इंदौर/भोपाल। मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। इसको लेकर गुरुवार को अभ्यर्थियों ने इंदौर-भोपाल समेत प्रदेशभर में प्रदर्शन किया। आरोप है कि पटवारी भर्ती में बड़े पैमाने पर घपला हुआ है। नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर इसमें अपने कई लोगों का चयन कराया है। इसमें लेनदेन के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने भी इसको लेकर प्रदेश सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मध्यप्रदेश सरकार को घेरा है, जबकि गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसे कांग्रेस का षड्यंत्र बताया है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को ट्वीट के माध्यम से प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के शासन में एक बार फिर भर्ती में घोटाले की खबरें आ रही हैं। नौकरियों के लिए पदों की लाखों रुपये में बोली लगाए जाने की खबरें हैं। सरकार जांच कराने से क्यों कतरा रही है? भर्ती घोटालों से जुड़े होने के आरोप में भाजपा नेताओं का नाम ही क्यों सामने आता है? नौकरी के लिए भर्तियों में केवल घोटाले ही घोटाले हैं। भाजपा सरकार लाखों युवाओं का भविष्य अंधकार में क्यों डाल रही है?
दरअसल, कांग्रेस नेता अरुण यादव ने गत दिवस भोपाल में प्रेसवार्ता कर पटवारी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। इसके बाद प्रदेशभर में पटवारी भर्ती परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
इधर, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पटवारी चयन परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। कांग्रेस और उसके नेता प्रदेश को बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। पार्टी के ही अशोकनगर का प्रवक्ता, जो परीक्षा में फेल हो गया, उसके तथ्यहीन आधारों को तर्क बनाकर प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस एजेंसी के माध्यम से पटवारी चयन परीक्षा कराई गई, वह आईआईटी, नीट सहित अन्य प्रतिष्ठित परीक्षाएं कराती है। कांग्रेस नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव सहित अन्य कांग्रेस के नेता नौजवानों के मनोबल को तोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पटवारी चयन परीक्षा में प्रावीण्य सूची में स्थान पाए जिन सात अभ्यर्थियों को लेकर प्रश्न उठाए जा रहे हैं, उन्होंने अलग-अलग पाली में परीक्षा दी है। प्रत्येक उत्तर की रिकार्डिंग होती है। कमल नाथ जी, जुबानी जमा खर्च मत कीजिए। लिखित में मांगिए, सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा। उन्होंने हिंदी में हस्ताक्षर किए जाने पर उठाए प्रश्न को लेकर कहा कि यह शर्मनाक है।
गृह मंत्री ने कहा कि जिस प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होती हो, वहां हस्ताक्षर हिंदी में नहीं तो क्या इटालियन में अभ्यर्थी करेंगे। हिंदी में हस्ताक्षर करने वालों में से एक भी परीक्षार्थी के 25 में से 25 नंबर नहीं आए। आरोप लगाने से पहले परीक्षार्थियों की अंकसूची देख लेते तो यह झूठ नहीं बोलना पड़ता। उन्होंने कहा कि कमल नाथ सरकार डेढ़ साल रही पर एक भी नौजवान को नौकरी दी हो तो बताएं। उन्होंने तो रोजगार के नाम पर ढोर चराने और बैंड बजाने को लिखित में कहा था। जिस सेंटर को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं, वहां के 114 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। ऐसे 31 सेंटर और हैं, जिसमें इससे अधिक लोग उत्तीर्ण हुए। पता नहीं कांग्रेस के नेताओं को ग्वालियर से क्या दुश्मनी है?
उन्होंने कहा कि ग्वालियर में पांच, भोपाल में 42 प्रतिशत अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। 15 माह की कांग्रेस सरकार में भी ग्वालियर के प्रति दुराग्रह सबने देखा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक लाख नौकरियां दे दी हैं। कांग्रेस की वेदना यही है कि वे एक भी नौकरी नहीं दे पाए। कमलनाथ सरकार में एक भी बेरोजगार को न तो रोजगार मिला और न ही बेरोजगारी भत्ता। पीड़ित युवा सब देख रहा है और एक-एक चीज का हिसाब लेगा।