Friday, September 20"खबर जो असर करे"

महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान अपने कार्यों से निरंतर हो रहा यशस्वी: मुख्यमंत्री

– मुख्यमंत्री ने किया संस्थान के नवीन भवन “संस्कृत भवनम्” का लोकार्पण

भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि संस्कृत विश्व भाषा (sanskrit world language) है। अन्य भाषाओं की जननी (mother of languages) है। वैज्ञानिक भाषा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान (Maharishi Patanjali Sanskrit Institute) ने साबित कर दिया है कि संस्कृत केवल कर्मकाण्ड की भाषा नहीं, विज्ञान की भाषा है। संस्कृत पढ़कर बेहतर और अच्छे ढंग से सब कुछ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान अपने कार्यों से निरंतर यशस्वी हो रहा है।

मुख्यमंत्री चौहान सोमवार शाम को भोपाल में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के नवीन भवन “संस्कृत भवनम्” का लोकार्पण कर रहे थे। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, महर्षि पंतजलि संस्थान के अध्यक्ष भरतदास बैरागी, मध्यप्रदेश योग आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी, लोक शिक्षण आयुक्त अभय वर्मा सहित संस्थान के पदाधिकारी, शिक्षक, छात्र-छात्राएँ और नागरिक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत महान राष्ट्र है। भारत विश्व गुरू के पद पर फिर से अधिष्ठित हो रहा है। हमारे ऋषियों ने विश्व को “सबको अपने जैसा और एक परिवार मानने” का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि जिला एवं विकासखण्ड स्तर तक संस्कृत भाषा के विकास की रणनीति बनाएंगे। चौहान ने कहा कि भारत का योग दुनिया में फैल चुका है। अपना देश पूरी दुनिया को राह दिखाएगा। संस्थान का यह भवन सम्पूर्ण देश को नई दिशा दिखाने में कामयाब होगा।

मुख्यमंत्री ने संस्थान के लिए अमूल्य सहयोग देने पर चांद किरण सलूजा का सम्मान किया। साथ ही संस्कृत की पाठ्य पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने मेधावी छात्रों का सम्मान भी किया। मुख्यमंत्री ने छात्रों के खातों में राशि अंतरित की। उन्होंने विभिन्न कंपनियों में चयनित होने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए। राज्य में पांच स्थानों पर अनुसंधान एवं अध्ययन के लिए प्राध्यापक पीठ स्थापना की घोषणा की।

संस्थान के अध्यक्ष भरत दास बैरागी ने कहा कि यह संस्थान समाज में उपादेयता सिद्ध कर रहा है। मुख्यमंत्री चौहान की कल्पना के अनुरुप संस्थान बढ़-चढ़कर कार्य कर रहा है। आत्म-निर्भर छात्र बनाने के लिए पाठ्यक्रम लागू है। आधुनिक गणित के साथ वैदिक गणित पाठ्यक्रम में समाहित है। कौशल सीखाने का कार्य भी चल रहा है। आत्म-निर्भर भारत के लिए संस्कृत का अहम योगदान है। संस्कृत समाज को जोड़ने और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने की भाषा है। योग, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और समाज उपयोगी पाठ्यक्रम संस्थान ने शामिल किए हैं।

मुख्यमंत्री ने माँ सरस्वती और महर्षि पतंजलि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्मृति-चिन्ह और पुष्प-गुच्छ से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के लिए विगत दो वर्षों में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों की झलक प्रदर्शित की गई। निदेशक महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने आभार माना।

संस्थान की साधारण सभा की बैठक
कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की साधारण सभा की बैठक मैत्रेयी सभागृह में हुई, जिसमें संस्थान की आगामी गतिविधियों तथा कार्यक्रमों के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री ने संस्कृत आधारशिला योजना का अनुमोदन भी किया। (एजेंसी, हि.स.)