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हिन्द महासागर क्षेत्र में क्वाड देशों की नौसेनाओं ने किया एक्सरसाइज ‘ला पेरोस’

नई दिल्ली। हिन्द महासागर में क्वाड देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जापानी नौसेना के साथ भारतीय नौसेना का दो दिन तक चला बहुपक्षीय अभ्यास ‘ला पेरोस’ मंगलवार को खत्म हो गया। अभ्यास के इस तीसरे संस्करण में भारतीय नौसेना के साथ जापान की मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, ऑस्ट्रेलियाई रॉयल नेवी, फ्रेंच नेवी और यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के जहाजों और विभिन्न हेलीकॉप्टरों की भागीदारी देखी गई।

फ्रांसीसी नौसेना की ओर से आयोजित द्विवार्षिक अभ्यास ‘ला पेरोस’ का उद्देश्य समुद्री डोमेन में जागरुकता बढ़ाना और भारत-प्रशांत क्षेत्र की नौसेनाओं के बीच समुद्री समन्वय को मजबूत करना है। दो दिवसीय अभ्यास ने पांच समान विचारधारा वाले नौसैनिक बलों को घनिष्ठ संबंध विकसित करने, अपने कौशल को तेज करने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया। यह अभ्यास जटिल और उन्नत नौसैनिक संचालन का गवाह बना, जिसमें सतही युद्ध, वायु-विरोधी युद्ध, वायु रक्षा अभ्यास, क्रॉस डेक लैंडिंग और सामरिक युद्धाभ्यास शामिल किये गए।

अभ्यास ‘ला पेरोस’ में भारत की ओर से स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री और फ्लीट टैंकर आईएनएस ज्योति अभ्यास ने हिस्सा लिया। अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना की भागीदारी ने मैत्रीपूर्ण नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर के ताल-मेल, समन्वय और भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है, जो उसे हवा, सतह और उपसतह के खतरों का पता लगाने और बेअसर करने में सक्षम बनाता है। यह जहाज विशाखापत्तनम में स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का एक हिस्सा है।

ला पेरोस संयुक्त अभ्यास की शुरुआत 2019 में फ्रांस ने की थी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के जहाज शामिल थे। 2021 में भारत की भागीदारी ने फ्रांस के नेतृत्व वाले नौसेना अभ्यास में क्वाड देशों का प्रतिनिधित्व पूरा किया। पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में 5 से 7 अप्रैल, 2021 तक आयोजित किए गए बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास ला पेरोस में पहली बार भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस किल्टन और लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान पी-8 आई ने हिस्सा लिया था। इस समूह का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है।