Friday, November 22"खबर जो असर करे"

मप्रः रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गजक को मिला जीआई टैग

– मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले (Rewa district) का सुंदरजा आम (Sundarja Mango) वैसे तो अपनी खासियत के लिए पूरे विश्व में मशहूर है लेकिन अब इसकी पहचान और ज्यादा खास होने जा रही है। कारण यह है कि रीवा के सुंदरजा आम को अब जीआई टैग (GI tag) मिल गया है। सुंदरजा आम के अलावा मध्यप्रदेश के ही मुरैना की गजक (Morena’s Gajak) और छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दूबराज चावल (Nagari Dubraj Rice) को भी जीआई टैग प्रदान किया गया है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्वयं सोशल मीडिया के माध्यम से दी। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से रीवा के सुंदरजा आम, मुरैना की गजक और छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दूबराज चावल को टीआई टैग मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने रविवार को ट्वीट करते हुए कहा है कि हर्ष का विषय है कि प्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गजक को जीआई टैग मिलने से वैश्विक पहचान मिली है। इस गौरवपूर्ण सम्मान के लिए रीवा और मुरैना के भाई-बहनों एवं सभी प्रदेशवासियों को मैं हृदय से बधाई देता हूं। मुख्यमंत्री चौहान ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का आभार माना है।

गौरतलब है कि सुंदरजा आम मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ कस्बे में बहुतायत में होता है। फलों के राजा आम की यह एक विशेष प्रजाति है। सुंदरजा सिर्फ भारत के लोगों की ही पसंद नहीं है बल्कि विदेशी भी इसके दीवाने हैं। रीवा जिले के गोविंदगढ़ के बगीचों से निकलकर ये आम विदेशी जमीं पर अपनी महक बिखेर रहा है। इस आम की विशेष किस्म की सुगंध और मिठास का कोई तोड़ नहीं है। सुंदरजा की खासियत यह है कि यह बिना रेशे वाला होता है और इसमें पाई जाने वाली शर्करा का प्रकार कुछ ऐसा है कि इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं।

विंध्य क्षेत्र की शान समझे जाने वाले सुंदरजा आम का उत्पादन पहले रीवा जिले के गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था लेकिन कालांतर में गोविंदगढ़ इलाके के साथ ही रीवा शहर से लगे कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी बहुतायत मात्रा में इसकी खेती की जाती है। हालांकि गोविंदगढ़ के बागों में होने वाला सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग लिए होता है जबकि रीवा के कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में उत्पादित होने वाला सुंदरजा आम हल्का हरा होता है।

विदेशियों की बना पसंद
गोविंदगढ़ किले में होने वाला सुंदरजा आम रियासत काल में राजे-राजवाड़ों की पसंद था, लेकिन आज दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित कई राज्यों से लोग इसे एडवांस आर्डर देकर मंगवाते हैं। इतना ही नहीं विदेशों में भी सुंदरजा आम को खूब पसंद किया जाता है, खासतौर से फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका, अरब देशों में सुंदरजा आम के तमाम लोग शौकीन हैं।

जारी हुआ था डाक टिकट
सुंदरजा आम की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 1968 में इस आम के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था।

मुरैना का गजक
वहीं, गजक की बात करें तो यह एक प्रकार की मिठाई है। अगर गजक के साथ मुरैना का नाम जुड़ जाए तो लोग इसे क्वालिटी और स्वाद के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। इसीलिए मुरैना की गजक का स्वाद पूरे देश में प्रसिद्ध है। गजक बनाने का काम मुरैना का मुख्य उद्योग है। इस गजक की कई खासियत भी है। इस छोटे जिले में लगभग गजक की एक हजार से अधिक दुकानें हैं। अगर गुड़ और तिल से बनी मिठाइयों की बात आए तो गजक को श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे तो इस गजक का इस्तेमाल लोग पूरे साल करते हैं, लेकिन सर्दियों में इसे खाना गुणकारी माना जाता है।

क्या होता है जीआई टैग
किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसे जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडीकेटर कहते हैं। हिंदी में इसे भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है।

ऐसे मिलता है जीआई टैग
किसी भी क्षेत्र की विशेष वस्तु जो उस क्षेत्र के अलावा कहीं और नहीं पाई जाए, उसे विशेष पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग दिया जाता है। जीआई टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी किया जाता है, जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत संचालित होता है। (एजेंसी, हि.स.)