Monday, November 25"खबर जो असर करे"

एनआईए के ‘ऑपरेशन ध्वस्त’ के निहितार्थ

– कमलेश पांडेय

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंक, तस्कर और गैंगस्टर के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को हतोत्साहित और नेस्तनाबूद करने के लिये 17 मई को नए सिरे से ऑपरेशन ध्वस्त को अंजाम दिया है। इसके लिए एनआईए और संबंधित राज्यों की पुलिस की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि ऐसे शातिर लोगों को राजनीतिक, प्रशासनिक और कारोबारी शह व संरक्षण भी हासिल होता है। इसलिए राष्ट्रहित में ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई का होना काबिल-ए-तारीफ है। इसके लिए अधिकारीगण लोक प्रशंसा के पात्र हैं।

आखिर यह कौन नहीं जानता कि देश में गैंगस्टर का नेतृत्व कर रहे कई अपराधी पाकिस्तान, कनाडा, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से अपनी अवैध गतिविधियों को संचालित कर रहे है। वहां से यह लोग भारत के जेलों में बंद अपराधियों के साथ मिलकर गंभीर अपराधों की साजिश रचने में लगे हुए हैं। इसका मकसद भारत में सफलतापूर्वक कार्य कर रही केंद्र की मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को अस्थिर किया जा सके।

कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि जगहों से नक्सलियों, आतंकियों, गैंगस्टर्स के नेटवर्क की बातें समय समय पर सामने आती रही हैं। इसलिए स्थिति की गम्भीरता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि ऐसी खतरनाक साजिशें विभिन्न राज्यों की जेलों से ही रची जा रही हैं। यह जेल प्रशासन की लापरवाही या फिर राज्य प्रशासन की रणनीतिक कोताही की ओर इशारा करने के लिए काफी है।

ऐसा इसलिए कि लगभग दो दशकों तक केंद्र में अल्पमत या गठबंधन की सरकार होने और राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकार रहने से अपराधी और षड्यंत्रकारी बेकाबू हो चुके थे और सूबाई जेलों को उन्होंने अपना सुरक्षित अड्डा बना लिया था। अब भी अधिकांश छोटे-बड़े राज्यों में जहां भाजपा विरोधी सरकारें हैं वहां ऐसे तत्व ज्यादा सक्रिय हैं।

अंडरवर्ल्ड में अपनी जड़े गहरी कर चुका गैंगस्टर लारेंस विश्नोई अपने चतुर गुर्गों के सहारे नाक पर दम किए है। उससे कई राज्यों की पुलिस की नींद उड़ी हुई है। वह अब इंटरपोल की खुफिया टीम की नजरों पर भी चढ़ चुका है। एनआईए की जांच में भी इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है कि ऐसी साजिशें विभिन्न राज्यों की जेलों में रची जा रही थीं। हाल ही में गोइंदवाल और तिहाड़ जेल में हुई हत्या इसी साजिश का हिस्सा है।

बहरहाल, एनआईए ने विभिन्न राज्यों की पुलिस के साथ तालमेल बिठाते हुए सात राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश के 324 स्थानों पर छापा मारकर कई संदिग्धों को दबोचा है। उत्तर प्रदेश जैसे सुधरे हुए राज्य में तकरीबन 120 स्थानों पर की गई छापेमारी से स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। दरअसल, मोहाली में हुए विस्फोट के तार लखनऊ, अयोध्या और सुलतानपुर जैसे जनपदों से जुड़े हुए हैं। इसके दृष्टिगत यहां छापा पड़ा। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ में ऑपरेशन ध्वस्त के तहत छापे मारे गए।

इस दौरान एनआईए ने 129, पंजाब पुलिस ने 17 जिलों में 143 और हरियाणा पुलिस ने 10 जिलों में 52 स्थानों पर छापा मारा। दिल्ली-एनसीआर में 32 जगहों पर, राजस्थान में भी 52 जगहों पर ताबड़तोड़ पड़े छापों ने इनकी कमर तोड़ दी है। इस छापेमारी में 60 मोबाइल फोन, पांच डीवीआर, 20 सिम कार्ड, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, डोंगल, वाई फाई राउटर, डिजिटल घड़ी, 75 दस्तावेज के अलावा पिस्टल, मिश्रित गोला-बारूद, जिंदा और इस्तेमाल किए गए कारतूस और 39.6 लाख रुपये नकद बरामद हुए है।

खास बात यह कि धमाके के मुख्य आरोपित दीपक रंगा को पनाह देने के आरोप में एनआईए ने अयोध्या के देवगढ़ निवासी विकास सिंह के लखनऊ व अयोध्या स्थित ठिकानों पर छापा मारा। विकास अयोध्या में अपने घर पर मिला, जहां उससे पूछताछ की गई। विकास सिंह के कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई से जुड़े होने की आशंका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की इस कार्रवाई का उद्देश्य लॉरेंस विश्नोई, छेनू पहलवान, दीपक तीतर, भूपी राणा, विकास लगरपुरिया, आशीष चौधरी, गुरुप्रीत सेखों, दिलप्रीत बाबा, हरसिमरत सिम्मा, अनुराधा जैसे खूंखार गैंगस्टर के अलावा आतंकवादी अर्श दल्ला के गठजोड़ को तोड़ना था। इसमें एजेंसी को काफी हद तक कामयाबी मिली है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)