नई दिल्ली (New Delhi)। सेमीकंडक्टर (semiconductor) के क्षेत्र में चीन की मनमानी (China’s arbitrariness) खत्म करने के लिए भारत (India) ने शुक्रवार को अमेरिका (America) के साथ एक समझौता (semiconductor supply chain agreement) किया है। दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए यह समझौता हुआ है। इसके साथ ही भारत-अमेरिका वाणिज्यिक संवाद में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग और निवेश को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो (US Commerce Secretary Gina Raimondo) ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने और नवाचार भागीदारी पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक भारत और अमेरिका ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और विविधीकरण पर एक सहयोगी तंत्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
मंत्रालय के मुताबिक पीयूष गोयल ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी की है। इससे पहले पीयूष गोयल ने अमेरिका की वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो से यहां मुलाकात की। मंत्रालय के मुताबिक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन और इनोवेशन पार्टनरशिप की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन भारत के ढांचे के तहत यूएस कमर्शियल डायलॉग पर नई दिल्ली में आयोजित कमर्शियल डायलॉग 2023 के बाद दोनों देशों के बीच ये हस्ताक्षर किए गए हैं।
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो पीयूष गोयल के निमंत्रण पर चार दिन की भारत यात्रा पर हैं। भारत-अमेरिकी वाणिज्यिक संवाद एक सहकारी उपक्रम है, जिसमें निजी क्षेत्र की बैठकों के साथ-साथ दोनों सरकारों की आपस में नियमित बैठकें शामिल हैं। पिछली भारत-अमेरिका वाणिज्यिक स्तर की वार्ता फरवरी 2019 में आयोजित की गई थी। इसके बाद कोरोना महामारी के कारण इसे आयोजित नहीं किया जा सका था।
उल्लेखनीय है कि भारत-अमेरिका का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच वस्तुओं के द्विपक्षीय व्यापार में 2022 में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसमें 131 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। 2014 से लेकर 2022 यानी आठ साल में यह दोगुना हो गया। ऐसे में उम्मीद जताई जार रही है कि वस्तुओं और सेवाओं में कुल व्यापार 180 अरब डॉलर को पार कर सकता है। इसके अलावा भारत के लिए अमेरिका एफडीआई का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है और शीर्ष पांच निवेश स्थलों में से एक भी है। (एजेंसी, हि.स.)