Friday, November 22"खबर जो असर करे"

भूखे रहने की तकलीफ को मैं जानता हूं : प्रधानमंत्री मोदी

– चुनावी मौसम देखकर योजनाएं लाती थीं पहले की सरकारें, हमारा प्रयास सबको सहारा दें: मोदी

सागर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सागर जिले के बड़तूमा में संत शिरोमणि रविदास के स्मारक और कला संग्रहालय का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संत रविदास कहते थे कि समाज ऐसा हो, जिसमें कोई भूखा न रहे। आजादी के अमृतकाल में हमारी सरकार भी देश को भूख और गरीबी से मुक्ति दिलाने का प्रयास कर रही है। कोरोना महामारी के दौरान जब सारी दुनिया में व्यवस्थाएं ठप हो गई थीं, तब लोग यह आशंका जताने लगे थे कि इस आपदा के दौरान देश के गरीब, दलित, आदिवासी कैसे जीवित रहेंगे? लेकिन मैंने तय किया किसी गरीब को भूखे पेट नहीं सोने दूंगा। भूखे रहने की तकलीफ को मैं जानता हूं। किसी गरीब का स्वाभिमान क्या होता है, यह भी मुझे पता है। हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया।

उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें चुनावी मौसम को देखकर योजनाएं लाती थीं, लेकिन हमारी सोच है कि जीवन के हर पड़ाव पर देश दलितों, वंचितों, आदिवासियों, महिलाओं के साथ खड़ा रहे और उनकी आशाओं, आकांक्षाओं को सहारा दें।

आज शिलान्यास किया है, डेढ़ साल बाद लोकार्पण के लिए भी आऊंगा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे बनारस में संत रविदास की जन्म स्थल पर जाने का कई बार सौभाग्य मिला है और आज में यहां आप सबके बीच हूं, इस धरती से संत शिरोमणि रविदास के चरणों में नमन करता हूं। आज प्रदेश के पांच स्थानों से निकलीं समरसता यात्राओं का समागम भी हो रहा है। ये समरसता यात्राएं यहां खत्म नहीं हुई हैं बल्कि यहां से सामाजिक समरसता के एक नए युग की शुरुआत हो रही है। इन यात्राओं के माध्यम से यहां लाई गई 20,000 से ज्यादा गांवों की मिट्टी और 300 से ज्यादा नदियों का जल भी आज इस स्मारक का हिस्सा बने हैं। इनके साथ समरसता भोज के लिए प्रदेश के लाखों परिवारों ने एक-एक मुट्ठी अनाज भी भेजा है।

उन्होंने कहा कि संतों की कृपा से मुझे इस पवित्र स्मारक के भूमि पूजन का पुण्य अवसर मिला है। पूज्य संत रविदास के आशीर्वाद से मैं पूरे विश्वास से कहता हूं कि आज मैंने शिलान्यास किया है और डेढ़ साल के बाद जब मंदिर बन जाएगा, तो लोकार्पण के लिए भी मैं जरूर आऊंगा और संत रविदास मुझे यहां अगली बार आने का मौका अवश्य देने वाले हैं। उन्होंने संत रविदास के स्मारक के भूमिपूजन पर प्रदेश की जनता एवं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी।

संत रविदास ने दिखाया गुलामी से मुक्ति का रास्ता
मोदी ने कहा कि संत रविदास के स्मारक और संग्रहालय की नींव ऐसे समय पर रखी जा रही है, जब आजादी के अमृतकाल के 25 वर्ष हमारे सामने हैं। इस अमृतकाल में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाएं और अतीत से सबक लें। राष्ट्र के रूप में हमारी हजारों वर्षों की यात्रा में स्वाभाविक रूप से कई बुराइयां आईं और यह भारत की शक्ति है कि इन बुराईयों को दूर करने के लिए संत, महात्मा, महापुरुष और औलिया भी समय-समय पर आते रहे। संत रविदास का जन्म ऐसे समय में हुआ जब देश पर मुगलों का शासन था और जनता मुगलों के उत्पीड़न तथा अत्याचार से त्रस्त थी। ऐसे में रविदास समाज को जगा रहे थे, बुराइयों से लड़ना सिखा रहे थे। उन्होंने कहा था लोग जात-पात के फेर में उलझे हैं और यह बीमारी मानवता को खा रही है। जब हमारी आस्था पर हमले हो रहे थे, पाबंदियां लग रही थीं, तब रविदास ने कहा था पराधीनता पाप है और जो इससे लड़ता नहीं, पराधीनता स्वीकार कर लेता है, उससे कोई प्रेम नहीं करता। पराधीनता के प्रतिकार के लिए ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज की नींव रखी और यहीं भावना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के दिल में रही। इसी को लेकर आज देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के संकल्प पर आगे बढ़ रहा है।

सब मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे
उन्होंने कहा कि हमारे देश में कई ऐसी विभूतियां हुई हैं, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है। देश उनकी विरासत को सहेज रहा है। बनारस में संत रविदास मंदिर का जीर्णोद्धार, भोपाल में गोविंदपुरा स्थित स्किल पॉर्क का नाम संत रविदास के नाम पर रखना, बाबा साहब के जीवन से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकास, जनजातीय इतिहास को सहेजने के लिए म्यूजियम की स्थापना ऐसे ही प्रयास हैं। हमारी सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है तथा भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति और पातालपानी स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखा है। पहली बार इन महापुरुषों को वो सम्मान मिल रहा है, जिसके वे हकदार हैं। संत रविदास की शिक्षा हमें एकजुट करती रहेंगी और हमें सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को लेकर आगे बढ़ना है। हम सब मिलकर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाएंगे।