Sunday, November 24"खबर जो असर करे"

श्रावण के पांचवें सोमवार को धूमधाम से निकली भगवान महाकाल की सवारी, पांच रूपों में दिए दर्शन

उज्जैन। श्रावण-भादौ मास में निकाली जाने वाली सवारियों के क्रम में आज श्रावण मास के पांचवें सोमवार पर भगवान महाकालेश्वर की सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान बाबा महाकाल ने पांच स्वरूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद विराजित होकर अवंतिकानाथ ने नगर भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जाना। भगवान महाकाल की सवारी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन कर पूजन-अर्चन का लाभ लिया।

 

सोमवार दोपहर साढ़े तीन बजे महाकालेश्वर मंदिर से सवारी के निकलने के पूर्व सभामंडप में सर्व प्रथम भगवान चन्द्रमौलेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्चात भगवान की आरती की गई। मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने पूजा-अर्चना संपन्न कराई। सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कुमार पुरुषोत्तम, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, महापौर मुकेश टटवाल, विधायक पारसचंद्र जैन, नगर निगम अध्यक्ष कलावती यादव, नगर निगम आयुक्त रोशन सिंह, अपर कलेक्टर एवं प्रशासक संदीप सोनी, मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पुजारी प्रदीप गुरु, राजेंद्र शर्मा ‘गुरु’, राम पुजारी आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन -अर्चन किया और आरती में सम्मिलित हुए। इस दौरान सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी आदि उपस्थित थे।

 

पूजन के पश्चात भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमौलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की। सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची। यहां शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक, पूजन किया गया। पूजन के पश्चात सवारी पुनः निर्धारित मार्ग से महाकालेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई।