– शशिकान्त जायसवाल
पिछले कुछ दिनों से डिजिटल और सोशल मीडिया पर यूपी गोज ग्लोबल, योगीनॉमिक्स, इन्वेस्टर फ्रेंडली यूपी, योगी डिजिटाइजेज यूपी, उपयोगी फॉर इकोनॉमी, विजनरी योगी जैसे शब्दों की चर्चा खूब रही। इन्हें देखकर सवाल उठना लाजिमी है कि जिस उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य बताया जाता था, अब उसी उत्तर प्रदेश के आर्थिक उत्थान की बात होने लगी और तो और विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज अब उसी की सराहना कर रहे हैं। वर्ल्ड बैंक और यूपीडैस ने हाल ही में जो आंकड़े जारी किए हैं, वह भी उत्तर प्रदेश की इकोनॉमिक ग्रोथ को विश्व की विकास दर 5% से अधिक 8% बताए हैं। यानी यूपी का ग्रोथ रेट विश्व के कई देशों की विकास दर से ज्यादा है। एक संस्था की ओर से कराए गए मूड ऑफ दि नेशन सर्वे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 39.1 फीसदी लोगों ने बेस्ट चीफ मिनिस्टर माना है। जबकि इस मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दूसरे और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी तीसरे नंबर पर हैं। यानी सीएम योगी के कार्यों को लोग पसंद कर रहे हैं।
वर्ष 2017 में जब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो किसी को यह आभास नहीं था कि उत्तर प्रदेश आर्थिक विकास दर में विश्व के कई देशों को पछाड़ देगा। प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद सीएम योगी दूरदर्शी रणनीति के साथ आगे बढ़े। अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस, विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना और निवेश फ्रैंडली नीतियों के साथ जब वर्ष 2018 में इन्वेस्टर्स समिट की घोषणा हुई, तब भी विपक्ष सवाल खड़े कर रहा था और आज भी कर रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश की तरक्की में यह इन्वेस्टर्स समिट मील का पत्थर साबित हुआ और 4.68 लाख करोड़ रुपए के एमओयू हुए। इतना ही नहीं, सीएम योगी का दावा है कि चार लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतर चुके हैं। यानी उनमें उत्पादन शुरू हो चुका है या होने वाला है। सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में ही यह घोषणा कर दी थी कि वर्ष 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (यूपीजीआईएस-23) किया जाएगा और अब यूपीजीआईएस-23 लखनऊ में 10 से 12 फरवरी तक होने वाला है। इससे पहले टीम यूपी ने 16 देशों में 22 रोड शो और भारत में भी करीब एक दर्जन प्रमुख महानगरों में रोड शो किए हैं। भारत के प्रमुख शहरों और प्रदेश में जिले स्तर पर हो रहे निवेशक सम्मेलनों में करीब 21 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। जबकि अभी यूपीजीआईएस-23 होना शेष है। अभी तक देश में किसी भी राज्य में इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से 21 लाख करोड़ रुपए का निवेश नहीं आया है। इसीलिए यह उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए बहुत बड़ी बात है।
दरअसल, सीएम योगी के आर्थिक मैनेजमेंट का 2017 से 2022 तक पांच वर्षों का कार्यकाल ट्रेलर था। इसके लिए सीएम योगी के विभिन्न प्रयासों से उत्तर प्रदेश, देश-दुनिया में अपनी छवि बदलने में सफल हुआ। इस दौरान उत्तर प्रदेश में सिंगल विंडो सिस्टम के तहत जीरो ह्यमून इंटरफरेंस सहित 40 विभागों में करीब दो हजार से अधिक सुधारों को लागू किया गया। जिस कारण ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रदेश आज अचीवर स्टेट बन गया है। साथ ही मजबूत आधारभूत संरचना की नींव रखी गई। प्रदेश ने पिछले छह वर्षों में हाईवे और एक्सप्रेसवे के क्षेत्र में अभूतपूर्व तरक्की हासिल की है। आने वाले समय में दुनिया के कई देशों से अधिक एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी उत्तर प्रदेश में होने वाली है। उत्तर प्रदेश 13 एक्सप्रेसवे वाला देश का पहला राज्य बना है। 32 सौ किमी के कुल 13 एक्सप्रेसवे में से सात निर्माणाधीन हैं, तो छह संचालित हैं। यूपी सरकार ने प्रदेश में ट्रांसपोर्ट सिस्टम और एयर कनेक्टिविटी को काफी बेहतर बनाया है। इसीलिए हाल ही में वाराणसी में हुए एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सीएम योगी को इंफ्रास्ट्रक्चर मैन ऑफ इंडिया बताया था। ऐसे ही लखनऊ में एक कार्यक्रम में नीति आयोग के चेयरमैन पी अय्यर ने ब्लॉक स्तर पर आकांक्षात्मक जिलों में किए जा रहे कार्यों को लेकर सीएम योगी की सराहना की थी। साथ ही उन्होंने इसे दूसरे प्रदेशों के लिए एक मॉडल बताया था।
योगी 2.0 में उत्तर प्रदेश ने नए संकल्पों के साथ देश में नंबर एक अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ नई शुरुआत की है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार का दूसरा कार्यकाल काफी अहम है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य के लिए विभागों को 10 सेक्टरों में बांटकर अगले पांच साल तक का खाका खींचा गया है और उसी के अनुसार सूक्ष्म, लघु और दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है। अगले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयास परवान चढ़े, तो यह तय है कि देश में उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा बदल जाएगी। सीएम योगी का आर्थिक मैनेजमेंट प्रदेश के वार्षिक बजट में भी दिखता है। बीते साल मई में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 6.15 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का वार्षिक बजट पेश किया था। जबकि वित्त वर्ष 2016-2017 में यह मात्र 3.40 लाख करोड़ रुपए का था। यानी प्रदेश के बजट में करीब दोगुने की वृद्धि की गई है। अनुमान है कि इस बार प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार करने वाला है। सरकार ने विभागों में तकनीकी का इस्तेमाल कर अपनी आय बढ़ाई है और भ्रष्टाचार पर लगाम कसी है, जिससे राजस्व में दोगुने तक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश ने सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में जो बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत थी, वह अब घटकर 4.1 प्रतिशत ही रह गई है।
लब्बोलुआब यह है कि सोशल और डिजिटल मीडिया पर अगर उत्तर प्रदेश के बदलावों को लेकर योगी आदित्यनाथ के आर्थिक मैनेजमेंट की चर्चा हो रही है, तो यह वाजिब है। अब अगर पिछली सरकारों की तुलना में देखा जाए, तो आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद दशकों तक सरकारों ने सिर्फ राज किया। जबकि उन्हें प्रदेश के आधारभूत संरचना और आर्थिक विकास को लेकर कार्य करना चाहिए था। पिछले पांच-छह वर्षों में बिना भेदभाव पूरब से लेकर पश्चिम तक, जो कार्य उत्तर प्रदेश में शुरू किए गए हैं। उससे यह लगता है कि उत्तर प्रदेश आर्थिक उत्थान की ओर अग्रसर है। इससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने में भी सहायता मिलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होने से युवाओं का भविष्य भी संवरेगा। इसीलिए देश-दुनिया के दिग्गज उत्तर प्रदेश में हुए बदलावों की सराहना कर रहे हैं और दिल खोलकर निवेश कर रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)