– ऋतुपर्ण दवे
लालकिला की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बार का उद्बोधन काफी अलग था। यूँ कहें कि नए मिजाज और नए रिवाज साथ के साथ मन की बात तो गलत नहीं होगा। हर बार से अलग ‘परिवार जनों’ से शुरुआत कर इतना संकेत दे दिया कि वे न केवल अलग बोलेंगे बल्कि ऐसा बोलेंगे, जिसके राजनीतिक मायने बहुत गहरे होंगे। अपनी सरकार की उपलब्धियों का खाका खींचते हुए बड़ी बेबाकी से 2014 से अब तक के सफर पर प्रकाश डाला। मणिपुर का भी जिक्र कर जताया कि वो भी उतने चिंतित हैं जितने दूसरे। गुलामी के एक हजार वर्षों की बात कह उन्होंने कहा कि हम ऐसे संधिकाल में हैं जहाँ आगे के हजार साल की दिशा तय करनी है। युवाओं का कई बार जिक्र कर भरोसा जताते हुए कहा दुनिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां 30 वर्ष के युवा जनसंख्या में अधिक हैं, यही हमारी ताकत हैं। इनकी कोटि-कोटि भुजाएं और मस्तिष्क की क्षमताएँ देश को दुनिया में अलग स्थान देने तत्पर है। विश्व इन प्रतिभाओं से चकित है क्योंकि तकनीक के दौर में इनके टैलेण्ट से हम दुनिया में नई भूमिका में होंगे। प्रधानमंत्री को सुनने भारत के सीमावर्ती इलाकों के 600 गांवों के प्रधान भी आमंत्रित थे, जिनका जिक्र करते हुए कहा कि जो कभी सीमावर्ती गांव होते थे आज वो पहली पंक्ति के हैं। ऐसा बदलाव बड़ी इच्छाशक्ति से संभव हो पाया है।
गठित नए मंत्रालयों की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे कैसे-कैसे परिवर्तन और बेहतरी होगी। घर-घर पेयजल, पर्यावरण में सुधार के साथ मत्स्य पालन, पशु पालन, डेयरी उद्योग की बेहतरी होगी। सहकारिता मंत्रालय से अलग-अलग तबकों को फायदा होगा। जब उनकी सरकार 2014 में सत्ता आई थी तब दुनिया में हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था दसवें क्रम पर थी, आज पांचवें पर है। हरित ऊर्जा, सौर ऊर्जा, वंदेभारत-बुलेट ट्रेन, बेहतर सड़कें, इलेक्ट्रिक बसें, 5-जी, क्वांटम कंप्यूटर, नैनो यूरिया, जैविक खेती उपलब्धियां हैं। उन्होंने बड़े आत्मविश्वास से कहा जिसका हम शिलान्यास करते हैं उसका उद्घाटन भी करते हैं। बड़ा सोचना और दूर का सोचना हमारी कार्यशैली है। 200 करोड़ वैक्सिनेशन पूरा करने का सामर्थ्य दुनिया के लिए उदाहरण है। 75 हजार अमृत सरोवर की कल्पना साकार होने वाली है। निश्चित रूप से जलशक्ति, जनशक्ति से पर्यावरण की दिशा में भी भारत बहुत आगे जा चुका है। अगले महीने से एक नई विश्वकर्मा योजना का एलान भी किया। इस दिन 13-15 हजार करोड़ रुपये से इसके जरिए पारंपरिक कौशल में लगे लोगों को मदद पहुंचेगी।
नई संसद का जिक्र करते हुए कहा पुरानी संसद में कम जगह की चर्चा तो पिछले 25 सालों से हमेशा होती थी लेकिन नई संसद को पूरा कर दिखाने का सामर्थ्य मोदी ने ही दिखाया। उन्होंने कहा नया भारत न रुकता है, न थकता है न हाँफता है, न हारता है, इसीलिए सीमाएं सुरक्षित हुईं। सेना में बदलावों से ही सुरक्षा की अनुभूति हुई है। आतंकी-नक्सली हमलों में जबरदस्त कमीं का बड़ा परिवर्तन दिखा। अपने सपने का घर हर कोई बनाना चाहता है। पैसों की दिक्कत के कारण पूरा नहीं हो पाता और मजबूरी में किराए के घर में रहना पड़ता है। इनके लिए सरकार की भावी योजना आ रही है जिसमें ब्याज पर लाखों रुपए की राहत मिलेगी।
भारतीय महिलाओं की विशेष चर्चा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया इनका सामर्थ्य देख दंग है। अब कृषि के क्षेत्र में ड्रोन संचालन में भी महिला स्व-सहायता समूहों की बड़ी भूमिका होगी। इससे एग्रीटेक क्षेत्र में नई क्रान्ति होगी। भारत द्वारा दिए गए नारे वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड तथा भारत की मेजबानी और जी-20 का दिया नारा वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का खास जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को मातृभाषा में भी उपलब्ध कराने पर आभार जताया। अब जजमेंट का ऑपरेटिव पार्ट आवेदक की स्थानीय भाषा में मिलेगा।
2023 में 10 वीं बार दिया उनका भाषण 90 मिनट का था। 2022 में 84 मिनट 4 सेकेण्ड, 2021 में 88 मिनट, 2020 में 86 मिनट, 2019 में 92 मिनट, 2018 का 82 मिनट, 2017 में 57 मिनट, 2016 में 94 मिनट, 2015 में 86 मिनट तथा 2014 में 65 मिनट का भाषण दिया था। सबसे छोटा भाषण 2017 में दिया था जबकि सबसे बड़ा भाषण 2016 में दिया। एक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 10 बार भाषण देकर प्रधानमंत्री ने कुल 13 घण्टे 46 मिनट 4 सेकेण्ड तक लालकिला की प्राचीर से देश को संबोधित किया।
उनका दो बार कहना ‘मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए’ बड़े इशारे हैं। पहली बार ‘मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए, इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे उससे आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है।’ दूसरी बार कहा ‘इन दिनों जो मैं शिलान्यास कर रहा हूं, आप लिखकर रख लीजिए, उनका उद्घाटन भी आप सब ने मेरे नसीब में छोड़ा हुआ है।’ प्रधानमंत्री ने स्वयं अपनी रणनीतिक आक्रामक व तिलमिला देने वाली शैली के तहत भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण के खिलाफ पूरे सामर्थ्य से लड़ने की बात कहने के साथ ही 2024 में भी लालकिले से फिर संबोंधन की बात कह विपक्ष पर जो तगड़ा प्रहार किया है उस पर एक अलग बहस तय है। जब आप यह पढ़ रहे होंगे तब तक तेजी से चर्चा भी शुरू हो चुकी होगी।
इतना तो साफ है कि कहीं न कहीं प्रधानमंत्री ने 2024 की जबरदस्त तैयारियों के संकेत भी दिए। 2014 में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का नाम लेकर सभी को देश की उपलब्धियों से जोड़ने वाले नरेन्द्र मोदी 2023 में बेहद बदले, अलग व सख्त तेवर में दिखे। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर बोलने के मायने बहुत गहरे हैं। खास ब्यूरोक्रेट्स को इसका श्रेय देना और जताना कि मेरे लाखों हाथ-पैर देश के कोने-कोने में सरकार की जिम्मेदारियाँ बखूबी निभा रहे हैं, कहना बड़ी राजनीतिक चतुराई है। यह विश्वास जताना क्या बताता है कहने कि जरूरत नहीं। अब इसे 2024 का शंखनाद कहें, चुनावी भाषण या देश की मौजूदा तस्वीर। हां इतना है कि लालकिला से इस बार मोदी ने मन बात जरूर कही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)