Friday, November 22"खबर जो असर करे"

इंडोनेशिया में योगी मॉडल

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

अनेक अवसरों पर सुशासन का योगी मॉडल दुनिया में चर्चित हुआ है। विकसित देशों ने भी इसके कई बिंदुओं से प्रेरणा ली है। इस बार योगी मॉडल का विस्तार इंडोनेशिया में हुआ है। इस तथ्य को वहां की राजदूत ने स्वीकार किया है। इंडोनेशिया की राजदूत ने पिछले दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। यह मुलाकात अर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रही। दोनों देशों के युगों पुराने सांस्कृतिक संबंध पर चर्चा हुई। राजदूत ने अपने नाम को भारतीय संस्कृति से जोड़ा। उनका कथन भाव विभोर करने वाला रहा। अर्थिक क्षेत्र में योगी की एक जिला एक उत्पाद योजना का प्रसंग उठा। इंडोनेशिया की राजदूत ने कहा कि उनके नाम में ही कृष्णमूर्ति जुड़ा हुआ है। यह भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के प्रति जुड़ाव को प्रकट करता है।

वर्तमान उत्तर प्रदेश में ही प्रभु श्रीराम और प्रभु श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में अयोध्या और मथुरा दोनों का विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकास हो रहा है। अयोध्या में भव्य मन्दिर का निर्माण चल रहा है। उत्तर प्रदेश और इंडोनेशिया के बीच सीधी हवाई सेवा का प्रस्ताव किया गया। राजदूत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बेहतरीन इनिशिएटिव एक जनपद एक उत्पाद ओडीओपी से प्रेरणा लेकर इंडोनेशिया के बाली में वन विलेज वन प्रोडक्ट कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस प्रयास से ग्रास रूट लेवल पर अर्थव्यवस्था को गति मिली है। इंडोनेशिया में योगी की मिशन शक्ति योजना भी चर्चा में है। इसको भी वहां लागू किया जाएगा।

राजदूत कृष्णमूर्ति ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज इन्फ्रॉस्ट्रक्चर डेवलपमेंट के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय विदेश नीति के लुक ईस्ट अध्याय को एक्ट ईस्ट में बदल दिया था। उनके द्वारा गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों को आमंत्रित करना एक्ट ईस्ट का बेजोड़ प्रयास था। राजपथ पर इन देशों के शासकों की एक साथ मौजूदगी अपने में विलक्षण और महत्वपूर्ण थी। एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत करने के उद्देश्य से मोदी अपने पहले कार्यकाल में ही इंडोनेशिया की यात्रा पर गए थे। दोनों देशों के बीच समुद्र,व्यापार और निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ा है। भारत और इंडोनेशिया समुद्री पड़ोसी देश हैं। दोनों देशों की सभ्यताएं एक दूसरे से जुड़ी हैं। यह यात्रा राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में कारगर रही है। इसके अलावा द्विपक्षीय और क्षेत्रीय कारोबार व रक्षा के क्षेत्र में सहयोग भी आगे बढ़ा है। दोनों देशों के बीच 15 समझौते हुए जिनमें रक्षा विज्ञान, तकनीक,रेल,स्वास्थ आदि से संबंधित सहयोग प्रगति पर है।

इंडोनेशिया के बाली और भारत के उत्तराखंड राज्यों को सहोदर राज्य बनाने की भी घोषणा की गई थी। इंडोनेशिया, दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन आसियान में भारत का सबसे बड़ा साझीदार है। भारत वहां से कोयला और पामऑयल आयात करता है। सामुद्रिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है। यह महत्वपूर्ण है कि इंडोनेशिया ने सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सामरिक उपयोग पर सहमति है। इसके माध्यम से भारत के अंडमान निकोबार और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के बीच संपर्क आसान हुआ है। दक्षिण और पूर्वी सागर के अनेक द्वीपों पर चीन ने सैनिक अड्डे बनाए हैं। ऐसे में भारत और इंडोनेशिया के बीच सबांग समझौता हुआ था। इंडोनेशिया भी इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित है। इसके विरुद्ध दोनों देश साझा प्रयास पर सहमत हैं।

वहां लोग आज भी रामकथा में आस्था रखते है। नरेन्द्र मोदी ने श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर इसका उल्लेख भी किया था। उन्होंने कहा था कि विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई देश भगवान श्री राम के नाम का वंदन करते हैं। रामायण इंडोनेशिया में प्रसिद्ध और पूजनीय है। इंडोनेशिया के लोग तो कहते हैं कि उन्होंने उपासना पद्धति या मजहब बदला है, लेकिन अपने पूर्वज नहीं बदले हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ रहे सहयोग में उत्तर प्रदेश का भी योगदान है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार मैन्युफैक्चरिंग इण्डस्ट्री को प्रोत्साहित कर रही है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र में प्रदेश सरकार ने युवाओं के लिए शानदार अवसर उपलब्ध कराए हैं। यहां इन्फ्रॉस्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। प्रदेश पांच एक्सप्रेस-वे और नौ एयरपोर्ट वाला राज्य है। शीघ्र ही पांच और एयरपोर्ट शुरू होने जा रहे हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला राज्य भी बनने जा रहे है। इस क्षेत्र में विकास की असीम सम्भावनाएं हैं। इसमें इंडोनेशिया हमारा अच्छा सहयोगी बन सकता है। उत्तर प्रदेश भारत में सबसे बड़ी आबादी का प्रदेश है। यह भारत का हृदय स्थल है। यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का स्रोत है। योगी ने बताया कि उन्हें जब भी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों में जाने का अवसर मिला है, उन्हें वहां देवासुर संग्राम की प्रतिकृतियां देखने को मिली हैं। देवासुर संग्राम से सम्बन्धित कुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम है।

यह आयोजन भी इसी प्रदेश की पुण्य धरा पर होता है। भारत और इंडोनेशिया के मध्य घनिष्ठ सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक सम्बन्ध हैं। दोनों देश लम्बा इतिहास साझा करते हैं। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण में बाली, जकार्ता,सुमात्रा का प्रमुखता से उल्लेख है। इन क्षेत्रों से जुड़ना हर भारतीय के लिए उत्सुकता और आकांक्षा का विषय है। राम और बुद्ध की परम्परा से जुड़ना प्रत्येक भारतीय के लिए गौरवपूर्ण है। अयोध्या में दीपोत्सव के विशेष आयोजन में प्रतिवर्ष इंडोनेशिया के रामलीला कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। समय के साथ संभव है कि दोनों देशों की उपासना पद्धति में कुछ भिन्नता हो गई हो, किंतु हमारी मूल भावना एक ही है। उत्तर प्रदेश अपनी विरासत और परंपराओं के संरक्षण का कार्य कर रहा है। इंडोनेशिया हमारी विरासतों का निकटतम सहयोगी है। राज्य सरकार अगले वर्ष के प्रारंभ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारी कर रही है। इंडोनेशिया के उद्यमियों के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है। दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्धों को और मजबूत करने का यह महत्वपूर्ण अवसर होगा।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)