– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
यह देश की महिलाओं की लिए वाकई में गर्व करने के लिए सबसे बड़ा पल है। आखिरकार 21 सितंबर को लोकसभा और विधानसभाओं में उनके लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित होने का रास्ता साफ हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 128वें संविधान संशोधन विधेयक के गुरुवार को संसद से पारित होने को देश की लोकतांत्रिक यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि यह भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत है। उन्होंने यह टिप्पणी विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद की।लोकसभा ने बुधवार को ही इसे मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा-हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण। 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। उन्होंने इस विधेयक के पक्ष में मतदान करने वाले सभी सदस्यों का आभार जताया और कहा कि इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में खुशी देने वाला है।
उन्होंने कहा-संसद में नारी शक्ति वंदन विधेयक के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत कर रहे हैं। यह केवल एक विधेयक नहीं है, यह उन अनगिनत महिलाओं के लिए एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने हमारे राष्ट्र को बनाया है। भारत उनके लचीलेपन और योगदान से समृद्ध हुआ है। यह बिलकुल सच है कि मोदी सरकार ने दशकों से लंबित अनेक योजनाओं को पूर्णता तक पहुंचाया है। इस विधेयक के पारित होने से इसमें नया अध्याय जुड़ गया है। नए संसद भवन का निर्माण मोदी सरकार का ऐतिहासिक कार्य है। इसके प्रथम सत्र में भी इतिहास बना। लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 454 वोट से पारित हुआ। विरोध में मात्र दो मत पड़े। महिला आरक्षण बिल लाने का यह पांचवां प्रयास था। देवगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह के कार्यकाल तक चार बार इस विधेयक को लाने का प्रयास किया गया। हंगामा हुआ। मारपीट हुई। इसी के साथ यह ओझल हो गया। अब प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से यह अंजाम तक पहुंचा। वस्तुतः इससे पहले जो प्रयास हुए उनमें नेकनीयत का अभाव था। अनेक नेताओ ने इसे अपनी राजनीति का माध्यम बना लिया था। उनकी रुचि महिला आरक्षण में नहीं थी। इसके नाम पर वह मात्र राजनीति कर रहे थे। सत्ता पक्ष के तर्कों ने इनकी राजनीति बंद कर दी।
वर्तमान में लोकसभा सदस्य सामान्य, एससी, एसटी तीन श्रेणियों में चुने जाते हैं। अब महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित हो जाएंगी। अमित शाह ने ठीक कहा कि परिसीमन आयोग देश की चुनावी प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण कानूनी इकाई है। पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि परिसीमन आयोग यह काम करे। इसके पीछे की वजह सिर्फ पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। ओबीसी के लिए बोलने का दावा करने वालों को पता होना चाहिए कि यह भाजपा ही है जिसने देश को ओबीसी प्रधानमंत्री दिया है। सोनिया गांधी ने महिला बिल का पूरा श्रेय लेने की कोशिश की और बिल के पास होने से पहले जाति जनगणना, एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं कोटा देने की मांग की। लोकसभा में भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने उनकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया। ओबीसी दलितों के नाम पर राजनीति करने वालों को अमित शाह ने जबाब दिया। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति-जनजाति के सर्वाधिक प्रतिशत विधायक, सांसद और मंत्री भाजपा के हैं। पिछड़े दलितों के लिए लोकसभा में दहाड़ने वालों को यह बताना चाहिए कि उन्हें इस वर्ग की महिलाओं को तीस प्रतिशत टिकट देने में क्या कठिनाई रही है।
आज सुबह देश की राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा ने पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भी कहा कि यह विधेयक कोई सामान्य कानून नहीं है बल्कि नए भारत की नई लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता का उद्घोष है। यह बहुमत के साथ एक मजबूत सरकार की वजह से संभव हो सका है।
(लेखक, स्वतंत्र टिपप्णीकार हैं।)