में बंद पांच भारतीयों को सुरक्षित रिहा करवा पाने भी सफल रहे।भारत सरकार 2015 में यमन में फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाई थी। वह अपने आप में एक मिसाल है। भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा से इन्हें पहले जिबूती ले जाया गया, वहां से इन्हें भारत वापस लाया गया। उस समय यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें हजारों भारतीय फंस गए थे।

आप देखिए, यूक्रेन में फंसे ग्यारह सौ भारतीय हों, लीबिया में फंसे रहे तीन हजार सात सौ पचास भारतीय या फिर इराक में सात हजार दो सौ भारतीय नागरिक हों, यमन से छह हजार सात सौ दस नागरिकों में से चार हजार चार सौ अठत्तर भारतीय, दक्षिण सूडान से सुरक्षित भारत आए भारतीय। वास्तव में केंद्र की भाजपा सरकार में समय रहते सभी की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित की जाती रही है । भारत सरकार द्वारा अब तक दस बड़े अभियान अपने नागरिकों को विदेश की धरती से सुरक्षित लाने के लिए चलाए हैं । 1990 कुवैत एयरलिफ्ट इस दृष्टि से पहला सबसे सफल अभियान रहा।

1990 में, जब 700 टैंकों से लैस 1,00,000 इराकी सैनिकों ने कुवैत में मार्च किया, तो शाही परिवार और वीआईपी सऊदी अरब भाग गए थे। कुवैत में फंसे लोगों के लिए भारत ने निकासी प्रक्रिया शुरू की जिसमें 1,70,000 से अधिक भारतीयों को हवाई मार्ग से निकाला गया और भारत वापस लाया गया। फिर बारी आई 2006 में ऑपरेशन सुकून को अंजाम देने की, उस समय भी इजरायल और लेबनान के बीच युद्ध छिड़ने के बाद, भारत सरकार ने अपने फंसे हुए नागरिकों को निकालने के लिए इसे शुरू किया था । नौसैनिक बचाव अभियान में जुलाई-अगस्त 2006 के बीच 2,280 व्यक्तियों को निकाला गया था। इनमें कुछ नेपाली और श्रीलंकाई नागरिक भी शामिल थे।

भारत ने युद्धग्रस्त लीबिया में फंसे अपने नागरिकों को बचाने के लिए 2011 में ‘ऑपरेशन होमकमिंग’ शुरू किया और 15,400 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी कराई गई। 2015 में ऑपरेशन राहत उन परिस्थिति में आरंभ हुआ जब यमन में गृह युद्ध शुरू हो गया था। भारत ने समुद्र के रास्ते अपने नागरिकों को निकालने का विकल्प चुना। अगले कुछ हफ्तों में, भारत ने यमन में फंसे 4,640 भारतीयों के अलावा 41 से अधिक देशों से 960 विदेशी नागरिकों को बचाया था । इसी साल नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद ‘ऑपरेशन मैत्री’ शुरू हुआ था, 5,000 से अधिक भारतीयों को नेपाल से लाया गया था। इस दौरान, भारतीय सेना ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी से 170 विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित बाहर निकाला था।

कोरोना महामारी के दौरान विदेश में रह रहे भारतीयों को देश लाने के लिए पांच मई 2020 को एक नौसैनिक अभियान ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’ सामने आया था, जिसमें कि 3,992 भारतीय नागरिकों को देश वापस लाया गया। ऑपरेशन वंदे भारत 2021 की शुरुआत में चलाया गया। इसमें उन भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी हुई जो दुनियाभर में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद विदेश में फंसे हुए थे। 30 अप्रैल 2021 तक, ऑपरेशन के विभिन्न चरणों के माध्यम से लगभग 60 लाख भारतीयों को वापस लाया गया। ऑपरेशन देवी शक्ति को अभी दो साल पूर्व 2021 में पूर्णता प्रदान की गई जिसमें अफगानिस्तान से सैकड़ों भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था।

ऑपरेशन गंगा 2022 है जिसके बारे में हम विस्तार से चर्चा कर ही चुके हैं और ऑपरेशन कावेरी इस साल अप्रैल में सूडान में सेना और अर्ध सैनिकों के बीच जारी संघर्ष के बीच भारत ने हिंसाग्रस्त देश से अपने लोगों की निकासी के लिए चलाया ।

वस्तुत: इस तरह से भारत ने न सिर्फ संकटकाल में अपने नागरिकों को बचाया है बल्कि सफल जल, थल, नभ में अभियान चलाकर कई विदेशी नागरिकों के जीवन की भी रक्षा की है। निश्चित ही केंद्र की सफल, निर्णायक और अपनी जनता के सार्थक संकल्पों को पूरा कर रही भारत के संपूर्ण विकास के लिए संकल्पित भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार का इसके लिए जितना धन्यवाद दिया जाएगा, वह कम ही होगा।