– निरवा पूरी तरह स्वस्थ्य है, परीक्षण के लिये बोमा में रखा गया
भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बीते माह 21 जुलाई को रेडियो कॉलर के काम करना बंद करने के बाद से लापता हुई मादा चीता को 22 दिनों के सर्च अभियान के बाद रविवार को पकड़ लिया गया है। यह जानकारी रविवार को मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) असीम श्रीवास्तव ने दी।
उन्होंने बताया कि डॉग स्क्वाड और ड्रोन टीमों की सहायता से वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा मादा चीता निरवा को सफलतापूर्वक कैप्चर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि निरवा पूरी तरह स्वस्थ्य है और निरवा चीता को परीक्षण के लिये बोमा में रखा गया है। कूनों राष्ट्रीय उद्यान में सभी 15 चीते (सात नर, सात मादा और एक मादा शावक) स्वस्थ हैं। सभी चीतों को बोमा में रखा गया हैं। कूनो वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम की सतत निगरानी में उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीवास्तव ने बताया कि निरवा चीता को शनिवार को शाम के समय लोकेट कर लिया गया, किन्तु सर्चिंग टीम उसे कैप्चर नहीं कर सकी। निरवा स्वस्थ दिखाई पड़ी और गतिमान थी। अंधेरा घिरने वाला था, अतः केप्चर ऑपरेशन को अगले दिन तक स्थगित कर दिया गया। ड्रोन टीमों को रात भर निरवा के लोकेशन पर निगाह रखने की ज़िम्मेदारी दी गई जिसे टीमों ने बखूबी निभाया। ड्रोन टीमों द्वारा उपलब्ध कराई गई लोकेशन की जानकारी के आधार पर रविवार को प्रातः चार बजे से ऑपरेशन प्रारंभ किया गया। लगभग छह घंटे तक चले ऑपरेशन के पश्चात निरवा को सफलतापूर्वक कैप्चर कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान के वरिष्ठ अधिकारियों के कुशल नेतृत्व में ड्रोन टीम, डॉग स्क्वाड, हाथी तथा महावत, क्षेत्रीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों तथा वन्यप्राणी चिकित्सकों के समन्वित प्रयासों से निरवा को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया। निरवा पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बोमा में रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि करीब एक महीने पहले मादा चीता निरवा कूनो उद्यान से जंगल से बाहर निकल गई थी। इसके बाद 21 जुलाई से जब निरवा की कॉलर से सैटेलाइट के माध्यम से मिलने वाली लोकेशन प्राप्त होना बंद हो गयी थी। उसकी खोज लगभग 22 दिनों से लगातार जारी थी। पार्क प्रबंधन वृहद स्तर पर निरवा की खोजबीन में लगा हुआ था। सर्चिंग टीम में 100 से भी ज़्यादा संख्या में प्रबंधन स्टाफ़, जिसमें अधिकारी, कर्मचारी, वन्यप्राणी चिकित्सक और चीता ट्रेकर शामिल थे। दिन-रात पूरे संभावित क्षेत्र में निरवा की खोजबीन कर रहे थे। क्षेत्र में पैदल सर्च पार्टियों के अलावा 2 ड्रोन टीमें, 1 डॉग स्क्वाड और उपलब्ध हाथियों से निरवा को ढूंढने का अभियान चलाया जा रहा था। प्रतिदिन लगभग 15-20 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में खोजबीन की जा रही थी।
स्थानीय ग्रामीणों को निरवा के संबंध में अवगत कराकर, उनसे प्राप्त होने वाली समस्त सूचनाओं का तत्काल परीक्षण एवं सत्यापन कराया जा रहा था। इसी दौरान 11 अगस्त की शाम को निरवा की लोकेशन सैटेलाइट के माध्यम से प्राप्त हुई। तत्काल ही सर्च टीमों को प्राप्त लोकेशन पर भेजा गया। दिन में भी सैटेलाइट के माध्यम से निरवा की 12 अगस्त की ही अन्य लोकेशन भी प्राप्त हुईं।