Saturday, November 23"खबर जो असर करे"

प्रासंगिक हैं जन-जन के श्रीराम

– सुरेन्द्र किशोरी

दुनिया में जहां कहीं भी सनातन धर्मावलंबी हैं, वहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा आदर्श के रूप में होती है। खासकर भारतीय धर्म-संस्कृति में भगवान श्रीराम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कोटि-कोटि हृदयों में प्रभु श्रीराम के प्रति गहन आस्था है।

राष्ट्र जागरण एवं विश्व परिवर्तन के वर्तमान परिवेश में वह और भी अधिक प्रासंगिक एवं पूजनीय बन चुके हैं। उनका शौर्य, उनकी मर्यादा, उनका संघर्ष, उनका अनीति उन्मूलन के प्रति प्रचंड पुरुषार्थ एवं आदर्श राज्य व्यवस्था रामराज्य के सर्व कल्याण की प्रेरक प्रतिष्ठापनाएं जन-जन में उत्कृष्ट भाव-संवेदनाएं जगाती है। प्रखर पुरुषार्थ पराक्रम के लिए प्रेरित करती हैं।

वर्तमान में जब अंधकार का युग तिरोहित हो रहा है, नवयुग का सूर्योदय हो रहा है, प्रभु श्रीराम का महान गौरवशाली जीवन दिव्य प्रकाशस्तंभ की तरह मार्गदर्शन करने को पूर्ण तत्पर है। भारतीय संस्कृति की अति महत्वपूर्ण विशेषताएं जो विश्व जनमानस की धरोहर हैं। उन्हें अपनाने, अपना आदर्श बनाने की आत्मीयता एवं श्रद्धापूर्ण अभीष्ट अभीप्सा अगणित धर्मवानों-राष्ट्रभक्तों के हृदय में उमड़ने-उभरने लगी है।

महान भविष्यवक्ताओं, दिव्यदर्शी महापुरुषों और अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा आचार्य ने अनंत कालचक्र के वर्तमान खंड को मानव मात्र के लिए दिव्य संभावनाओं, उपलब्धियों, योजनाओं के साकार होने का समय बताया है। जिसमें सभी के लिए उज्ज्वल भविष्य, समृद्ध, सुसंस्कृत जीवन एवं सर्वोच्च भौतिक आत्मिक प्रगति का सुलभ होना सुनिश्चित माना गया है।

इसका आधार बन रहा है सनातन धर्म-संस्कृति का ज्ञान-विज्ञान एवं ऋषियों-मुनियों, अवतारी चेतनाओं का आदर्श व्यक्तित्व। प्रभु श्रीराम का व्यक्तित्व आदर्श अवतार का रहा है, जिसके कारण भारत ही नहीं, विश्व भर के बहुत सारे लोगों में उनके प्रति परम आस्था एवं श्रद्धा का सघन भाव रहा है, जो आज प्रकट होकर क्रियान्वयन में निरत है। श्रीराम चरित्र एक समुद्र की तरह है, जिसमें सर्वसाधारण से लेकर विशिष्ट जनों तक के लिए प्रेरक चिंतन के अमूल्य मोती विद्यमान हैं।

आज जब कुछ स्वघोषित बुद्धिवादियों द्वारा श्रीराम चरित्र से जुड़े ग्रंथों पर कुतार्किक प्रहार किया जा रहा है। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि हम उनके महान आदर्शों को धूमिल नहीं होने दें। बल्कि समर्पण एवं निष्ठा के साथ कुटिल आक्षेपों का निराकरण करते हुए, तथ्यों की वास्तविकता को जनसमुदाय के समक्ष स्पष्टतापूर्वक रखें। आध्यात्मिक-सांस्कृतिक प्रगति का जो राष्ट्र अभियान गति पकड़ चुका है, उस पर कोई ग्रहण, धब्बा नहीं लग सके।

प्रभु श्रीराम आदर्श पुरुष, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श शिष्य, आदर्श सम्राट आदि का हृदयग्राही परम अनुकरणीय कर्म-पथ प्रस्तुत करते हैं। आज अत्यंत आवश्यकता है कि हम सभी उनके दिव्य स्वरूप को भली भांति जानें, समझें एवं अनुगमन करें, ताकि पूरी मानवता का भविष्य शानदार और श्रेष्ठ बनाया जा सके।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)