– के. विक्रम राव
कितना जायज होगा यदि दिल्ली के जामा मस्जिद का प्रबंधक कोई शर्मा, तिवारी या पाण्डेय नामित हो जाए ? उसी भांति क्राइस्ट चर्च का मुखिया भी कोई अहमद अथवा मोहम्मद बना दिया जाए ? या दोनों पदों पर कोई यहूदी राब्बी नियुक्त कर दिया जाए ? ठीक यही हुआ है गत सप्ताह सनातनियों के प्राचीन आराधना केंद्र तिरुपति-तिरुमला देवस्थानम् में। तुर्रा यह कि ऐसा दुबारा किया गया है। रोमन कैथोलिक ईसाई भूमन करुणाकर रेड्डी फिर तिरुपति तिरुमल देवस्थानम के अध्यक्ष नामित हो गए हैं। आंध्र सरकार, जिसने उन्हें मनोनीत किया है, के मुख्यमंत्री हैं येदुगूरी संदिंटि जगन्मोहन रेड्डी। उनके पिता स्व. वाई.एस. राजशेखर रेड्डी सोनिया गांधी के परम स्नेही होते थे। आंध्र-प्रदेश के प्रथम ईसाई मुख्यमंत्री। इस सनातन देवालय का मुखिया मसीही नामित होने पर राज्य में विरोध व्यापक हो रहा है।
प्रतिपक्ष तेलुगू देशम पार्टी के प्रदेश सचिव बुच्ची रामप्रसाद ने सर्वप्रथम यह सवाल उठाया था। धर्मस्थल का प्रधान अनिवार्यतः सहधर्मी ही होता है। आंध्र राज्य की भारतीय जनता पार्टी की अध्यक्षा दग्गुबाती पुरंदेश्वरी ने भी वाएसआर कांग्रेस सरकार द्वारा ईसाई को हिंदू मंदिर का अध्यक्ष बनाने की भर्त्सना की है। पुरंदेश्वरी के पिता थे एनटी रामा राव जो तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक हैं तथा मुख्यमंत्री भी रहे। भाजपा की इस महिला नेत्री ने यही कहा कि : “मंदिर के ट्रस्ट का अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जाना चाहिए जिसकी हिंदू धर्म में पूरी आस्था हो। इस पद का राजनीतिक लाभ जगनमोहन रेड्डी ले रहे हैं।” टीटीडी सेवा नियमों के अनुसार टीटीडी के कर्मचारियों को हिंदू होना चाहिए। तिरुपति बोर्ड के एग्जीक्यूटिव अफसर रह चुके भाजपा नेता और पूर्व चीफ सेक्रेटरी आईवाईआर कृष्णा राव ने भी सरकार के फैसले को गलत ठहराया। फिलहाल अचरज यही है कि वाईएसआर कांग्रेस तो लोकसभा में भाजपा के साथ है। गत सप्ताह अविश्वास के प्रस्ताव पर वोट भी इसने कांग्रेसी प्रस्ताव के विरोध में ही दिया था।
इसी ईसाई अध्यक्ष करुणाकर रेड्डी की बेटी नेहा रेड्डी की शादी 2016 में जगन के चचेरे भाई वाईएस सुमधुर रेड्डी से हुई थी। जगन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से आंध्र में मंदिरों में तोड़फोड़ की बहुत सी घटनाएं हुई हैं। इस परिवार के लिए ईसाई धर्म परिवर्तन लगभग एक पारिवारिक व्यवसाय जैसा है। आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म फैलाने के राज्य समर्थित प्रयास 2004 में वाईएसआर के सीएम कार्यकाल के दौरान शुरू हुए, जो सोनिया-कांग्रेस के वफादार भी थे। उनके प्रयासों में सरकार में ईसाई अधिकारियों को नियुक्त करना, तिरुपति प्रशासन में ईसाइयों को स्थापित करना और अपने खुले तौर पर प्रचारक दामाद, ‘भाई’ अनिल कुमार के माध्यम से शामिल करना शामिल था।
इसी बीच आंध्र सरकार के आलोचकों ने संदेह व्यक्त किया है कि टीटीडी में आस्थावानों द्वारा प्रदप्त धनराशि जो करोड़ों में है का सियासी दुरुपयोग हो रहा है। तेलुगूभाषी आस्थावानों ने एक मौलिक मसला उठाया है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा के हस्तक्षेप की मांग की है ताकि भाजपा की समर्थक पार्टी सनातन आस्था पर हमला बंद करें। खासकर इसलिए यहां का वेंकटेश्वर मंदिर सात पवित्र पर्वतीय मंदिरों में एक है। छब्बीस किलो वर्ग किलोमीटर में बस इस धर्मस्थल में इस मंदिर को “टेंपल ऑफ 7 हिल्स” भी कहा जाता है। तिरुमाला नगर 10.33 वर्ग मीटर (26.75 किलोमीटर वर्ग) के क्षेत्र में बसा हुआ है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने दावा किया है कि पचास वर्षीय जगमोहन रेड्डी भारत से सबसे अत्यधिक अमीर मुख्यमंत्री हैं। अकूत संपत्ति के मालिक।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि देश भर में टीटीडी के स्वामित्व वाली संपत्ति का मूल्य 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें भक्तों द्वारा मंदिर को प्रसाद के रूप में दिए गए भूमि पार्सल, भवन, नगदी और बैंकों में जमा सोना शामिल है। ठीक ऐसी ही स्थिति हाल ही में नांदेड (महाराष्ट्र) तख्त सचखंड श्रीहजूर अबचलनगर साहिब में भी हुई थी। तब अभिजीत रावत नामक प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया गया था। सिख समाज के विरोध से गैर-सिख के किसी व्यक्ति को महाराष्ट्र के नांदेड़ में इस प्रशासक नियुक्त किया जाने के बाद “असंतोष” है। यह सिखों के अधिकार की पांच उच्च सीटों में से एक है। इसका निर्माण 1830 और 1839 के बीच हुआ। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने इस नियुक्ति पर महाराष्ट्र सरकार से विरोध जताया। देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने 2014 में नियमों में बदलाव किया और गुरुद्वारे के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया था। इस तरह का हस्तक्षेप सिखों को पसंद नहीं आया। लखनऊ गुरुद्वारा समिति के पदाधिकारी सरदार कुलतारण सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र शासन का यूपी से भी विरोध किया गया था।
शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी इस नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी। बादल ने इसे “अलग सिख पहचान पर एक खतरनाक वैचारिक हमले का हिस्सा” कहा। दुनिया भर में सिख समुदाय द्वारा दर्ज कराई गई नाराजगी के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने आज एक सिख, विजय सतबीर सिंह, एक पूर्व आईएएस अधिकारी, को नांदेड़ में अबचलनगर साहिब का नया प्रशासक नियुक्त किया। फिलहाल भारत का सर्वाधिक धनी हिंदू मंदिर टीटीडी आज ही एक अनावश्यक मजहबी विवाद में उलझ गया है। इसका प्रभाव शीघ्र होने वाले आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव पर अवश्य पड़ेगा। मतदाताओं के सामने यह भी बड़ा मुद्दा होगा।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)