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मादा चीता “साशा” भारत आने से पहले से ही गुर्दों के संक्रमण से थी पीड़ित

भोपाल (Bhopal)। नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ी गई मादा चीता “साशा” की गुर्दों में संक्रमण होने की वजह से सोमवार को मृत्यु हो गई। इस मादा चीता के गुर्दों में संक्रमण भारत आने के पहले से ही था। यह जानकारी मप्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-प्राणी जेएस चौहान ने सोमवार शाम को दी।

उन्होंने बताया कि मादा चीता साशा के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए तैनात तीन पशु चिकित्सकों द्वारा उसके स्वास्थ्य परीक्षण में उपचार की आवश्यकता पाई गई थी। फलस्वरूप उसी दिन उसे क्वारेंटाइन बाड़े में लाया गया। मादा चीता का स्वास्थ्य परीक्षण वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थित लैब में अत्याधुनिक मशीनों से किया गया। खून के नमूनों की जांच से यह जानकारी प्राप्त हुई कि साशा के गुर्दों में संक्रमण है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक चौहान ने बताया कि भारतीय वन्य जीव-संरक्षण देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कूनों राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा चीता कंजर्वेंशन फाउडेंशन, नामीबिया से “साशा” की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त होने पर ज्ञात हुआ कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में खून के नमूने की गई अंतिम जांच में भी क्रिएटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था जिससे यह पुष्टि हुई है कि साशा को गुर्दे की बीमारी भारत आने के पहले से ही थी।

उन्होंने बताया कि 22 जनवरी 2023 से “साशा” की मृत्यु दिनांक तक कूनो राष्ट्रीय उद्यान के सभी वन्य प्राणी चिकित्सकों और नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ. इलाई वॉकर द्वारा लगातार दिन-रात परीक्षण कर उपचार किया गया। उपचार के दौरान सतत रूप से चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया तथा प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोर्डिक, डॉ. एन्डी फ्रेजर, डॉ. माइक तथा फिन्डा गेंम रिजर्व के वरिष्ठ प्रबंधक से साशा के स्वास्थ्य के विषय में विस्तार से चर्चा की गई। इन सभी विशेषज्ञों और चिकित्सकों से “साशा” का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और उनकी सलाह के अनुसार “साशा” का इलाज किया गया।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि नामीबिया से लाए गए शेष 7 चीता, जिनमें तीन नर और चार मादा स्वच्छंद विचरण के लिए खुले वन क्षेत्र में छोड़े गए हैं, पूरी तरह से स्वस्थ एवं सक्रिय रह कर शिकार कर रहे हैं। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए सभी 12 चीता वर्तमान में क्वारेंटाइन बाड़ों में स्वस्थ और सक्रिय हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर 17 सितम्बर 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों (पांच मादा और तीन नर) को मप्र के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रिलीज किया था। इनमें साशा भी शामिल थी। वहीं, दक्षिण अफ्रीका ने 12 चीते पिछले महीने ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए हैं। इन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बाड़ों में छोड़ा था।

कुनो पार्क में नामीबिया से लाई गई मादा चीता “साशा” की मौत
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाई गई मादा चीता “साशा” की मौत हो गई। पीसीसीएफ रमेश के गुप्ता ने “साशा” की मौत होने की पुष्टि की है। बताया गया है कि वह करीब कई दिनों से बीमार थी। उसकी किडनी में इन्फेक्शन हो गया था, जिसके सोमवार सुबह साढ़े 8 बजे उसने दम तोड़ दिया। साशा की उम्र पांच साल थी।

हालांकि, कूनो पार्क प्रबंधन अभी साशा की बीमारी को लेकर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। बताया जा रहा है कि साशा कई दिनों से बीमार चल रही थी। साशा की मौत से देश के चीता प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। कूनो पार्क सहित वन विभाग साशा की मौत से सकते में हैं।

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने बताया कि मादा चीता साशा सुबह मृत अवस्था में मिली है, लेकिन उसकी मौत कब हुई, यह फिलहाल नहीं बताया जा सकता है। भोपाल से फॉरेस्ट और वेटनरी डॉक्टरों की एक टीम कूनो पहुंच गई है।

बताया गया है कि 23 जनवरी को चीता साशा बीमार हो गई थी। जिसके इलाज के लिए भोपाल से वेटनरी डॉक्टरों की टीम कूनो पहुंची थी। डॉक्टरों ने उसकी किडनी में इंफेक्शन होना बताया था। वन विहार से पहुंची एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम मादा चीता को अपनी देख-रेख में लेकर उसका इलाज कर रही थी। इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार भी आया था। हि.स.)