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प्रकाश बादल का निधन, दो दिन का राष्ट्रीय शोक, राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने जताया दुख

नई दिल्ली (New Delhi)। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Punjab) और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक (Patron of Shiromani Akali Dal) प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) के निधन की खबर से राजनीति जगत में शोक की लहर है। स्व. बादल को श्रद्धांजलि देने का तांता लगा हुआ है। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu), प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों और कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है। इसी बीच केन्द्र सरकार ने बादल के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी सरकारी सांस्कृतिक आयोजन नहीं होगा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार देर रात ट्वीट कर प्रकाश बादल के निधन पर शोक जताया। राष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में कहा कि प्रकाश सिंह बादल आजादी के बाद से सबसे बड़े राजनीतिक दिग्गजों में से एक थे। देशभर में उनका सम्मान था। उनका निधन एक शून्य छोड़ देता है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।

बादल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बादल के निधन पर शोक जताया। उन्होंने ट्वीट किया कि मैं बादल के निधन से बहुत दुखी हूं। बादल भारतीय राजनीति में विशाल व्यक्तित्व के नेता थे। उन्होंने राष्ट्र के उत्थान और पंजाब के विकास के लिए अथक प्रयास किये। उन्होंने कहा, “मुझे हमारी कई बातचीत याद है, जिसमें उनकी बुद्धिमत्ता हमेशा स्पष्ट रूप से झलकती थी। उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदना।

बादल के निधन पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी ट्वीट कर शोक जताया।

प्रकाश सिंह बादल : गांव के सरपंच से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पूरा जीवन संघर्ष और उतार-चढ़ाव वाला रहा है। प्रकाश सिंह बादल पंजाब की राजनीति में ए टीम के उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सरपंच से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और लंबे संघर्ष के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।

पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने अपने जीवन में पहला चुनाव गांव बादल में सरपंच के लिए लड़ा और जीत गए। उस समय प्रकाश सिंह बादल को सबसे कम उम्र के सरपंच बनने का खिताब मिला था। वर्ष 1957 में उन्होंने सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। वर्ष 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। वर्ष 1969-70 तक वह पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी विकास आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।

इसके अलावा प्रकाश वर्ष 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा वर्ष 1972, 1980 और वर्ष 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। प्रकाश सिंह बादल की पहचान राजनीतिक मोर्चे लगाने वाले नेता की रही है। वह पंजाब के मामलों को लेकर कई बार जेल भी गए।

मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री काल में सांसद भी चुने गए। वहीं वर्ष 2022 का चुनाव लडऩे के बाद वह सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने। प्रकाश सिंह बादल अपने जीवन का अंतिम चुनाव हार गए। इस चुनाव में हार के बाद प्रकाश सिंह बादल ने सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन से दूरी बनाई। सात दशकों तक पंजाब की राजनीति में सक्रिय रहे प्रकाश सिंह बादल पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने एसी कमरों को छोडक़र संगत दर्शन शुरू किया और मुख्यमंत्री रहते हुए ज्यादा समय जनता के बीच व्यतीत किया।