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‘मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना’ कौशल मांग और आपूर्ति के अंतर को मिटाने वाली अभिनव पहलः यशोधरा राजे

-कौशल विकास मंत्री ने नई दिल्ली में कार्यशाला में उद्योग जगत से योजना को सफल बनाने सहयोग मांगा

भोपाल (Bhopal)। प्रदेश की तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (Minister Yashodhara Raje Scindia) ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) द्वारा प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (Chief Minister’s Learn-Earn Scheme) मध्यप्रदेश के युवाओं को उद्योग जगत की मदद से कुशल बनाने और भावी श्रमबल का निर्माण करने का प्रयास है। मंत्री सिंधिया गुरुवार को नई दिल्ली में फिक्की और मध्यप्रदेश शासन के संयुक्त तत्वावधान से मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना पर फिक्की हाउस में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्चुअली शामिल हुए।

कौशल विकास मंत्री सिंधिया ने कहा कि राज्य में पर्याप्त कौशल पूल और बुनियादी ढांचा मौजूद है। सिंगापुर के सहयोग से भोपाल में 34 एकड़ में ग्लोबल स्किल पार्क सितम्बर माह तक तैयार हो जाएगा, जिसमें 6000 युवाओं को मैकाट्रोनिक्स, ऑटोमेटिव टेक्नोलॉजी, प्रिसाइजन इंजीनियरिंग, एसी-रेफ्रिजरेशन, नेटवर्क सिस्टम जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने पार्क में 92 हजार स्क्वॉयर फीट क्षेत्रफल में फैले एकेडमिक बिल्डिंग और सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस से सहभागिता करने के लिए फिक्की के सदस्यों और उद्योगपतियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के प्रति उद्योग जगत का उत्साह देखते ही बनता है। टीम साझेदारी और सहयोग से ही हम इस उत्साह को वास्तविकता में बदल सकते हैं। इसके लिए हमारा विभाग और राज्य सरकार हर संभव सहायता के लिए कटिबद्ध है।

कार्यशाला में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग के अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने योजना की पृष्ठभूमि और प्रतिष्ठानों को मिलने वाले लाभ के संबंध में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस योजना में मध्यप्रदेश के 18 से 29 आयुवर्ग के मूलनिवासियों को 750 से अधिक पाठ्यक्रमों में उद्योगोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे नियमित रोजगार प्राप्त करने के योग्य बन सकेंगे। योजना का लाभ प्रदेश के लगभग एक लाख युवाओं को प्रतिवर्ष मिलेगा। योजना में राज्य के और अन्य राज्यों की जीएसटी पंजीकृत निजी कम्पनियां शामिल हो सकती हैं। योजना में शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप छात्र-अभ्यर्थियों को 8 से 10 हजार रुपये स्टाइपेन्ड प्राप्त होगा जिसका तीन चौथाई व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।

योजना में प्रशिक्षण की निर्धारित एक वर्ष की अवधि में सहभागी प्रतिष्ठानों को प्रत्येक छात्र-अभ्यर्थी पर प्रतिमाह 75 प्रतिशत स्टाइपेन्ड की बचत और 90 हजार रुपये वार्षिक बचत होगी। प्रशिक्षण के बाद कम्पनी अपनी आवश्यकता अनुसार इन छात्र-अभ्यर्थियों को भविष्य में नियोजित कर सकेंगी। योजना के पोर्टल में युवाओं की पंजीयन प्रक्रिया शुरू होने के दो दिन में ही 50 हजार से अधिक छात्र-अभ्यर्थियों और 11 हजार से अधिक प्रतिष्ठानों ने पंजीकरण करवाया है और 36 हजार से अधिक रिक्तियां प्रकाशित की गई हैं।

कार्यशाला के प्रश्नोत्तर सत्र में एशियन पेन्ट्स, नेस्कॉम, नीवा बूपा हेल्थ इन्श्योरेंस, ब्लॉसम कोचर ग्रुप, शाही एक्सपोर्ट, यूनीसेफ, सिम्पलीलर्न, जेबीएम ग्रुप, टीसीएस इन्टरेक्टिव और टीसीएस, हमलोगजोब्स, पेस्टोडाइडेक्टिट, श्नाइडर और हैट्टिक के प्रतिनिधियों ने योजना के संदर्भ में अपने प्रस्ताव और सुझाव साझा किये।

इस मौके पर कौशल विकास संचालक हरजिन्दर सिंह ने बताया कि प्रदेश का पहला ग्लोबल स्किल पार्क भोपाल में तैयार हो रहा है। इसके अतिरिक्त ग्वालियर, रीवा, सागर और जबलपुर में चार ग्लोबल स्किल पार्क स्थापित किये जाने हैं जो ग्रीन जोब्स, आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस और एनीमेशन पर केन्द्रित होंगे। उन्होंने फिक्की सदस्यों से भी ग्लोबल स्किल पार्क और मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना में सहयोग करने की अपील की।